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दस साल बाद भी विमान लापता है

साभार : श्रुति व्यास
आकाश ज्ञान वाटिका, शनिवार, 9 मार्च 2024, देहरादून। क्या आपको एमएच 370 याद है ? वह फ्लाइट जो आकाश से अचानक गायब हो गई थी और जिसका फिर कुछ पता ही नहीं चला। इस विशाल हवाई जहाज़ का एक छोटा सा टुकड़ा तक नहीं मिला। कोई खिडक़ी, पंख का टूटा हुआ हिस्सा, कोई कटा-फटा सूटकेस जिसमें मरने वाले के कपड़े अभी भी हों, कोई उखड़ी हुई सीट जिसमें एक क्षत-विक्षत कंकाल सीट बेल्ट से बंधा हो, उसकी निर्जीव उंगलियां हैंडल को पकड़े हुई हों और उसके मुँह पर आखिरी साँस लेने के ठीक पहले की ऐंठन हो। कुछ भी नहीं मिला। एकदम नहीं।

“आल राईट, गुड नाईट” ये वे आखिरी शब्द थे जो एमएच 370 से प्रसारित किये गए और 8 मार्च 2014 को एयर ट्रेफिक कण्ट्रोल द्वारा सुने गए। उस समय विमान थाईलैंड के फुकेट नामक द्वीप के नज़दीक था। और फिर न जाने क्या हुआ कि ये अत्याधुनिक बोईंग 737 अदृश्य हो गया। यह जहाज़ सेटेलाइट ट्रेकिंग और सतत संवाद के आधुनिकतम उपकरणों से लैस था। मगर फिर भी हमें नहीं पता कि वो कहाँ गया। 9/11 से पहले से ही डरे हुए विमान यात्रियों के लिए यह घटना एक नया खौफ लेकर आई।

इस विमान के लापता होने के बाद के शुरूआती सालों में हर कोई उसके रहस्य पर से पर्दा उठाने में जुटा रहा। विमान के गायब होने के बाद कुछ दिनों तक उसके बारे में इतनी कम जानकारी उपलब्ध थी कि मध्य एशिया के कजाकिस्तान से लेकर अंटार्टिका तक के विशाल भू-भाग में उसे खोजा जा रहा था। यह मामला लंबे समय तक सुर्खियों में बना रहा। अंतत: विमान का क्या हुआ, वह कहाँ गिरा, दुर्घटना की वजह क्या थी, क्या कोई जिंदा बचा – इस सबके बारे में कयास लगाए जाते रहे।

हर नई खबर और हर नई जानकारी विमान या उसके मलबे की खोज के लिए चल रहे अभियान में जनता की रूचि दुबारा जगा देती थी। घटना के बाद के हफ्तों, महीनों और सालों में उपग्रहों और रडार डाटा और यहां तक कि समुद्र की लहरों के प्रवाह की दिशा के विश्लेषण से खोज का इलाका सिमटकर छोटा होता गया। खोज अभियान में करोड़ों डालर खर्च हो गए। मामले का राजनीतिकरण भी हुआ और मलेशिया को खलनायक बताया गया। जितने मुंह उतनी बातें। तरह-तरह के कारण सुझाए गए। साजिशों की बात भी आई। जहाज़ के कप्तान को 239 यात्रियों का हत्यारा भी बताया गया। उनके परिवार को भद्दे तानों और गालियों का निशाना बनाया गया।

