प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर का लोकार्पण, तिथि 13 दिसंबर तय
आकाश ज्ञान वाटिका, 23 नवम्बर 2021, मंगलवार, लखनऊ। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर के लोकार्पण की तिथि तय हो गई है। 13 दिसंबर को ही लोकार्पण होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर का लोकार्पण करेंगे। भव्य आयोजन के लिए जिला प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। दशमी तिथि के शुभ संयोग में बाबा के धाम का लोकार्पण किया जाएगा। यह पूर्ण तिथि है और इसमें नया वाहन खरीदना, शिलान्यास और उद्घाटन शुभ माना गया है। इसे दोषों के समूह को नष्ट करने वाले रवियोग का संयोग प्राप्त हो रहा है। ऐसे मास में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण देशहित में रहेगा
तिथि को लेकर श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि 20 नवंबर से अगहन माह की शुरुआत हो गई है और यह 19 दिसंबर तक रहेगा। संस्कृत के अग्रहायण शब्द से इसका नाम पड़ा। अग्रहायण यानी आगे रहने वाला यानी साल का पहला महीना। सतयुग में इसी माह से नए वर्ष की शुरुआत होती थी। इस महीने की पूर्णिमा तिथि पर मृगशिरा नक्षत्र होने से इसे मार्गशीर्ष कहा जाने लगा। इस पवित्र महीने में ही भगवान शिव-पार्वती और श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था।
वेदों में मार्गशीर्ष का नाम सह मास :
वेदों में मार्गशीर्ष महीने को सह मास कहा गया है। यानी यह महीना समानता का है। इस महीने किए गए सभी व्रत और पूजा का पूरा फल जल्द मिलता है। इस माह किए गए हर तरह के शुभ काम भगवान को अर्पित होते हैं। वैदिक काल से ही मार्गशीर्ष माह को बहुत विशेष माना गया है। इसके नाम से ही पता चलता है कि ये सभी महीनों में शीर्ष पर होने के कारण अग्रणी और सबसे ज्यादा खास है।
अगहन में शिव विवाह :
शिवपुराण के 35वें अध्याय में रुद्रसंहिता के पार्वतीखंड में बताया है कि महर्षि वशिष्ठ ने राजा हिमालय को शिव-पार्वती विवाह के लिए समझाते हुए विवाह का मुहूर्त मार्गशीर्ष महीने में होना तय किया था। इसके बारे में इस संहिता के 58 से 61 वें श्लोक में बताया गया है। शिवपुराण में बताए गए तिथि और महीने के मुताबिक ये दिन इस साल 21 नवंबर को पड़ रहा है।
श्रीराम-सीता विवाह :
धर्म ग्रंथों के जानकरों के मुताबिक अगहन महीने में ही श्रीराम-सीता का विवाह संपन्न हुआ था। त्रेतायुग में मार्गशीर्ष महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था। इस शुभ पर्व पर तीर्थ, स्नान-दान और व्रत-उपवास के साथ भगवान राम-सीता की विशेष पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी भी कहा जाता है।