उत्तराखंड आंगनवाड़ी कार्यकत्री सेविका मिनी कर्मचारी संगठन के आंदोलन को उत्तराखंड पत्रकार महासंघ ने दिया समर्थन
आकाश ज्ञान वाटिका। देहरादून, 24 जनवरी, 2020 (शुक्रवार)। उत्तराखंड पत्रकार महासंघ ने आज परेड ग्राउंड धरना स्थल पर जाकर उत्तराखंड आंगनवाड़ी कार्यकत्री सेविका मिनी कर्मचारी संगठन, जिनका राज्यव्यापी आंदोलन लगभग 2 माह से चल रहा है एवं वे आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं, को अपना समर्थन प्रदान किया। उत्तराखंड पत्रकार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री निशीथ सकलानी ने कहा कि उत्तराखंड में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी सेवा निष्ठा पूर्वक की जा रही है जो कि राज्य के एवं देश के नौनिहालों के बचपन की सीढ़ी को मजबूत करने के लिए, उनके स्वास्थ्य से लेकर उनकी शिक्षा के प्रथम पायदान को अपनी सेवा द्वारा मजबूत कर रहे हैं। लेकिन बड़े ही खेद के साथ हमें यह कहना पड़ रहा है कि राज्य सरकार ने उनकी अभी तक कोई सुध नहीं ली है। राज्य सरकार को अति शीघ्र उनकी जायज मांगों को मान लेना चाहिए। उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकत्री संगठन के आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए कहा की हमारा संगठन उनकी मांगों को उचित माध्यम से राज्य के माननीय मुख्यमंत्री तक पहुंचायेगा, और आश्वासन दिया कि हमारे राज्य के ओजस्वी मुख्यमंत्री उनकी मांगों पर अतिशीघ्र सद्भावना पूर्ण निर्णय लेते हुए उनके इस आंदोलन को समाप्त करवाएंगे।
[box type=”shadow” ]“मुख्यमंत्री आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की मांगों पर अतिशीघ्र सद्भावना पूर्ण निर्णय लें ।”……… निशीथ सकलानी, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड पत्रकार महासंघ [/box]
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उत्तराखंड पत्रकार महासंघ की टीम मुख्य चिकित्सा अधिकारी दून मेडिकल कॉलेज को भी मिलने गई एवं उनसे आंदोलनरत कार्यकत्रियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की मांग की एवं उनके द्वारा अनशन पर बैठी कार्यकत्रियों के लिए अभी तक क्या-क्या परीक्षण किए गए का पता किया गया। साथ ही उनसे अपेक्षा की गई कि वह उनकी नियमित जांच कर उनका स्वास्थ्य परीक्षण करें, ताकि उनके स्वास्थ्य में किसी तरह की गिरावट ना आए।[/box]
इस अवसर पर उत्तराखंड पत्रकार महासंघ के जिला अध्यक्ष सुशील चमोली ने कहा कि आज आंगनवाड़ी केंद्रों में हमारे शिशुओं की स्वास्थ्य जांच से लेकर उनके पुष्टाहार एवं उनकी प्राथमिक शिक्षा पर सराहनीय कार्य किया जा रहा है एवं इस कार्य को करने वाले आंगनवाडी कार्यकत्रियां बधाई की पात्र हैं। जिनके कारण आज उत्तराखंड के दूरस्थ गांव में भी पलायन पर कुछ रोक लगी हुई है।