उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या बढ़ी है या घटी, 12 साल के लंबे इंतजार के बाद अब इस रहस्य से उठेगा पर्दा
आकाश ज्ञान वाटिका, 18 अक्टूबर, 2020, रविवार। यह अपने आप में हैरत वाली बात है कि जिन गुलदारों के खौफ से समूचा उत्तराखंड थर्रा रहा है, वह वन महकमे के कोर एजेंडे में ही शामिल ही नहीं था। यदि होता तो ये जानकारी जरूर होती कि गुलदारों की संख्या बढ़ी है या घटी। 12 साल के लंबे इंतजार के बाद अब इस रहस्य से पर्दा उठेगा। वन महकमा राज्य स्तर पर दिसंबर में गुलदारों की गणना की तैयारियों में जुट गया है। वर्तमान में इसके लिए ग्रिड (गुलदार संभावित क्षेत्र) चिह्नित किए जा रहे हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि गुलदारों की गणना प्रतिवर्ष हो।
उत्तराखंड में जहां पहाड़ जैसी समस्याएं मुंहबाए खड़ी हैं, वहीं गुलदारों के आतंक ने ग्रामीणों की दिनचर्या को बुरी तरह प्रभावित किया है। कब कहां गुलदार आ धमकें कहा नहीं जा सकता। आए दिन इनके हमलों की घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं। स्थिति ये है कि गुलदार अब घरों की चौखट तक धमकने लगे हैं। ऐसे में राज्यवासी खौफ के साये में जीने को विवश हैं। आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं। वन्यजीवों के हमले की घटनाओं में 80 फीसद से ज्यादा गुलदारों की हैं। गुलदारों के लगातार हमलों को देखते हुए स्थानीय ग्रामीण ये मानकर चल रहे हैं कि इनकी संख्या में भारी इजाफा हुआ है। हालांकि, इसका आकलन करने के लिए कोई अधिकृत आंकड़ा विभाग के पास नहीं है।
दरअसल, राज्य स्तर पर आखिरी बार वर्ष 2008 में गुलदारों की गणना हुई थी। तब इनकी संख्या 2335 थी। इसके बाद वर्ष 2014 व 2018 में टाइगर लैंडस्केप (कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत 12 वन प्रभाग) में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बाघ गणना के दौरान वहां आकलन जरूर किया, लेकिन वन विभाग की ओर से राज्य स्तर पर गणना नहीं कराई गई।
[box type=”shadow” ]गुलदारों की वास्तविक संख्या और सर्वाधिक घनत्व वाले क्षेत्रों का पता न चलने के कारण गुलदार-मानव संघर्ष थामने को ठोस पहल नहीं हो पा रही। इस सबको देखते हुए वन महकमा 12 साल बाद अब गुलदारों की गणना कराने जा रहा है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि गणना के मद्देनजर प्रभाग स्तर पर ग्रिड चिह्नित करने शुरू कर दिए गए हैं। इन ग्रिड में दिसंबर से गणना प्रस्तावित है। इससे राज्य में गुलदारों की वास्तविक संख्या सामने आ सकेगी।
राज्य में गुलदार
गणना वर्ष, संख्या
2003 – 2092
2005 – 2105
2008 – 2335[/box]