इंसान के पहले शिक्षक हैं माता व पिता – सभी शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनायें
इंसान के पहले शिक्षक हैं माता व पिता, जो बच्चों की उंगुली थामकर उसे चलना सिखाते हैं।
वह शिक्षक ही होता है जो एक व्यक्ति को इस काबिल बनाता है कि वह देश की उन्नति और प्रगति में योगदान डाल सके। अगर समाज एक ईमारत है तो शिक्षक उस ईमारत का सृजनकर्ता है।
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुर साक्षात परब्रह्म:, तस्मै श्री गुरुवे नमः
गुरु ब्रम्हा के सामान हैं, गुरु विष्णु के सामान है, गुरु ही महेश्वर यानि शिव के सामान हैं। गुरु सभी देवीं में श्रेष्ठ परब्रम्ह के सामान है, ऐसे गुरु को हमारा नमन है।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए भारतवर्ष में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है। ‘गुरु’ का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है। समाज में उनका अपना एक विशिष्ट स्थान है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा में बहुत विश्वास रखते थे। वे एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे। उन्हें अध्यापन से गहरा प्रेम था। एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनमें विद्यमान थे। इस दिन समस्त देश में भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।
किसी भी बच्चे के लिए गुरू बहुत महत्व रखता है। शिक्षक दिवस यानि कि ”टीचर्स डे” हर स्कूल, कॉलेज और शैक्षिक संस्थान में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। एक गुरू के लिए और एक छात्र के लिए शिक्षक दिवस का बहुत अधिक महत्व होता है। भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक विद्वान शिक्षक थे। उन्होंने अपने जीवन के अमूल्य 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में इस देश के भविष्य को संवारने में अपना योगदान दिया। उनका जन्म दिनांक 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुतनी में हुआ था। उनके उप राष्ट्रपति बनने के बाद उनके मित्रों और कुछ छात्रों ने उनका जन्मदिन मानाने की इच्छा व्यक्त की। डॉ. राधाकृष्णन का कहना था कि उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस में रूप में मनाया जाएगा तो उन्हें बहुत गर्व होगा। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए हर वर्ष उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
सब धरती कागज करूं,
लिखनी सब बनराय।
सात समुन्दर की मसि करूं,
गुरु गुण लिखा न जाय।
सब पृथ्वी को कागज, सब जंगल को कलम, सातों समंदर को स्याही बनाकर लिखने पर भी गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते।
आकाश ज्ञान वाटिका एवं आकाश शिक्षा एवं सांस्कृतिक विकास समिति की ओर से सभी शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनायें एवं बहुत बहुत बधाई।