झारखंड के स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय को देश को समर्पित किया
आकाश ज्ञान वाटिका, 15 नवम्बर 2021, सोमवार, वाराणसी। झारखंड के स्थापना दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय को देश को समर्पित किया है। उन्होंने इसका उद्घाटन वर्चुअल तरीके से किया। इसके जरिए लोग आदिवासी समाज को जान सकेंगे बल्कि उनका उत्थान करने वालों से भी रूबरू हो सकेंगे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जल्द ही देश में इस तरह के और आदिवासी संग्रहालय हमें देखने को मिलेंगे। ये देश के कई राज्यों में बनेंगे जिसमें गोवा और गुजरात भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने न सिर्फ अपने समाज में फैली कुरीतियों को और गलत सोच के खिलाफ आवाज उठाने का साहस किया बल्कि उनको बदलने की भी ताकत रखी। उन्होंने विदेश सोच और ताकत को घुटनों पर ला दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वो केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक परंपरा हैं। बता दें कि बिरसा मुंडा एक हाथ खोने के बावजूद अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते रहे थे।
पीएम मोदी ने कहा कि वो अटल बिहारी वाजपेयी की ही अभूतपूर्व क्षमता थी जिसकी वजह से झारखंड एक अलग राज्य बना और अस्तित्व में आया। उन्होंने ही केंद्र में एक नया मंत्रालय आदिवासियों के हितों के लिए बनाया। इसमें उनके लिए नीतियां बनाई गईं। झारखंड के स्थापना दिवस के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी श्रद्धांजलि देता हूं
भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के लिए पूरे देश के जनजातीय समाज, भारत के प्रत्येक नागरिक को बधाई देता हूं। ये संग्रहालय, स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान का, विविधताओं से भरी हमारी आदिवासी संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा।भारत की पहचान और भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए भगवान बिरसा मुंडा ने अपने आखिरी दिन रांची की इसी जेल में बिताए थे।
आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा जानते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है। वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वो बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के, कमियों के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया। भारत की सत्ता, भारत के लिए निर्णय लेने की अधिकार-शक्ति भारत के लोगों के पास आए, ये स्वाधीनता संग्राम का एक स्वाभाविक लक्ष्य था। लेकिन साथ ही, ‘धरती आबा’ की लड़ाई उस सोच के खिलाफ भी थी जो भारत की, आदिवासी समाज की पहचान को मिटाना चाहती थी।
भगवान बिरसा ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग किया। इसलिए, वो आज भी हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में उपस्थित हैं। भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसे ही 9 और संग्रहालयों पर तेजी से काम हो रहा है। बहुत जल्द गुजरात के राजपीपला, आंध्र प्रदेश के लम्बासिंगी, छत्तीसगढ़ के रायपुर, केरल के कोझीकोड, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, तेलंगाना के हैदराबाद, मणिपुर के टमिंगलोंग, मिजोरम के कैल्सि में, गोवा के पोंडा में इन संग्राहलयों को हम साकार रूप लेते हुए देखेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भगवान बिरसा के नेतृत्व में मुंडा आंदोलन हो, या फिर संथाल संग्राम और खासी संग्राम हो, पूर्वोत्तर में अहोम संग्राम हो या छोटा नागपुर क्षेत्र में कोल संग्राम। भारत के आदिवासी बेटे बेटियों ने अंग्रेजी सत्ता को हर कालखंड में चुनौती दी। धरती आबा बहुत लंबे समय तक इस धरती पर नहीं रहे थे। लेकिन उन्होंने जीवन के छोटे से कालखंड में देश के लिए एक पूरा इतिहास लिख दिया, भारत की पीढ़ियों को दिशा दे दी।
देश ने तय किया है कि स्वतंत्रता दिवस के अमृत काल में आदिवासी समुदाय की संस्कृति और उनकी गौरवशाली परंपरा को एक नई पहचान दी जाए। भगवान बिरसा मुंडा की जयंति के मौके पर ये एतिहासिक फैसला लिया गया है। उनके जन्मदिवस को अब जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा। जिस वक्त महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीतियों के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे, उसी समय देश में भगवान बिरसा मुंडा विदेशी ताकतों से भारत को आजाद कराने की लड़ाई छेड़े हुए थे। पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने अपना लंबा जीवन आदिवासी भाई-बहनों और बच्चों के साथ बिताया है। उनके सुख-दुख को बेहद करीब से देखा है। उनकी जरूरतों को पहचाना है। इसलिए आज का दिन मेरे लिए बेहद खास है।