एनआईयूए एवं शहरी विकास निदेशालय की ओर से सेप्टेज प्रबंधन परआयोजित किया गया “स्टेट एवेंट ऑन सेनिटेशन” कार्यक्रम
➤ नोट ऑन को-ट्रीटमेंट, सेप्टेज प्रोटोकॉल पर किया गया एडवाइजरी तथा स्टेट इन्वेस्मेंट प्लान का विमोचन।
➤ सेप्टेज का निस्तारण करने की दिशा में सराहनीय कार्य करने पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया।
➤ शहरी विकास मंत्री ने एनआईयूए की टीम की प्रशंसा की।
आकाश ज्ञान वाटिका, बुधवार, 19 अक्टूबर 2022, देहरादून (जि.सू.का.)। राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (एनआईयूए) और शहरी विकास निदेशालय की ओर से सेप्टेज प्रबंधन पर स्टेट एवेंट ऑन सेनिटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर शहरी विकास मंत्री उत्तराखण्ड सरकार डॉ० प्रेमचंद अग्रवाल ने कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया और कार्यक्रम को सेप्टेज प्रबन्धन के कार्यों को गति प्रदान करने वाला बताया। इस मौके पर 9 नगर निकायों को मंत्री डॉ० अग्रवाल ने सेप्टेज का निस्तारण करने की दिशा में सराहनीय कार्य करने पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया। साथ ही नोट ऑन को-ट्रीटमेंट, सेप्टेज प्रोटोकॉल पर एडवाइजरी तथा स्टेट इन्वेस्मेंट प्लान का विमोचन किया गया।
आज जनपद के जनपद में मसूरी रोड अवस्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय शहरी विकास मंत्री डॉ० प्रेमचंद अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एक पर्वतीय राज्य है, जिसमें 103 शहरी स्थानीय निकाय वर्तमान तक गठित की गयी हैं। बताया कि राज्य के लगभग 80 प्रतिशत परिवार आज भी सेप्टिक टैंक/सोक पिट पर ही निर्भर हैं। इसके लिए सेप्टेज प्रबन्धन के लिए राज्य द्वारा सेप्टेज मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया गया है, जो राज्य की समस्त शहरी स्थानीय निकायों में लागू है।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि इस प्रोटोकॉल के जरिए शहरी निकायों को सेप्टेज मैनेजमेंट सेल का गठन करने, उप विधि बनाने तथा सेप्टेज के सुरक्षित प्रबन्धन के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 93 निकायों में सेप्टेज मैनेजमेंट सेल का गठन किया गया है तथा 34 निकायों द्वारा उप विधि अधिसूचित कर दी गयी है। उत्तराखण्ड राज्य को नमामी गंगे कार्यक्रम में प्राथमिकता के साथ रखा गया है तथा राज्य द्वारा सेप्टेज प्रबन्धन की समस्या से निपटने हेतु निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य स्तर पर निर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ही सेप्टेज की को-ट्रीटमेंट सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये गये हैं। नमामी गंगे कार्यक्रम के तहत हरिद्वार, ऋशिकेश, श्रीनगर तथा देवप्रयाग में को-ट्रीटमेंट सुविधा को अनुमोदित किया गया है। इससे न केवल इन शहरों बल्कि इनके आस-पास के शहरों के सेप्टेज प्रबन्धन में भी सुविधा होगी। राज्य का पहला फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट रूद्रपुर में निर्माणाधीन है जो कि शीघ्र ही क्रियान्वित किया जायेगा। इस प्लांट के द्वारा रूद्रपुर के अतिरिक्त 09 अन्य शहर भी लाभान्वित होंगे। कहा कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ-साथ फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट के इस्तेमाल से शहरों की समावेशी स्वच्छता को प्राप्त करने में राज्य को सहयोग प्राप्त होगा।
कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने एनआईयूए की टीम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि एनआईयूए के सहयोग से शहरी विकास विभाग पिछले 02 वर्षों से सेप्टेज के सुरक्षित प्रबन्धन में निरन्तर कार्य कर रहा है, जिसमें सभी स्टेक होल्डर्स की क्षमता अभिवृद्धि करना, एडवाइजरी दस्तावेज तैयार करना, तकनीकी सहयोग प्राप्त करना तथा निकायों को सहयोग करना शामिल हैं। उन्होंने राज्य को स्वच्छता सर्वेक्षण में पहली बार छ: अवॉर्ड मिलने पर शहरी विकास निदेशालय के अधिकारियों तथा कर्मचारियों की भी प्रशंसा की। इस अवसर पर शहरी विकास मंत्री डॉ० प्रेमचंद अग्रवाल ने सेप्टेज निस्तारण की दिशा में उत्कृष्ट कार्य कर रहे निकायों (हरिद्वार, ऋषिकेश, रूद्रपुर, रामनगर, हल्द्वानी, जबकि ओडीएफ अवॉर्ड से सम्मानित निकाय देहरादून, चंबा, रूड़की, मुनिकीरेती) को प्रशस्ति पत्र देकर अन्य निकायों को भी इनसे प्रेरणा लेने को कहा।
इस मौके पर नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन को लेकर एनआईयूए और शहरी विकास निदेशालय के बीच अनुबंध किया गया। साथ ही नोट ऑन को-ट्रीटमेंट, सेप्टेज प्रोटोकॉल पर एडवाइजरी तथा स्टेट इन्वेस्मेंट प्लान का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर एनआईयूए (राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान) के एडवाइजर राजीव रंजन, सचिव शहरी विकास दीपेंद्र चौधरी, निदेशक शहरी विकास नवनीत पांडे, मुख्य महाप्रबंधक जल संस्थान नीलिमा गर्ग, रूद्रपुर मेयर रामपाल सिंह सहित विभिन्न निकायों के नगर आयुक्त, सहायक नगर आयुक्त, सेनेटरी इंस्पेक्टर, निदेशालय के विभागीय अधिकारी व कर्मचारी तथा एनआईयूए के कर्मचारी मौजूद रहे।