किसानों का अनशन सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक चलेगा, देशवासियों से भी की अपील
आकाश ज्ञान वाटिका, ३० जनवरी २०२१, शनिवार। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग लेकर 2 महीने से भी अधिक दिन से चल रहा धरना प्रदर्शन जारी है। शनिवार को भी सिंघु, टीकरी और यूपी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान अपनी मांगों को लेकर जमा हैं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच विरोध की कड़ी में आंदोलनकारी किसान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर शनिवार को भूख हड़ताल पर बैठेंगे। शनिवार का दिन ‘सद्भावना दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान किसान सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक उपवास ऱख रहे हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर का कहना है कि पिछले दिनों गाज़ीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा तैनाती बढ़ा दी गई थी कि कोई भी बदमाश विरोध में प्रवेश न करे और हंगामा न करे। वहीं, कुछ लोगों ने धारणा बनाई कि हम बल प्रयोग करने जा रहे हैं। हमने कहा कि निष्कर्ष पर आने से पहले हम चर्चा करेंगे और यह चल रहा है।
पंजाब के बठिंडा जिले के विर्क खुर्द ग्राम पंचायत ने एक सप्ताह के लिए दिल्ली सीमाओं पर किसानों के विरोध में प्रत्येक परिवार के कम से कम एक सदस्य को भेजने का फैसला किया।
यूपी गेट के गाजीपुर बॉर्डर पर स्वराज अभियान के प्रमुख एवं किसान प्रतिनिधि योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों को आज देशद्रोही कहा जा रहा है। कभी अगर ऐसा हुआ तो इस देश को कोई बचा नहीं पाएगा। किसान आंदोलन स्थल के मंच से शुक्रवार को उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अपना संघर्ष जारी रखना है। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किला में जो कुछ भी हुआ वह सरकार की विफलता को दर्शाता है। दिल्ली में हुए हर मामले को लेकर उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच जरूरी है। लाल किले की शर्मनाक घटना पर नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने किसानों से एकजुटता का परिचय देते हुए आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखने का आह्वान किया।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से पानी की मदद देने के लिए हम धन्यवाद करते हैं, लेकिन हम दिल्ली का पानी नहीं लेंगे। प्रदेश सरकार पानी की व्यवस्था नहीं करेगी तो हम सड़क में बोरिंग कर पानी निकालेंगे। उन्होंने दिल्ली में उपद्रव की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उधर, राकेश टिकैत की चेतावनी के बाद प्रशासन के टैंकरों से आंदोलन स्थल पर पानी पहुंच गया।
यूपी गेट पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर 28 नवंबर से आंदोलन कर रहे किसानों को उठाने के लिए बृहस्पतिवार बृहस्पतिवार दोपहर से लेकर शुक्रवार तड़के तक आंदोलन स्थल पर हाइवोल्टेज ड्रामा चलता रहा। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से लेकर पुलिस-प्रशासन ने एक दूसरे को पछाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अंतत: पुलिस-प्रशासन को ही बैकफुट पर आना पड़ा और फोर्स को आंदोलन स्थल से हटा दिया गया।
बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार के लोगों ने पंजाब व हरियाणा के बीच दरार डालने की कोशिश की, लेकिन लोग इसे समझ गए हैं और भारी संख्या में हरियाणा के किसान भी आंदोलन में शरीक होने के लिए बार्डर पर पहुंच गए हैं। इसके लिए उन्होंने हरियाणा के किसानों का विशेष रूप से धन्यवाद भी किया। साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली में गुरुद्वारा शीशगंज के सामने जो हुआ, वह बेहद शर्मनाक है। सरकार इस आंदोलन को हिंदू-सिख का मसला बनाने का प्रयास कर रही है। हम इसे सफल नहीं होने देंगे। यह देश सभी का है और सिख और हिंदू भाई हैं और रहेंगे।