NEET(PG)-2021 में 1456 सीटें खाली, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार एवं मेडिकल काउंसलिंग कमेटी को लगाई फटकार
मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) और केंद्र सरकार छात्रों के लिए काउंसलिंग का माप अप राउंड आयोजित नहीं करके उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं : सुप्रीम कोर्ट
आकाश ज्ञान वाटिका, 8 जून 2022, बुधवार, नई दिल्ली। नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET PG)-2021 में 1456 खाली सीटों पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) एवं सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाता है, तो वह आदेश पारित करेगा और उन्हें मुआवजा भी देगा। न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने एमसीसी के वकील से कहा, ‘भले ही एकल पाठ्यक्रम खाली रह गया हो, यह देखना आपका कर्तव्य है कि सीटें खाली न रहें।’ सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे में यह बताने को कहा है कि सीटें क्यों खाली रह गईं और उन्हें क्यों नहीं भरा जा सका ? सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि आप सीट खाली नहीं छोड़ सकते हैं, आप छात्रों के भविष्य से नहीं खेल सकते, आपको मॉप अप राउंड आयोजित करना चाहिए।
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने नाराजी जताते हुए कहा, “छात्रों के भविष्य के साथ कर रहे खिलवाड़”
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने इस पर नाराजगी जताई कि 2021-22 सत्र में मेडिकल कालेजों में 1456 सीटें खाली रह गई हैं। पीठ का मानना है कि मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) और केंद्र सरकार छात्रों के लिए काउंसलिंग का माप अप राउंड आयोजित नहीं करके उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। पीठ का यह कहना है कि जब सम्बंधित अधिकारियों को मई में यह पता चल गया था कि NEET PG)- 2021 में 1456 सीटें खाली रह गई हैं तो मॉप अप राउंड क्यों नहीं कराया गया ?
सिर्फ एक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के जरिये नहीं चलती है केंद्र सरकार : सुप्रीम कोर्ट
मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी (MCC) के वकील ने दलील देते हुए कहा कि आज यहाँ एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मौजूद नहीं हैं। हमें एक दिन का समय, सभी तथ्यों को विस्तार से बताने के लिए एक हलफनामा पेश करने हेतु दिया जाये। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल के क्षेत्र में यह छात्रों के अधिकारों के संबंध में काफी महत्वपूर्ण मामला है। केंद्र सरकार सिर्फ एक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के जरिये नहीं चलती है। सुप्रीम कोर्ट ने हलफनमा दाखिल करने का समय दे दिया।
“क्या आप छात्रों और अभिभावकों के तनाव के स्तर को जानते हैं ?’
पीठ ने आगे यह भी कहा कि कहा, ‘हमें डॉक्टरों की जरूरत है, कोई कारगर व्यवस्था क्यों नही हैं ? पीठ ने MCC के वकील को दिन के दौरान अपना हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी और जोर दिया, ‘ये छात्रों के अधिकारों से संबंधित बहुत महत्वपूर्ण मामले हैं’।
‘छात्रों को प्रवेश नहीं दिया गया, तो पारित करेंगे आदेश’
सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को गुरुवार को अदालत में उपस्थित रहने का दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश को डाक्टरों और सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा पेशेवरों की जरूरत है। MCC के वकील से कहा कि अगर छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाता है, तो सुप्रीम कोर्ट एक आदेश पारित करेगा और उन्हें मुआवजा भी देगा। शीर्ष अदालत ने संबंधित अधिकारियों को गुरुवार को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया, जब वह मामले में आदेश पारित करेगी।
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘हम मुआवजे का भुगतान करने के लिए आदेश पारित करेंगे, इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है ? कल अपने अधिकारी को बुलाइए।’
एक डाक्टर अथर्व तुंगटकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां कीं हैं, वह वास्तव में मेडिकल शिक्षा व्यवस्था के लिए सरकार एवं एमसीसी की संवेदनशीलता पर सवालिए निशान खड़े करते हैं। अधिवक्ता कुणाल चीमा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है: ‘याचिकाकर्ता इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए विवश है क्योंकि कीमती मेडिकल सीटें अधूरी / गलत तरीके से भरी जा सकती हैं और योग्यता हताहत हो सकती हैं।
आज देश भर में कई राज्यों में मेडिकल शिक्षा व्यवस्था में कई अनियमिततायें देखने को मिल रही है। छात्रों को अपने शिक्षा के अधिकारों को प्राप्त करने के लिए कई बार कोर्ट के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं।