Breaking News :
>>सरकार होम स्टे योजना को बढ़ावा देकर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ रही है- महाराज>>सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज देहरादून आपदा प्रभावितों को नि:शुल्क उच्च शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध- ललित जोशी>>मुख्यमंत्री धामी ने जौलजीबी मेला-2024 का किया शुभारंभ>>मुख्य सचिव ने की स्मार्ट मीटरिंग के कार्यों की समीक्षा >>टीरा’ ने जियो वर्ल्ड प्लाजा में लॉन्च किया लग्जरी ब्यूटी स्टोर>>फिल्म स्टार मनोज बाजपेई को जमीन खरीदवाने के लिए ताक पर रख दिए गए नियम- कायदे >>सुबह उठने पर महसूस होती है थकान? ऊर्जा के लिए खाएं ये 5 खाद्य पदार्थ>>बिना सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में नजर आई गहमागहमी>>तीसरे टी20 मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 11 रनों से हराया, सीरीज में 2-1 की बनाई बढ़त>>पराजय को सामने देख अब प्रपंच रच रही है कांग्रेस, जनता देख रही है इनकी कुटिलता और झूठे पैंतरे – रेखा आर्या>>झूठी अफवाह फैलाकर केदारनाथ धाम पर बेवजह राजनीति कर रही है कांग्रेस- महाराज>>नेपाल में भारतीय हिंदुओं की स्थितियां बहुत खराब>>उत्तराखण्ड में जल्द लागू होगा सशक्त भू-कानून- सीएम>>भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच टी20 सीरीज का तीसरा मुकाबला आज >>मुख्यमंत्री धामी करेंगे बैकुंठ चतुर्दशी एवं प्रदर्शनी का शुभारम्भ>>पिंक साड़ी पहन राशि खन्ना ने कैमरे के सामने दिए सिजलिंग पोज>>छह आरोपियों ने नाबालिग और उसकी मौसी को शराब पिलाकर किया सामूहिक दुष्कर्म >>मौसम का बदला पैटर्न, सर्दियों पर देखने को मिल रहा पूरा असर >> नफरत को मोहब्बत से ही खत्म किया जा सकता है, दूसरी साइड ने ले रखा नफरत का ठेका- राहुल गांधी >>क्या हवा में मौजूद बदबू भी दूर कर सकते हैं एयर प्यूरीफायर, जानें इनका क्या होता है काम?
Articles

चुनाव में हार-जीत से आंदोलन समाप्त नहीं हुआ

अवधेश कुमार
राहुल गांधी द्वारा हाल में लोक सभा के अंदर और बाहर दिए जा रहे कुछ वक्तव्यों का गहराई से विश्लेषण करने की आवश्यकता है। लोक सभा में उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए हिन्दू शब्द की अपने अनुसार व्याख्या की तो गुजरात के राजकोट में कहा कि आडवाणी जी ने जो अयोध्या आंदोलन आरंभ किया उसे आईएनडीआईए ने हरा दिया है। लोक सभा में उन्होंने कहा कि जो लोग हिन्दू-हिन्दू करते हैं, वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा, नफरत-नफरत करते हैं। बाद में उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी पूरा हिन्दू समाज नहीं हैं, भाजपा पूरा हिन्दू समाज नहीं है, संघ पूरा हिन्दू समाज नहीं है।

राजकोट और लोक सभा के दोनों बयान अलग-अलग दिखाई दे सकते हैं, पर हैं दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए और कई मायनों में उससे ज्यादा डरावने जितना हमने पहली दृष्टि में महसूस किया। राहुल गांधी के रणनीतिकार और सलाहकार उन्हें समझा रहे हैं कि संघ, भाजपा और मोदी के वैचारिक व निजी विरोध के तीखे तेवर और हमलावर वक्तव्यों से कांग्रेस को चुनाव में लाभ मिला है, इसलिए आगे और तीखा व हमलावर बनना है। किंतु हिन्दू, हिन्दुत्व और राम जन्मभूमि आंदोलन न दलीय राजनीति का विषय है, और न केवल भाजपा का। क्या फैजाबाद संसदीय क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार की पराजय अयोध्या आंदोलन की पराजय है?

राहुल के सलाहकारों, रणनीतिकारों को या तो अयोध्या आंदोलन और उसके महत्त्व का ज्ञान और अहसास नहीं है, या वो राजनीतिक लाभ के लिए इसे अत्यंत छोटा और भाजपा तक सीमित करने की कुत्सित रणनीति पर चल रहे हैं। न अयोध्या आंदोलन लालकृष्ण आडवाणी ने आरंभ किया और न ही उनके बैठ जाने से यह समाप्त हुआ। सही है कि राजनीति में भाजपा ने ही अयोध्या आंदोलन में एक समय पूरी शक्ति लगाई। 6 दिसम्बर, 1992 के बाद उसकी तीन राज्य सरकारें बर्खास्त हो गई। भाजपा ने 1988 के पालमपुर अधिवेशन में अयोध्या आंदोलन को प्रस्ताव में शामिल किया। उच्चतम न्यायालय के फैसले में भी स्पष्ट है कि यह आंदोलन अंग्रेजों के समय और उसके पहले भी था तथा आजादी के बाद न्यायिक सहित कई स्तरों पर लड़ाई चलती रही। भाजपा ने तय किया कि आंदोलन को धार देने के लिए हमें प्रमुख कार्यक्रमों में इसे शामिल करना चाहिए और इसी कारण सोमनाथ से अयोध्या तक आडवाणी जी की रथ यात्रा निश्चित हुई। आडवाणी जी ने 6 दिसम्बर, 1992 के बाबरी विध्वंस के बाद इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेख में इसे जीवन का सबसे दुखद दिन कहा था। उसके बाद वे आंदोलन में सक्रिय नहीं दिखे। क्या इससे बाबरी मस्जिद की जगह श्रीराम मंदिर निर्माण का आंदोलन खत्म हो गया?

