उत्तराखण्ड को बने बारह साल पूरे हो चुके हैं, सरकारें आती गई और जाती गई लेकिन किसी भी दल की सरकार जमीनी हकीकत को समझने में सफल नहीं हो पाई । प्रदेश में हर क्षेत्र में अपार संभावनायें छुपी हुई हैं। प्रकृति ने हर रूप में इस प्रदेश को ताहफे दिये हैं। जरूरत है तो सिर्फ इन्हें समझने की तथा इनके असली स्वरूप के मुताबिक इन्हें निखारने की। प्राकृतिक धन-संपदाओं का यह प्रदेश, आज दैवीय आपदा की मार झेल रहा है। कारण स्पष्ट है कि सरकारों से लेकर हम आमजनों ने इस खूबसूरत धरा की असलियत को ठीक से नहीं समझा और कर डाला चैतरफा दोहन। अपनी सुख-सुविधाआं की चाह में हमने जल, जमीन, जंगल यहाँ तक कि वायु को भी उसके असली हाल में नहीं छोड़ा। विकास के नाम पर अपनी प्राकृतिक संपदाओं की बलि चढ़ा डाली। वह विकास किस काम का जिससे विनाश की खाई गहराती जाय। आज यही हो रहा है। हरियाली के लिए मसहूर यह हरित प्रदेश आज वीरान होता जा रहा है। जंगल कटने से पर्यावरण प्रदूषित होकर, मौसम का चक्र भी बदल चुका है। नदियों के अविरल प्रवाह को रोका जा रहा है, नदियों के किनारे अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। नदियों की चैड़ाई कम होते-होते आज नदियां, नालियॉ सी दिखने लगी हैं। निष्चित तौर पर इसका दुष्प्रभाव भी हमें ही झेलना पड़ रहा है। पर्यटन के लिये प्रसिद्ध इस प्रदेश में आज पर्यटक आने से क्यों घबरा रहे हैं ? इस प्रश्न का उत्तर स्वयं ही तीर्थ-स्थानों व पर्यटन-स्थलों में व्यवस्थाओं व सुविधाओं को देखते ही मिल जाता है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये जरूरी है कि पर्यटन स्थलों को सुनियोजित तरीके से व्यवस्थित किया जाय, वहाँ पर आने वाले पर्यटकों को किसी भी प्रकार की असुविधाओं का सामना न करना पड़े इसका पूरा ध्यान रखना अति आवश्यक है। खेल के क्षेत्र में प्रदेश सरकारें पूरी तरह विफल रही हैं। प्रदेश की प्रतिभाओं को निखारने में हमेशा असफल रही हैं सरकारें। आज प्रदेश के खिलाडि़यों को प्रदेश से बाहर जाकर कोचिंग लेनी पड़ रही है। प्रदेश के कई खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर देश व सूबे का नाम रोशन किया है लेकिन अपने ही घर अर्थात प्रदेश में इन प्रतिभाओं की उपेक्षा हो रही है। भारतीय टीम का हिस्सा रही वंदना कटारिया ने जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में कांस्य पदक जीत कर उत्तराखण्ड व देश का गौरव बढ़ाया। अमर उजाला की पहल के बाद वंदना को सरकार द्वारा सम्मानित कर दो लाख की धनराशि दी गई, लेकिन वंदना ने अपनी वेदना रखकर राज्य में हो रही खिलाड़ियों की उपेक्षा को जाहिर किया। वंदना ने कहा कि सूबे में यदि एक मैदान व एक हॉस्टल भी होता तो शायद उन्हें दूसरे राज्यों में जाकर कोचिंग नहीं लेनी पड़ती। इसके अतिरिक्त अभी कई मुद्दे ऐसे हैं जिन पर त्वरित कार्यवाही होना प्रदेश के हित में जरूरी है। शिक्षा का हब कही जाने वाली प्रदेश की राजधानी, देहरादून में शिक्षा का किस तरह बाजारीकरण हो रहा है यह किसी से भी छुपा नहीं है। शि्क्षा देना बहुत अच्छी बात है लेकिन शि्क्षण संस्थानों की पारदर्शिता होनी भी जरूरी है। एडमिशन के नाम पर किस तरह के खेल खेले जा रहे हैं यह शिक्षा जगत के लिये एक सोचनीय विषय है। अतः अपनी सभ्यता, संस्कृति, शिक्षा व कला की पहचान बनाये रखने के लिये सरकार के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर निःस्वार्थ मन से कारगर कदम उठाने होंगे। हर क्षेत्र में राजनीति का हावी होना देश व प्रदेश के हित में घातक है। यह एक सैन्य बहुल्य प्रदेश है। सैनिकों का सम्मान होना अति आवश्यक है। नेताओं को ऐसी बयानबाजी नहीं करनी चाहिये जिससे सैनिकों के सम्मान को ठेस पहुंचे। आइए हम सब मिलकर प्रदेश व देश की खुशहाली के लिये कार्य करें व एकता व अखंडता की मिसाल पेश करें।
जय भारत ! जय उत्तराखण्ड !