प्रकाश पर्व पर पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने 18 मिनट के संबोधन में तीनों कृषि कानून वापस लेने का किया बड़ा ऐलान
जानिए उन तीन नए कृषि कानूनों के बारे में, जिन्हें 14 महीने बाद मोदी सरकार ने किया वापस लेने का ऐलान
प्रधानमंत्री बोले किसानों के हित में नेक नीयत से लाई थी सरकार कृषि कानून
आकाश ज्ञान वाटिका, 19 नवम्बर 2021, शुक्रवार, नई दिल्ली। किसानों के हठ को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इस ऐलान के लिए दिन चुना गया, प्रकाश पर्व का। पीएम मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम 18 मिनट के संबोधन में यह बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून किसानों के हित में नेक नीयत से लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे।
मोदी के संबोधन की 5 बड़ी बातें
- सबसे पहले प्रकाश पर्व और देव दीपावली की शुभकामनायें
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, श्मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरु नानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूँ। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया है। - हमारी सरकार देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी
पीएम मोदी ने कहा कि गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढ़ियाँ जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश कर रहा है।
- कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी 10 हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की प्लानिंग है। हमने एमएसपी और क्रॉप लोन बढ़ा दिया है। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। इसी अभियान में तीन कृषि कानून लाए गए थे, ताकि किसानों को फायदा हो। हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। लेकिन इतनी पवित्र बात कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।
- कानून वापसी का फैसला, इसी महीने शुरू होगी प्रॉसेस
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें बदलने को भी तैयार थे। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज देशवासियों को यह बताने आया हूँ कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने इनकी वापसी की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।
- किसान कल्याण हमारी सरकार की प्राथमिकता
देश के हर 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। हमने किसान कल्याण को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी। हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना को प्रभावी बनाया गया। आज छोटे किसानों को फसल बीमा का लाभ मिल रहा है। 22 करोड़ किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। छोटे किसानों को ताकत देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।
तीनों कृषि कानून, जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान
तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर, 2020 को लोकसभा ने मंजूर किया था। राष्ट्रपति ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सिंतबर 2020 को दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। ये तीनों कानून इस तरह हैं :
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
इस कानून में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है, जहाँ किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। कानून में राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम करने की बात भी इस कानून में है।
- कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
इस कानून में कृषि करारों (एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। ये कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म, प्रॉसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता है। इसके साथ किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात इस कानून में है।
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। सरकार के मुताबिक, इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी, क्योंकि बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।