विपक्ष की रणनीति अयोध्या पर भाजपा के विचार और व्यवहार को परास्त साबित करने की है। फैजाबाद से जीते सपा सांसद अवधेश प्रसाद को लोक सभा में आगे बिठाकर विपक्ष भाजपा के अंदर सतत पराजय का भाव स्थापित करने के साथ आम लोगों के जेहन में भी इसे बनाए रखने की रणनीति अपना रहा है। अयोध्या आंदोलन केवल मंदिर निर्माण का आंदोलन नहीं था। भारत सहित संपूर्ण विश्व के हिन्दू समाज को सांस्कृतिक रूप से पुनर्जागृत करने, प्रखर करने और भविष्य में मानवता का नेतृत्व करने की दृष्टि से उसके मानसिक निर्माण का आंदोलन था। यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। बावजूद हम देख सकते हैं कि पिछले कुछ वर्षो में संपूर्ण विश्व का हिन्दू अपने धर्म-सभ्यता-संस्कृति, आचार-विचार को लेकर पहले से ज्यादा मुखर और आवश्यकता पडऩे पर आक्रामक हुआ है। इसका असर भारत के साथ उन सारे देशों में है, जहां-जहां हिन्दुओं की ठीकठाक संख्या है। इसके विरोधियों की कोशिश है कि उनके अंदर किसी तरह हीन ग्रंथि पैदा करो। अंग्रेजों ने इतिहास, समाजशास्त्र तथा सभ्यता की व्याख्याओं से हिन्दू समाज के अंदर यही हीन ग्रंथि पैदा की थी जो अभी तक खत्म नहीं हुई है।

राहुल की संसद में कही गई बात या अयोध्या आंदोलन को हराने का वक्तव्य पूरे समाज को फिर से हीन ग्रंथि का शिकार बनाने की कोशिश है। वैसे राहुल और उनके रणनीतिकारों की समझ अयोध्या आंदोलन के बारे में अत्यंत सतही है। 1528 ईस्वीं में मीर बाकी द्वारा श्रीराम मंदिर को तोडऩे के साथ ही देश, काल और परिस्थिति के अनुरूप विरोध और संघर्ष आरंभ हो गया था जो अंग्रेजों के शासनकाल में और आजादी के बाद भी जारी रहा। मंदिर मुक्ति का संघर्ष अत्यंत लंबा है जिसमें सिखों का भी योगदान है। बैरागियों, रामानंदी संप्रदाय से लेकर वैष्णव पंथ के अनेक संतों ने इस आंदोलन में भाग लिया। 1857 की क्रांति के समय बैरागियों और साधु-संतों ने मस्जिद की दीवार पर श्रीराम, सीताराम लिखा और बगल में चबूतरा बना कर उस पर पूजा तक आरंभ की।

प्रश्न है कि क्या आईएनडीआईए ने एक संसदीय चुनाव में विजय प्राप्त कर पूरे आंदोलन को परास्त कर दिया? वैसे अयोध्या नाम का लोक सभा क्षेत्र नहीं है। फैजाबाद लोक सभा क्षेत्र है जहां भाजपा के उम्मीदवार को करीब 4 लाख 99 हजार 522 एवं सपा को 5 लाख 54 हजार 289 वोट मिले। 54 हजार 567 मतों की विजय को क्या पूरे आंदोलन की पराजय मान लिया जाए? दूसरे, अयोध्या में मंदिर निर्माण का आंदोलन अयोध्या तक सीमित नहीं था। पूरे देश में आंदोलन चला। यह एक जिले का सीमित आंदोलन नहीं था। व्यापक लक्ष्यों वाला भौगोलिक दृष्टि से भी व्यापक क्षेत्रों तक विस्तारित आंदोलन था।

सच है कि हिन्दुओं का समर्थन भाजपा को अयोध्या के कारण बढऩा आरंभ हुआ पर 6 दिसम्बर, 1992 के बाद लंबे समय तक भाजपा द्वारा इसके पक्ष में बड़ा आंदोलन न किए जाने तथा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने के बाद राम मंदिर पर कोई ठोस पहल न होने से उनकी अपनी ही पार्टी नहीं, संगठन परिवार और देश भर के समर्थकों के अंदर नाराजगी पैदा हुई। वाजपेयी सरकार की 2004 में पराजय के पीछे यह बड़ा कारण था। उस समय भी फैजाबाद से भाजपा के उम्मीदवार पराजित हो गए थे तो क्या उससे अयोध्या आंदोलन ही परास्त हो गया? चुनाव में हार-जीत से किसी आंदोलन के समर्थन या विरोध का मूल्यांकन अपने आप में दोषपूर्ण है। जिस खतरनाक नरेटिव को राहुल गांधी, आईएनडीआईए देश-विदेश के उनके समर्थक बढ़ा रहे हैं, उनको ठीक से समझना और उनका सही विचारों और तथ्यों के साथ प्रतिवाद करना समय की मांग है।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!