व्हाट्सएप ने भारत सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
नई दिल्ली सोशल मीडिया प्लेटफार्म व्हाट्सएप ने भारत सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों को न मानने के बाद व्हाट्सएप को बुधवार को बंद किए जाने का फैसला लिया गया था। समाचार एजेंसी के मुताबिक व्हाट्सएप ने कोर्ट में दायर याचिका में भारत सरकार के बनाए नए नियम को भारतीय संविधान के तहत दिए गए गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
व्हाट्सएप ने कहा है कि वो केवल उन लोगों की पहचान को उजागर करना चाहता है जो इस प्लेटफार्म का गलत इस्तेमाल करते हैं। सोशल मीडिया कंपनी ने अपने बचाव में ये भी कहा है कि वो ऐसा करने वाली अकेली कंपनी नहीं है। हालांकि समाचार एजेंसी ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि व्हाट्सएप ने वास्तव में ऐसी कोई याचिका कोर्ट में दायर की है या नहीं। आपको बता दें कि व्हाट्सएप के भारत में 400 मिलियन यूजर्स हैं।
व्हाट्सएप के प्रवक्ता ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। हालांकि व्हाट्सएप के इस कदम ने भारत सरकार और कंपनी के बीच तनाव जरूर बढ़ा दिया है। आपको बता दें कि फेसबुक ने भी अपने निजता नियमों में बदलाव किया था जिसके खिलाफ भारत सरकार ने उन्हें भी सख्त हिदायत दी थी। इसके बाद कंपनी ने कहा था कि वो भारत सरकार के नियमों का पालन करेगी। कहा जा रहा है कि कंपनी और सरकार के बीच तनाव बढ़ने की एक वजह कंपनी को नोटिस दिए जाने की घटना भी है। दरअसल, पिछले दिनों पुलिस नोटिस देने के लिए व्हाट्सएप के ऑफिस गई थी।
आपको बता दें कि ये मामला पांच वर्ष से अधिक पुराना हो चुका है। वर्ष 2016 में पहली बार कंपनी ने अपनी गोपनियता के नियमों में बदलाव करते हुए यूजर्स का डाटा अपनी साथी कंपनी फेसबुक से शेयर करने की बात कही थी। कंपनी के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। तब व्हाट्सएप ने बदले नियमों को 25 सितंबर 2016 से लागू करने की बात कही थी। उस वक्त भी कंपनी पर नियमों का उल्लंघन करते हुए नीति बदलने का आरोप लगाया गया था।
इसी वर्ष फरवरी में कंफिडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने भी व्हाट्सएप की नई पॉलिसी को कानून का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, हालांकि इसको कोर्ट ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया था। इसी माह ही दिल्ली हाईकोर्ट में व्हाट्सएप की नई निजता नीति के खिलाफ एक और याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि कंपनी की नई पॉलिसी भारत के संविधान के तहत एप उपयोगकर्ताओं के निजता के अधिकार का हनन करती है। कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र और कंपनी से जवाब तलब किया था।