जसवंत सिंह रावत का साहस देख गर्व से चौड़ा हो गया सीना
देहरादून। शहीद जसवंत सिंह रावत पर बनी फिल्म 72 आवर्स: मार्टियर हू नेवर डाइड शुक्रवार को देशभर में रिलीज हो गई। फिल्म को लेकर दूनवासियों में खासा उत्साह रहा। स्थानीय निर्माता, निर्देशक, कलाकारों द्वारा बनाई गई फिल्म कम बजट के बावजूद दून के दर्शकों के दिल को छू गई। उन्होंने माना कि जसवंत केवल राज्य के ही नहीं, बल्कि नेशन के हीरो हैं। उन पर स्थानीय कलाकारों ने फिल्म बनाने का जो प्रयास किया, वह सराहनीय है। फिल्म में जसवंत सिंह की वीर गाथा का चित्रण देख दूनवासियों का सीना गर्व से फूल गया।
दून में सिल्वर सिटी मल्टीप्लेक्स, मुक्ता ए टू, पीवीआर, कार्निवाल सिनेमा में फिल्म के शो दिखाए गए। सभी सिनेमाघरों में शो हाउसफुल रहे। फिल्म की कहानी फोर्थ गढ़वाल के रायफलमैन जसंवत सिंह रावत की वीरता की दास्तां बयान करती है। जो अपने उच्च सैन्य अधिकारियों के आदेश के बावजूद वह अरुणाचल प्रदेश के नूरानंग में अपनी पोस्ट छोड़ने को तैयार नहीं होते और हथियारों और संसाधनों के अभाव में भी 300 चीनी सैनिकों से अकेले 72 घंटे तक लड़ते हुए अंत में वीरगति को प्राप्त होते हैं। निर्देशक के तौर पर अविनाश ध्यानी ने फिल्म में जसवंत सिंह की वीरता को बखूबी बयां किया है।
वहीं अभिनेता के रूप में भी उन्होंने राइफलमैन जसवंत सिंह रावत को जीने का प्रयास किया है। मंझे हुए कलाकार मुकेश तिवारी, अलका अमीन, शिशिर शर्मा और वीरेंद्र सक्सेना ने फिल्म में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। नूरा के रूप में येशी देमा काफी खूबसूरत लगी हैं। नूरा और जसवंत के प्रेम प्रसंग पर फिल्माया गीत तुम बेपनाह..को मोहित चौहान ने बेहद खूबसूरत अंदाज में गाया है। इसके अलावा सुखविंदर की आवाज में देशभक्ति गीत वंदेमातरम जज्बा पैदा करता है। डायलॉग सुन बजीं सीटियां फिल्म में एक डायलॉग ‘जंग इसलिए होती है कि हम सैनिकों को जंग न लग जाए’ काफी प्रभावशाली है। वहीं ‘तुम्हारे आने वाले कल के लिए उन्होंने अपना आज कुर्बान कर दिया’ मार्मिक है। गढ़वाली लहजा और प्रयोग किए गए गढ़वाली बोली के शब्दों पर भी दर्शकों ने खूब सीटियां बजाई।
यह रियल हीरो की है कहानी
प्रतिभा रावत निवासी सरस्वती विहार ने कहा कि यह रियल हीरो की कहानी है। यह हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि शहीद हमारे राज्य से हैं। यही फिल्म का आकर्षण है। निर्माता, निर्देशक ने काफी अच्छा प्रयास किया है।
राजेंद्र निवासी गोविंदगढ़ ने कहा कि बेहद ताज्जुब की बात है कि अभी तक किसी फिल्म निर्माता या निर्देशक ने इस विषय पर फिल्म बनाने की नहीं सोची। राज्य के युवाओं ने फिल्म को लेकर जो पहल की मैं उसे बेहद खुश हूं।
तरुण और प्राशिल रावत (निर्माता जसवंत सिंह) का कहना है कि हमने शहीद जसवंत सिंह रावत के अदम्य साहस की इस गाथा को लोगों तक पहुंचाने के लिए यह फिल्म बनाई है। यह हमारे द्वारा किया गया महज एक प्रयास है। जो कमियां रह गई, आगे उन पर काम किया जाएगा। सभी के सहयोग की जरूरत है।
अभिनेता अविनाश ( निर्देशक) का कहना है कि बतौर निर्देशक यह मेरी पहली फिल्म है। मैंने अपना सौ प्रतिशत देने का प्रयास किया है। बाकि दर्शकों के सहयोग की उम्मीद करता हूं।
ध्यानी बचपन से भाई के किस्से सुने थे आज देख भी लिए
मैंने कभी अपने भाई को देखा नहीं, उनकी शहादत के छह साल बाद मेरा जन्म हुआ। लेकिन, बचपन से ही उनकी वीरता के किस्से सुनते आया हूं। हमेशा ही उन पर गर्व रहा है। आज फिल्म के माध्यम से उनके साहस की चित्रण भी देख लिया। फिल्म निर्माताओं के इस प्रयास की सराहना करता हूं। यह बातें शहीद जसवंत के छोटे भाई डोभालवाला निवासी रणवीर सिंह रावत ने शुक्रवार को फिल्म देखने के बाद कहीं। अपनी पत्नी रजनी के साथ सिल्वर सिटी में फिल्म देखने पहुंचे रणवीर ने फिल्म देखने के बाद दैनिक जागरण से अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने भाई पर गर्व है। उन्हें खुशी है कि जो लोग उनके भाई के बलिदान और साहस से ठीक से परिचित नहीं थे, फिल्म के माध्यम से वह भी उन्हें जान पाएंगे। इस फिल्म के माध्यम से सभी को उनकी वीरगाथा जानने का मौका मिलेगा। उन्होंने इस प्रयास की खूब सराहना की।