शहीद मोहन नाथ गोस्वामी समेत एक दर्जन शहीदों के घर से मिट्टी उठाकर सैन्य धामों के लिए रवाना की गयी सैनिक सम्मान यात्रा
आकाश ज्ञान वाटिका, 21 नवम्बर 2021, रविवार, लालकुआँ/हल्द्वानी(सूचना)। सैनिक कल्याण विभाग उत्तराखंड द्वारा पूरे राज्य में आयोजित सैनिक सम्मान यात्रा के प्रथम चरण में शहीद सैनिकों के घरों से मिट्टी उठाने का शुभारंभ किया गया। जिसके तहत पुलिस, प्रशासनिक, सैन्य अधिकारियों और क्षेत्र के जन-प्रतिनिधियों की मौजूदगी में शहीद मोहन नाथ गोस्वामी समेत एक दर्जन शहीदों के घर से मिट्टी उठाकर सैन्य धामों के लिए रवाना की गयी।
शनिवार की प्रातः यहाँ शहीद स्मारक स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि एवं स्मारक स्थल पर पुष्प चक्र चढ़ा कर सैनिक सम्मान यात्रा का विधिवत शुभारंभ किया गया। शहीद स्मारक स्थल से प्रशासनिक एवं सैन्य अधिकारी इंदिरानगर निवासी शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के आवास में पहुँचे, जहाँ उनकी वीरांगना भावना गोस्वामी व पुत्री भूमिका ने घर के आँगन से मिट्टी उठाकर सैन्य अधिकारियों को सौंपी। इस दौरान भारी संख्या में भारतीय सेना के अधिकारियों, पूर्व सैनिकों, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और क्षेत्रीय जनता ने अशोक चक्र प्राप्त शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की, तथा उन्हें याद किया। इसके बाद सैनिक सम्मान यात्रा शहीद गोविंद सिंह पपोला के आवास में पहुँची, और वहाँ की मिट्टी लेकर शहीद शेखर चंद्र फुलारा, शहीद कृष्ण लाल, शहीद जीवन खोलिया, शहीद धनीराम, शहीद जगत सिंह सहित एक दर्जन शहीदों के घरों से मिट्टी लेकर सैन्य धाम हल्द्वानी के लिए सैनिक सम्मान यात्रा रवाना हुई।
इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक नवीन दुम्का, जिला सैनिक कल्याण पुनर्वास अधिकारी कैप्टन सेनि आरएस धपोला, पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष मेजर सेनि. बीएस रौतेला, भारतीय सेना की हल्द्वानी छावनी की मेजर मोहिता मल्होत्रा, उप जिलाधिकारी मनीष कुमार सिंह, पुलिस क्षेत्राधिकारी सर्वेश पवार, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हेमंत द्विवेदी, भाजपा जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, सांसद प्रतिनिधि लक्ष्मण खाती, डॉ० मोहन बिष्ट, दीवान सिंह बिष्ट, बीना जोशी, दीपक जोशी, पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष खिलाफ सिंह दानू, प्रकाश मिश्रा, दलवीर सिंह कफोला, बलवंत दानू, सुंदर सिंह खनका, हुकम सिंह, चंचल सिंह कोरंगा और गोविंद फुलारा सहित सैकड़ों की संख्या में पूर्व सैनिक और स्थानीय ग्रामीण मौजूद थे।