‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ का उद्देश्य : पत्रकारों को सशक्त बनाने के साथ ही प्रेस की स्वतन्त्रता को बनाये रखना
[highlight]राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता के साथ ही जिम्मेदारियों का हमें अहसास कराता है।[/highlight]
आकाश ज्ञान वाटिका, 16 नवम्बर 2020, सोमवार। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता के साथ ही जिम्मेदारियों का हमें अहसास करता है। भारतवर्ष में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी पिछले पचास से ज्यादा दशकों से है। भारत में आजादी के आंदोलन में प्रेस की अहम् भूमिका थी। प्रेस ने बहुत जिम्मेदारी के साथ जनता की आवाज बुलंद की तथा बिना भय और लोभ-लालच के अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। महात्मा गाँधी से लेकर लोकमान्य तिलक, गणेश शंकर विद्यार्थी, लाला लाजपत राय, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, महावीर प्रसाद द्विवेदी, वियोगी हरि और डॉ० राम मनोहर लोहिया जैसे पत्रकारों का नाम हम बहुत सम्मान से लेते हैं। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से देशवासियों दिल और दिमाग में आजादी के आंदोलन का जज्बा भर दिया था।
प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एवं पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से प्रथम प्रेस आयोग ने देश में एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी, जिसके फलस्वरूप 4 जुलाई, 1966 को देश में एक प्रेस परिषद की स्थापना की गई तथा लगभग चार महीने उपरान्त 16 नवम्बर, 1966 से इस प्रेस परिषद ने अपना विधिवत कार्य करना प्रारम्भ किया। 16 नवम्बर, 1966 से लेकर अब तक प्रतिवर्ष 16 नवम्बर का दिन ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ का मुख्य उद्देश्य पत्रकारों को सशक्त बनाने के साथ प्रेस की स्वतन्त्रता को बनाये रखना है।
धीरे-धीरे आज पत्रकारिता का क्षेत्र इतना व्यापक हो चूका है की कोई भी एवं किसी भी तरह का क्षेत्र इसकी पकड़ से अछूता नहीं है। पत्रकारिता जन-जन तक सूचनात्मक, शिक्षाप्रद एवं मनोरंजनात्मक संदेश पहुँचाने का एक त्वरित माध्यम है। मीडिया को ‘समाज का दर्पण’ कह्या जाता जाता है। चाहे समाचार पत्र हों, न्यूज़ चैनल चैनल या फिर सोशल मीडिया पोर्टल्स, सभी सभी का लक्ष्य सत्य एवं स्पष्ट घटना / न्यूज़ को समाज के कोने कोने तक पहुँचना एवं जन-मुद्दों को घर-घर तक पहुँचना है, इसीलिए सभी समाज के दर्पण होते हैं।
भारतीय मीडिया ने अखबार तथा रेडियो के दिनों से लेकर वर्तमान युग में टेलीविजन और सोशल मीडिया तक एक लंबा सफर तय किया है। मीडिया को लोकतंत्र का “चौथा स्तम्भ” माना गया है जो सरकार और देश के नागरिकों के बीच एक श्रृंखला के रूप में कार्य करते हैं। मीडिया पर लोगों को विश्वास होता है।
समाज को मीडिया से काफी उम्मीदें होती हैं। अतः मीडिया कर्मियों को भी चाहिए कि वह हमेशा लोगों के विश्वास पर खरे उतरकर एक सत्य, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पत्रकारिता के जज़्बे को बुलंद रखें।
[highlight]“राष्ट्रीय प्रेस दिवस” के उपलक्ष में समस्त मीडिया जगत से जुड़े सम्मानित जनों को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें। आप हमेशा सुखी, स्वस्थ्य एवं समृद्ध रहें एवं अपनी लेखनी के माध्यम से लम्बे समय तक सामाजिक हितों के लिए कार्य करते रहें, यहीं कामना करते हैं।”[/highlight]