मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जन आशीर्वाद रैली के जरिये कांग्रेस को घेरा
देहरादून। विधानसभा चुनाव का वक्त करीब आने के साथ ही अब उत्तराखंड में राजनीतिक माहौल गर्माने लगा है। कांग्रेस ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र खटीमा से परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की तो भाजपा ने भी इसके जवाब में श्रीनगर (गढ़वाल) से जन आशीर्वाद रैली के जरिये चुनावी बिगुल फूंका। कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष श्रीनगर सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं और पिछली बार उन्हें भाजपा के हाथों पराजय झेलनी पड़ी थी। जन आशीर्वाद रैली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस की जमकर घेराबंदी की तो राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए जनता से फिर से आशीर्वाद मांगा।
भाजपा के सामने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव जैसा ही प्रदर्शन वर्ष 2022 में दोहराने की चुनौती है। प्रदेश की भाजपा सरकार और पार्टी संगठन में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद बदली परिस्थितियों के हिसाब से भाजपा ने ‘मिशन-2022’ के लिए रणनीति बनाई है। पार्टी ने चुनावी गतिविधियां तेज करने के मद्देनजर सरकार के मंत्री, विधायकों के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों को मैदान में उतार दिया है। पार्टी ने विपक्ष को हर स्तर पर जमीन दिखाने की कार्ययोजना भी तैयार की है।
भाजपा ने शुक्रवार को श्रीनगर की जन आशीर्वाद रैली के माध्यम से कांग्रेस को जवाब देने के साथ ही श्रीनगर के साथ ही आसपास के विधानसभा क्षेत्रों को साधने का भी प्रयास किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रैली के दौरान श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र समेत आसपास के इलाकों के लिए कई घोषणाएं की। साथ ही कांग्रेस समेत विपक्ष को निशाने पर लिया। यही नहीं, भाजपा ने रैली के जरिये श्रीनगर क्षेत्र में अपनी बढ़ी ताकत का अहसास कराने का भी प्रयास किया।
केंद्रीय राज्यमंत्री भट्ट ने पूर्व सीएम खंडूड़ी से की मुलाकात
केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने शुक्रवार को देहरादून प्रवास के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी (सेनि) से उनके वसंत विहार स्थित आवास पर शिष्टाचार भेंट की। केंद्रीय राज्यमंत्री भट्ट ने मुलाकात के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री खंडूड़ी के स्वास्थ्य की जानकारी ली। इस दौरान दोनों नेताओं के मध्य विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। केंद्र में राज्यमंत्री बनने के बाद भट्ट ने पहली बार खंडूड़ी से मुलाकात की। हालांकि, 16 अगस्त को जन आशीर्वाद यात्रा के तहत भट्ट देहरादून पहुंचे थे, लेकिन तब उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी।
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