तीन नदियों माँ गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है “त्रिवेणी घाट”
आकाश ज्ञान वाटिका, सोमवार, 7 सितम्बर, 2020, देहरादून/ऋषिकेश।
[box type=”shadow” ]
साभार : श्री मनीष पंत[/box]
[box type=”shadow” ]हिमालय का प्रवेश द्वार, ऋषिकेश जहाँ पहुँचकर गंगा पर्वतमालाओं को पीछे छोड़ समतल धरातल की तरफ आगे बढ़ जाती है। ऋषिकेश का शांत वातावरण कई विख्यात आश्रमों का घर है। उत्तराखण्ड में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती माँ गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेश द्वार माना जाता है। मान्यता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं।[/box]
[box type=”shadow” ]तीन नदियों माँ गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है “त्रिवेणी घाट”
देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में हिमालय पर्वत श्रृंखला के तल में ‘योग नगरी’ ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। ऋषिकेश में यह स्थान एक प्रमुख स्नानागार घाट है, जहाँ सुबह से ही अनेक श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। त्रिवेणी घाट के बारे में यह मान्यता है कि इस घाट पर तीन प्रमुख नदियों माँ गंगा, माँ यमुना और माँ सरस्वती जी का संगम होता है। इस घाट से ही माँ गंगा नदी दाईं ओर मुड़ जाती है।
आस्था है कि ऋषिकेश के मंदिरों में जाने से पूर्व सभी भक्तों को घाट के पवित्र जल में डुबकी लगानी चाहिए। त्रिवेणी घाट के बारे में यह विश्वास है कि जो श्रद्धालु त्रिवेणी घाट के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं, उन्हें उनके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। त्रिवेणी घाट हिन्दू पौराणिक कथाओं एवम् पुराणों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसका हिन्दू महाकाव्यों में भी उल्लेख है। हमारे धार्मिक ग्रंथों रामायण और महाभारत में यह माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जी ने इसी पवित्र स्थल का दौरा किया था, जहाँ उन्हें ‘जरा’ नामक एक शिकारी के तीर से चोट लगी थी, इसलिए इस घाट को भगवान कृष्ण का अंतिम संस्कार स्थल भी माना जाता है। त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालु दोनों हाथों से श्रद्धास्वरुप फूल और दीपक रखकर नदी में प्रवाहित करते हैं। यहाँ घाट पर दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए पिंड श्राद्ध नामक ‘कर्मकांड’ भी किया जाता है।
त्रिवेणी घाट के एक छोर पर जहाँ भगवान महादेव जी की जटा से निकलती माँ गंगा की मनोहर प्रतिमा है, जिसमें उन के साथ माँ गौरी जी भी हैं, तो दूसरी ओर अर्जुन को गीता ज्ञान लेते हुए भगवान श्रीकृष्ण जी की मनोहारी विशाल मूर्ति और एक विशाल गंगा माता का मंदिर है।
त्रिवेणी घाट का मुख्य आकर्षण पतित पावन माँ गंगा जी की आरती है, जिसे ‘महाआरती’ भी कहा जाता है। गोधूलि वेला में यहाँ की इस नियमित पवित्र आरती का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है। संध्या काल के समय हजारों देश और विदेशों से आने वाले तीर्थयात्री घाट पर महाआरती के लिए एकत्रित होते हैं। त्रिवेणी घाट पर चलते हुए जब दूसरी ओर की सीढ़ियाँ उतरते हैं तो इस स्थान से माँ गंगा जी के अविरल मनोहारी रूप के दर्शन होते हैं। जय नमामि: गंगे। अतिथि देवो भव:।
साभार : श्री मनीष पंत[/box]
[box type=”shadow” ]उत्तराखंड देवभूमि के साथ ही जांबाज़ों की भूमि भी है। यहाँ के अधिकांश लोग भारत माँ की रक्षा के लिए सहर्ष सशस्त्र सेनाओं का हिस्सा बनते हैं। ऋषिकेश निवासी #मनीष पंत# भारतीय थल सेना की सिगनल कोर में सेवारत है। श्री मनीष पंत जहाँ एक ओर सेना में रहकर देश की सुरक्षा में तत्पर हैं वही वह अपनी संस्कृति एवं कला का भी दिल से स्नेह एवं सम्मान करते हैं। श्री मनीष पंत ने जहाँ एक ओर देवभूमि उत्तराखंड के त्याहारों/रीति-रिवाजों, यहाँ पौराणिक धरोहरों को अपनी चित्रकारी के माध्यम से संरक्षण देते हुए लोगों को जागरूक करने का भी काम कर रहे हैं वही उन्होंने यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य की महत्ता को अपनी पेंटिंग कला के माध्यम से दर्शाने का काम किया हैं। यह सब एक सैनिक की देशभक्ति के साथ ही, अपनी अनुपम संस्कृति, कला, प्राकृतिक सौन्दर्य, सभ्यता एवं पावन तीज-त्योहारों के प्रति अटूट आस्था एवं प्रेम को दर्शाता है, जो हम सबके लिए प्रेरणाप्रद है।
श्री मनीष पंत द्वारा ‘योग नगरी’ ऋषिकेश स्थित तीन पावन नदियों माँ गंगा, माँ यमुना और माँ सरस्वती के संगम स्थल, “त्रिवेणी घाट” का पेंटिंग/स्केच के माध्यम से जो वर्णन/चित्रण किया है वह उनकी देश एवं देश की अनुपम संस्कृति, कलाओं एवं धरोहरों के प्रति अटूट प्रेम व आस्था को दर्शाता है।[/box]
क्लिक करें: (Related Article) https://akashgyanvatika.com/manish-pant-devbhoomi-ke-ek-mahan-desh-bhakt/