नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड निठारी कांड के 12वें केस में भी सुरेंद्र कोली को सुनाई फांसी की सजा
आकाश ज्ञान वाटिका, १६ जनवरी २०२१, शनिवार। साल 2006 में हुए निठारी कांड ने देश ही नहीं दुनिया भर में सनसनी फैला दी है। इसमें लाशों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ तो यह दर्जनभर से अधिक चला गया। दरअसल, गांव में रहने वाली एक 20 वर्षीय युवती घरेलू सहायिका थी। 12 नवंबर, 2006 को वह काम पर गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। स्वजन ने काफी तलाशा, लेकिन सुराग नहीं मिला। इसके बाद स्वजन गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए स्थानीय थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की।
29 दिसंबर, 2006 को मोनिंदर सिंह पंधेर की कोठी के पीछे स्थित नाले से लापता हुई बच्चियों व युवतियों के कंकाल बरामद हुए। कोठी से बच्चियों और युवतियों के जूते-चप्पल व कपड़े भी बरामद हुए थे जिसके आधार पर उनकी पहचान की गई थी। इसके बाद पुलिस ने हत्या, अपहरण, दुष्कर्म, साक्ष्य नष्ट करने की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर मोनिंदर सिंह पंधेर व सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। जब देशभर में माहौल गरमा गया तो तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ दिन बाद मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को ट्रांसफर कर दिया गया।
नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड के 12वें मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही उस पर 1.10 लाख का जुर्माना भी लगाया। सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक जेपी शर्मा ने बताया कि निठारी गांव में रहने वाली एक 20 वर्षीय युवती घरेलू सहायिका थी। 12 नवंबर 2006 को वह काम पर गई थी लेकिन वापस नहीं लौटी। स्वजन ने काफी तलाशा, लेकिन उसका कहीं कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद स्वजन गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए स्थानीय थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। 29 दिसंबर 2006 को मोनिंदर सिंह पंधेर की कोठी के पीछे स्थित नाले से लापता हुई बच्चियों व युवतियों के कंकाल बरामद हुए। कोठी से बच्चियों और युवतियों के जूते, चप्पल व कपड़े भी बरामद हुए थे जिसके आधार पर उनकी पहचान की गई थी। इसके बाद पुलिस ने हत्या, अपहरण, दुष्कर्म, साक्ष्य नष्ट करने की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर मोनिंदर सिंह पंधेर व सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। कुछ दिन बाद मामला सीबीआइ को ट्रांसफर कर दिया गया। इस मामले में शुरू में पुलिस ने सिर्फ सुरेंद्र कोली को आरोपित किया था लेकिन सीबीआइ ने गवाहों के बयान के आधार पर मोनिंदर सिंह पंधेर को भी आरोपित बनाया था। साक्ष्यों के अभाव में विशेष अदालत ने शुक्रवार को मोनिंदर सिंह पंधेर को बरी कर दिया था।
इस मामले की सुनवाई 319 दिन चली और 38 लोगों की गवाही हुई। इस मामले में शुरू में पुलिस ने सिर्फ सुरेंद्र कोली को आरोपित किया था, लेकिन सीबीआइ ने गवाहों के बयान के आधार पर मोनिंदर सिंह पंधेर को भी आरोपित बनाया था।