आज दस साल बाद भी उनका परिवार अलग-थलग रह रहा है। इसके अलावा यह आशंका भी व्यक्त की गई कि जहाज़ के गायब होने में किसी नापाक देश की किसी नापाक संस्था का हाथ है, जिसने या तो विमान को मार गिराया या उसे गायब करवा दिया। या विमान को किसी खुफिया जगह पर उतारा गया क्योंकि उसमें संवेदनशील प्रकृति का कोई सामान था या राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कोई व्यक्ति सवार था।
कई महीनों तक इसके लापता यात्रियों के बारे में जांच-पड़ताल चलती रही। ऐसे आरोप लगाए गए कि उनमें से किसी एक ने या उनमें से कुछ ने मिलकर विमान पर कब्जा कर उसके सभी यात्रियों को सामूहिक हत्या-आत्महत्या की साजिश का शिकार बना दिया। इसके अलावा कम नाटकीय वजहों पर भी विचार किया गया जिनमें किसी व्यक्ति का कोई हाथ न रहा हो, जैसे विद्युत प्रणाली का नाकाम हो जाना, आग लग जाना या काकपिट में अचानक वायु के दबाव में कमी आ जाना। ढ़ाई साल के विश्लेषण, कयासों, चर्चाओं और अनुमानों के बाद एमएच 370 ने टाईटन के डूबने की तरह एक ऐतिहासिक घटना का दर्जा हासिल कर लिया।

कोरा पर एक अत्यंत जिज्ञासु व्यक्ति ने प्रश्न पोस्ट किया : “क्या आप मानते हैं कि एमएच 370 के यात्री टीवी शो ‘लॉस्ट’ के पात्रों की तरह जीवित हैं ?” एक आशावादी ने इसका जवाब दिया (जिसे 28 लाख लोगों ने पढ़ा) – ‘‘मैं व्यावहारिक तो हूँ  लेकिन मैं यह विश्वास करना चाहता हूँ कि इस विमान के यात्री ‘लॉस्ट’ की तरह जी रहे हैं”। ‘लॉस्ट’ सन 2004 से 2010 तक प्रसारित एक अमेरिकी टीवी सीरियल था जिसमें यह दिखाया गया था कि एक विमान, जो दुनिया के नजऱों में क्रेश हो चुका है, के यात्री एक निर्जन द्वीप में रह रहे हैं।

आज दस साल बाद भी सवालों के जवाब किसी के पास नहीं हैं। दुनिया अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में मसरूफ है लेकिन बीच-बीच में उसे यह घटना याद हो आती है। मलेशिया, जो उस समय चाहता था कि इस मामले को भुला दिया जाए, ने घटना के दस साल पूरे होने के मौके पर घोषणा की है कि जाँच दुबारा शुरू की जाएगी।

सो, दस साल बाद भी घाव ताजा हैं। त्रासदी बार-बार याद आती है। और उसके रहस्य पर से पर्दा हटाने की इच्छा भी कायम है। यह मनुष्य का स्वभाव है कि कोई भी भयावह और रहस्यमय घटना एक बार मन में बैठ जाए तो वह जुनून बन जाती है। टाईटेनिक और एमएच 370 आज के दौर की गुत्थी हैं।

विमान के यात्रियों के परिवारजन, जो अंतिम उत्तर का अब भी इंतजार कर रहे हैं, की उम्मीदें एक बार फिर जाग गई हैं। “भले ही 10 साल हो जायें, 20 साल हो जायें या उससे भी ज्यादा समय बीत जाए, जब तक हम जिंदा हैं तब तक हम सच्चाई को सामने लाने के लिए दबाव डालते रहेंगे। हमें विश्वास है कि अंतत: सच सामने आएगा”। यह कहना है चीन के बाई ज्होंग का जिनकी पत्नि इस विमान में थीं। लेकिन दु:ख झेल रहे अधिकांश लोगों का दृढ़ विश्वास है कि उन्हें अपने जीवन में कभी अपने सवालों का जवाब नहीं मिल पाएगा।

लेकिन जब उम्मीद में इच्छा मिल जाए तो वह समय से साथ कमज़ोर नहीं पड़ती। एमएच 370 का गायब हो जाना भले ही एक ऐसा रहस्य हो जिस पर से पर्दा उठाना असंभव हो लेकिन उसे सुलझाने का संकल्प आने वाले कई दशकों तक कायम रहेगा। क्या मनुष्य ने उस टाइटैनिक के डूबने के बारे में सोचना बंद किया है जो कभी डूब नहीं सकता था ?

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Ghanshyam Chandra Joshi

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