केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को अखिल भारतीय शिक्षा परिषद द्वारा शुरू किए गए लीलावती पुरस्कार से किया सम्मानित
[highlight]महिला सशक्तिकरण हमारे विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण : डॉ० निशंक[/highlight]
- एआईसीटीई का लीलावती पुरस्कार महिला सशक्तिकरण की थीम पर आधारित है।
- यह पुरस्कार, अनुमोदित संस्थानों और उससे जुड़े महानुभावों द्वारा जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की समानता एवं निष्पक्षता हेतु किए जा रहें कायों को सम्मान प्रदान करने के उद्येश्य से आरंभ किए गए हैं।
आकाश ज्ञान वाटिका, ११ अप्रैल २०२१, रविवार, नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज यहाँ पर अखिल भारतीय शिक्षा परिषद द्वारा महिला सशक्तिकरण की थीम पर आधारित लीलावती पुरस्कार देकर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो० अनिल सहस्त्रबुद्धे, उपाध्यक्ष प्रो० एम.पी. पुनिया, सदस्य सचिव प्रो० राजीव कुमार, छात्र प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ० अमित कुमार श्रीवास्तव, एवं परिषद के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
अखिल भारतीय शिक्षा परिषद द्वारा शुरू किए गए लीलावती पुरस्कार को अनूठी पहल बताते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा, “राष्ट्रीय सशक्तिकरण के लिए व्यक्ति का सशक्तिकरण आवश्यक है खासकर महिलाओं का क्योंकि महिला सशक्तिकरण किसी भी राष्ट्र की प्रगति और सामाजिक उत्थान का सबसे बड़ा पैमाना माना जाता है। मेरा मानना है कि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों में यह एक मील का पत्थर साबित होगा। मुझे खुशी है कि अखिल भारतीय शिक्षा परिषद ने यह पहल की और शिक्षा एवं नवाचार में समानता की दिशा में एक मार्ग प्रशस्त करते हुए महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया में अपना योगदान प्रदान किया है।”
वर्ष 2021 के लीलावती पुरस्कार के लिए कुल 456 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं थीं, उनमें से 6 श्रेणियों में से 25 सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों को क्षेत्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों के द्वारा चुना गया है। इन प्रविष्टियों में महिला स्वास्थ्य के तहत 4, महिला उद्यमिता में 4, साक्षरता में 4, कानूनी जागरूकता में 4, आत्मरक्षा में 5 और स्वच्छता में 4 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं हैं।
महिला सशक्तिकरण का उदहारण देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा, “आज हमारी महिलायें जीवन के हर एक क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में खड़ी हैं चाहे वह प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति हो, मा० स्मृति ईरानी अपने आप में महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ी उदाहरण हैं। इसके अलावा मा० प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के स्वप्नों को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाने वाली वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण भी इसका बहुत अच्छा उदहारण है। ये दोनों मेरी सहयोगी भी हैं, ऐसे हज़ारों उदाहरण हमारे चारों ओर देखने को मिलेंगे। हमारी महिलाओं को दया और सहानुभूति नहीं, अवसर, विश्वास और सम्मान देने की ज़रूरत है।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विभिन्न क्षेत्रों में बालिकाओं और महिलाओं के समग्र विकास के लिए कई कल्याणकारी योजनायें जैसे सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओ योजना, बालिका समृद्धि योजना इत्यादि के बारे में एवं शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई कुछ पहलों के बारे में बात करते हुए कहा, “मंत्रालय द्वारा शुरू की गई सभी योजनायें बालिकाओं और महिलाओं तक शिक्षा की पहुँच एवं शिक्षा में लैंगिक समानता को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
इसके अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए कहा, “शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों को और गति देने के लिए, हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लेकर आए हैं और मुझे पूरा भरोसा है की एनईपी 2020 के क्रियान्वयन के बाद इस देश की बेटियाँ अग्रिम पंक्ति से भारत का नेतृत्व करेंगी और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपना योगदान देंगी।”
अपने संबोधन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सभी पुरस्कार जीतने वाली प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि ‘आशा करता हूँ कि आप सब महिला सशक्तिकरण हेतु इसी प्रकार से प्रतिबद्ध रहेंगे।’