नैनीताल में टोल टैक्स कर्मियों ने नेवी अफसर और दोस्तों का सिर फोड़ा
नैनीताल। पर्यटकों के साथ बार बार बेहतर व्यवहार करने की अपील के बावजूद ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जो पर्यटन नगरी की छवि को खराब कर रही हैं। मंगलवार की देर रात की एक ऐसी ही घटना ने जिले में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर फिर सवाल खड़ा कर दिया है।
पर्यटन नगरी घूमने पहुंचे नेवी के अफसर और उनके तीन अन्य दोस्तों के साथ लेक ब्रिज चुंगी कर्मियों ने जमकर मारपीट की। मामला महज इतना ही था कि पयर्टकों को टोल टैक्स देने को लेकर कुछ आपत्ति थी। उनकी बात चुंगी कर्मियों को इतनी नागवार गुजरी कि पहले तो वे गाली गलौच करने लगे और जब पर्यटकों ने इसको विरोध किया तो मारपीट पर उतरू हो गए।
चुंगी कर्मियों ने कूकर, डंडे, प्लास जैसी चीजों से पर्यटकों पर ताबड़तोड़ हमला किया। इस दौरान नेवी अधिकारी समेत तीन के सिर फट गए। घटना के बाद चुंगी कर्मी मौके से भाग निकले। तल्लीताल पुलिस ने घायलों का बीडी पांडे जिला अस्पताल में मेडिकल कराया।
नेहरू कॉलोनी देहरादून निवासी नेवी में अधिकारी अंकित शर्मा अपने दोस्त राजेंद्रनगर मेरठ निवासी सारांश कौशिक, अर्पित कौशिक और अभिषेक शर्मा,के साथ नैनीताल घूमने आए थे। सोमवार रात वह तल्लीताल स्थित लेक ब्रिज चुंगी पहुंचे। यहां टोल के पैसे को लेकर दोनों पक्षों में गाली गलौज हो गई। विवाद बढ़ा तो आरोप है कि चुंगी कर्मियों ने जमकर मारपीट कर दी।
इससे चीख-पुकार मच गई। मौके पर भीड़ जमा हो गई। तल्लीताल थाने के एसआई मनोज सिंह नयाल, एसआई यूसी सती, कांस्टेबल सुमित समेत तमाम पुलिस कर्मी मौके पर पहुंच गए। दो युवकों को सिर में टांके आए हैं। पुलिस का कहना है कि अभी तहरीर नहीं मिली है। फिलहाल दो युवकों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। घायलों का कहना है कि चुंगी पर सात लोग थे। जो हमलावर हो गए।
पुलिस ने चार आरोपितों को थाने में बैठाया
पुलिस ने पर्यटकों के साथ मारपीट करने वाले आरोपित चार चुंगी कर्मियों तल्लीताल थाना थाने में बैठाया है। फिलहाल अभी तक पर्यटकों की ओर से पुलिस को कोई तहरीर नहीं दी गई है। पर्यटकों ने किसी तरह की कार्रवाई से इनकार किया है। साथ ही पुलिस से अपने स्तर से मामला देखने को कहा है। पुलिस आरोपियों का पुलिस एक्ट में चालान की तैयारी कर रही है।
पहले भी सामने आए हैं पर्यटकों संग मारपीट के मामले
चुंगी पर पर्यटकों के साथ विवाद होते रहे हैं। पिछले माह भी भी विवाद हुआ था। पुलिस रिकॉर्ड में कोई ऐसा केस नहीं है जिसमें पर्यटकों ने लिखित तहरीर थाने में दी हो। हर बार या तो समझौता हो जाता है या पर्यटक कानूनी पचड़ों की वजह से कार्रवाई से कन्नी काट जाते हैं।