सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने सैनिकों के सम्मान तथा उनके कल्याण से सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों के साथ आयोजित की समीक्षा बैठक
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आकाश ज्ञान वाटिका, 30 मार्च 2021, मंगलवार, देहरादून। प्रदेश के सैनिक कल्याण, औद्योगिक विकास, खादी ग्रामोद्योग एवं लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम विभाग मंत्री गणेश जोशी द्वारा सैनिकों के सम्मान तथा उनके कल्याण से सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों के साथ विधान सभा कक्ष में समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
बैठक में मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड सैनिकों की भूमि है और लगभग भारत का हर पाॅंचवा सैनिक उत्तराखण्ड से है। इसी को देखते हुए हमारी सरकार सैनिकों के सम्मान तथा उनके कल्याण हेतु महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है। जिसमें उत्तराखण्ड का पाॅचवा धाम सैन्यधाम की स्थापना का निर्णय लिया जा चुका है तथा अब सरकार द्वारा निर्णय लिया जा रहा है कि प्रथम विश्व युद्ध से लेकर अब तक जितने भी उत्तराखण्ड के सैनिक शहीद हुए है उनके घर जाकर एक सम्मान पत्र सम्बन्धित परिवार को दिया जायेगा और उनके घर से मिटटी लेकर सैन्यधाम में लेकर आयेंगे। इसके लिए उन्होंने निदेशक सैनिक कल्याण को निर्देश दिये कि दस दिनों के भीतर इसका रोडमैप तैयार करें। शहीद परिवारों के घरों से मिटटी लाने से सम्बन्धित सैनिक सम्मान यात्रा की शुरूआत गढ़वाल से दूरस्थ क्षेत्र चमोली के सबाड जहाॅ से सबसे अधिक गैलेंटियर्स अवार्ड प्राप्त सैनिक है तथा कुमाऊॅं के धारचूला से इस सैनिक सम्मान यात्रा की शुरूआत की जायेगी।
मा० मंत्री गणेश जोशी ने सैनिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को विभिन्न जनपदों में सैनिक विश्राम गृह की वस्तुस्थिति का विवरण प्राप्त करते हुए निर्देश दिये कि जहाॅ पर सैनिकों का अधिक आना-जाना रहता है उन क्षेत्रों में नये सैनिक विश्राम गृह तथा पुराने व जर्जर हो चुके सैनिक विश्राम गृहों की मरम्मत करने हेतु प्रस्ताव तैयार करें। उन्होंने सेना की भर्ती की तैयारी करने वाले बच्चों को गढ़वाल मण्डल में उपनल के स्वामित्व वाली भूमि पर ही प्रशिक्षण हेतु इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने व कुमाऊॅं में एैसे बच्चों के प्रशिक्षण तथा विश्राम स्थल हेतु भूमि के चयन के लिए अधिकारियों को सम्बन्धित विभागों से पैरवी करने के निर्देश दिये।
इस अवसर पर बैठक में निदेशक सैनिक कल्याण बिग्रे. के.बी. चन्द, उप निदेशक सैनिक कल्याण विजय सिंह थापा, कर्नल डी.के. कौशिक, ए.के. चौधरी व ओ.पी. फर्सवाण, ले.क. बी.एस. बिष्ट, मेजर करन सिंह आदि सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।