खालिस्तानी आतंकी से जुड़ा है ग्रेटा टूलकिट का पूरा मामला, पढ़िए पूरी खबर
आकाश ज्ञान वाटिका, १६ फ़रवरी २०२१, मंगलवार। पर्यावरणवादी ग्रेटा थनबर्ग द्वारा पोस्ट टूलकिट के ‘रिसोर्स पर्सन’ के रूप में एक विदेशी विशेषज्ञ पीटर फ्राइडरिक का नाम सामने आया है। डिस्इंफोलैब की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंफो-वार अगेंस्ट इंडिया के संबंध में ओएसआइएनटी जांच में भी यह नाम प्रमुखता से सामने आया था। पीटर का संबंध खालिस्तानी आतंकी से है।
‘द यूएस-एंडिंग वार : फ्राम प्रोक्सी वार टू इंफो-वार अगेंस्ट इंडिया’ शीर्षक से इस रिपोर्ट में 2007 से जारी इस लड़ाई के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें अमेरिका में संदिग्ध कंपनियां, फर्जी विदेशी विशेषज्ञ और मुखौटा संस्थाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे अतीत की एक कहानी है। 1980 के आसपास के उथल-पुथल के वर्षो में एक अज्ञात सा खालिस्तानी भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी परिदृश्य में आता है। उसका दावा था कि वह मूल रूप से मलेशिया का है और अमेरिका से काम कर रहा था। वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की मदद से एक अन्य आतंकी लाल सिंह के जरिये भारत के विभिन्न शहरों में बड़े पैमाने पर हिंसक वारदातों को अंजाम देने के लिए आतंकी नेटवर्क की फंडिंग कर रहा था। लाल सिंह के दादर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार होने के बाद उसकी साजिश नाकाम हो गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2011 में भारत ने भिंडर को भी काली सूची में डाल दिया था। भारत में उक्त हमलों की योजना के-2 (कश्मीर-खालिस्तान) नामक बड़ी साजिश का हिस्सा थे। यह साजिश लाहौर में जमात ए इस्लामी के तत्कालीन सचिव आमिर उल अजीम के संरक्षण में कई पाकिस्तानी प्रतिष्ठानों की मदद से रची गई थी। साजिशकर्ताओं में पाकिस्तान के वर्तमान मंत्री फवाद चौधरी के चाचा चौधरी अल्ताफ हुसैन भी शामिल थे। भिंडर अमेरिका में अपने गैंग के साथ ड्रग्स तस्करी नेटवर्क और डीवीडी पाइरेसी नेटवर्क में लिप्त था। अपने ड्रग्स नेटवर्क के लिए धन जुटाने के मकसद से उसने जबर्दस्त खून-खराबे के बाद अमेरिका के सबसे प्रमुख गुरुद्वारे (फ्रीमोंट गुरुद्वारे) पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। फ्रीमोंट गुरुद्वारे को हर साल करोड़ों डालर का दान मिलता है। इस दौरान भिंडर पाकिस्तान के रास्ते भारत भेजने के लिए हथियारों की खरीद की कोशिश भी कर रहा था। इस कोशिश में वह अमेरिकी पुलिस की रडार पर आ गया। डीईओ के विशेष एजेंट टिम लुम की जांच में पता चला कि भिंडर काफी बड़ी मात्रा में भारत में हथियार भेजने की फिराक में था। हालांकि उसकी यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई।
यह योजना विफल होने और नई सदी में आनलाइन प्लेटफार्म्स के उदय ने भिंडर ने अपना ध्यान भारत के खिलाफ इंफो-वार छेड़ने पर लगा दिया। इसके लिए उसने संगठन बनाने और उपयुक्त साफ चेहरे चुनने की योजना बनाई। 2006-07 में भिंडर को युवा ईसाई मिशनरी पीटर फ्राइडरिक मिला जो बोलने और लेखन में कुशल था, लेकिन अच्छी आय के विकल्प की तलाश में था। इसके लिए वह सिक्यूरिटी गार्ड भी बनने को तैयार था, लिहाजा विशेषज्ञ-कार्यकर्ता बनने का प्रस्ताव वह ठुकरा नहीं पाया।