2 अप्रैल 2021 से शुरू हो रहे झंडा मेला ने अधिकारियों की बढ़ाई चिंता
आकाश ज्ञान वाटिका, 25 मार्च 2021, गुरूवार, देहरादून। सालभर कोरोना से जूझने के बाद कहां तो जिला प्रशासन राहत की उम्मीद कर रहा था और अब संक्रमण की नई लहर ने अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है। यह चिंता दो अप्रैल से शुरू हो रहे झंडा मेला ने और बढ़ा दी है। वजह साफ है कि पंजाब कोरोना से खासा प्रभावित है और बड़ी संख्या में संगतें यहीं से दून पहुंचती हैं। वर्तमान में आवाजाही और तमाम अन्य आयोजनों को प्रतिबंध से बाहर रखा गया है। ऐसे में झंडा मेला में संगतों की आमद के दौरान शारीरिक दूरी के नियमों का पालन कराना आसान नहीं है। हालांकि, जिला प्रशासन मेले को नियंत्रित करने या आयोजन के दौरान नियमों के पालन को लेकर एडवाइजरी तैयार कर रहा है।
बताया जा रहा है कि जो गाइडलाइन कुंभ के लिए अपनाई जाएगी, उसी तरह के नियम झंडा मेले के लिए भी बनाए जाएंगे। संभव है कि झंडा मेले में आने वाली संगतों के लिए आरटी-पीसीआर जांच की अनिवार्यता कर दी जाए। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि झंडा मेले के दौरान पेश आने वाली सभी तरह की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन तैयार की जा रही है। प्रयास किए जा रहे हैं कि गुरुवार को एडवाइजरी जारी कर दी जाए। जो संगतें दून पहुंचती हैं, उनमें बड़ी संख्या में लोग वाहनों में खचाखच भरकर आते हैं। दून में भी एक सीमित स्थल पर संगतें एक-दूसरे से सटकर चलती हैं। इनके रहने व खाने-पीने के लिए भी सीमित स्थल होते हैं। झंडा जी के आरोहण के समय भीड़ बढ़ जाती है। ऐसे में नियमों का पालन करा पाना आसान नहीं होता। देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन व पुलिस किस तरह व्यवस्था बनाने में सफल हो पाते हैं।
एतिहासिक झंडा मेले का स्वरूप सीमित रखने की तैयारी की जा रही है। कोरोना के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए मेला प्रबंधन समिति ने यह फैसला लिया है। हालांकि, समिति को अभी जिला प्रशासन की गाइडलाइन का भी इंतजार है। मेला प्रबंधन समिति के व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया कि मेला प्रबंधन समिति ने तैयारी शुरू कर दी है। आज (गुरुवार) को समिति के सदस्य हरियाणा स्थित अरइयांवाला के लिए रवाना होंगे। यहां 25 मार्च को श्रीझंडे जी का आरोहण होगा, जिसके बाद संगतें श्रीझंडे जी को लेकर दून के लिए रवाना होंगी। जुयाल ने बताया कि हर साल औसतन आठ लाख श्रद्धालु मेले में श्रीझंडे जी के दर्शनों को पहुंचते हैं। सामान्य तौर पर मेला 25 दिनों का होता है, लेकिन इस साल कोरोना को देखते हुए मेला दो से तीन दिनों तक ही सीमित रखा जा सकता है।