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पेड़-पौधों का संरक्षण हेतु सामाजिक चिन्तन आवश्यक है व वनाग्नि तथा पेड़-पौधों के कटाव को रोकना सभी का सामाजिक दायित्व है

आकाश ज्ञान वाटिका, बुधवार, 9 सितम्बर 2020, नैनीताल (सूचना)। उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्रधिकरण, नैनीताल के माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, नैनीताल/मा० कार्यपालक अध्यक्ष महोदय के निर्देशानुपालन में हिमालयन दिवस के अवसर पर आज 9 सितम्बर 2020 को कार्यालय सभागार में वेबिनार का आयोजन विडियों काॅफ्रेसिंग के माध्यम से किया गया, जिसमें राज्य विधिक सेवा प्रधिकरण के सदस्य-सचिव डाॅ० ज्ञानेन्द्र कुमार शर्मा व विशेष कार्याधिकारी मो० यूसुफ और समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव/सिविल जज (प्रवर खण्ड) व दो-दो नामित अधिवक्तागण और पाँच-पाँच पैरा विधिक कार्यकर्तागण ने वेबिनार में प्रतिभाग किया। हिमालय दिवस पर पर्यावरण संरक्षण विषय पर सदस्य-सचिव महोदय ने बताया कि पेड़-पौधों का संरक्षण हेतु सामाजिक चिन्तन आवश्यक है व वनाग्नि तथा पेड़-पौधों के कटाव को रोकना सभी का सामाजिक दायित्व है। महिलाओं का मानसिक विचार परिवर्तन करना जरूरी है, जिससे वे हिमालयी क्षेत्रों में पेड़-पौधों का कटान व वनाग्नि इत्यादि अनावश्यक रूप से न करें, जिसके उपाय हेतु ऐसी औद्योगिकरण नीति को बढ़ावा देना चाहिए जो पहाड़ी क्षेत्रों के अनुकूल हो व प्रकृति के साथ कभी भी किसी के द्वारा छेड़-छाड़ नहीं किया जाना चाहिए। महोदय द्वारा हिमालय संरक्षण की शपथ दिलायी गयी तथा 13 जनपदों के सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों से अनुरोध किया गया कि हिमालय संरक्षण हेतु वन विभाग के सहयोग से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व समस्त पैरा विधिक कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में आपसी समन्वय स्थापित करते हुए पहाड़ी क्षेत्रों के जंगलों को वनाग्नि से रोकने पर कार्य करें तथा अधिक से अधिक पौधा-रोपण करने का संकल्प लेते हुए पौधा-रोपण करें। उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राज्य में बृहद पौधारोपण करने की योजना पर कार्य कर रही है, जिसमें प्रत्येक न्यायिक अधिकारी प्रति सप्ताह एक पौधा लगाये एवं संवर्धन किये जाने पर विचार किया जा रहा है। उपरोक्त अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली के सचिव श्री सुधीर सिंह द्वारा वेबिनार के माध्यम से बताया कि हिमालय के संरक्षण की आवश्यकता है, उत्तराखण्ड की लगभग 65 प्रतिशत मैदानी क्षेत्र की जनता को हिमालयन नदियों द्वारा जल की आपूर्ति होती है। ग्लोबल वार्मिंग और मानवीय हस्तक्षेप बढ़ने के कारण हिमालय के पर्यावरण पर खतरा उत्पन्न हो गया है, जिसका समय से समाधान किया जाना आवश्यक है। इसी क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, ऊधम सिंह नगर के सचिव श्री अविनाश कुमार श्रीवास्तव द्वारा बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय पर्वतों में प्राकृतिक संसाधनों की कमी होती जा रही है। आज के वर्तमान समय में हमारे द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दुरूपयोग किया जा रहा है, इसका विकास सतत् होना चाहिए ताकि आने वाली पीढियाँ संसाधनों का उचित रूप से लाभ प्राप्त कर सके। जल संरक्षण पहाडों में आवश्यक है इसके उपाय के लिए वर्षा का जल संचय किया जाना जरूरी है।
वेबिनार का संचालन उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी श्री मोहम्मद यूसुफ, सिविल जज (प्रवर खण्ड) द्वारा किया गया।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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