एक के बाद एक नेता प्रतिपक्ष को धमकियां
शकील अख़्तर
देश के प्रधानमंत्री खामोश हैं। पूरी दुनिया का मीडिया चिन्ता व्यक्त कर रहा है कि भारत जिसके प्रधानमंत्री विदेश में आकर बुद्ध का देश कहते हैं, शांति का संदेश देने वाले का देश वहां नेता प्रतिपक्ष को सत्ता पक्ष की तरफ से जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। एक के बाद एक कई नेताओं द्वारा। जिनमें एक केन्द्रीय मंत्री भी है। और जब इसके बारे में एक पत्रकार गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछना चाहते हैं तो वे सवाल पूछने वाले को डराते हैं। कहते हैं कि ऐसे सवाल मत पूछो। समझते नहीं हो। चुप रहो। और प्रधानमंत्री को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जब इस बारे में पत्र लिखते हैं तो उसका कोई नोटिस नहीं लिया जाता।
प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं कि उनका मजाक उड़ाया गया। इन सौ दिनों से पहले चुनाव प्रचार में कह रहे थे कि उन्हें सौ गालियां दी गईं। इससे पहले पंजाब में पुलिस से कह रहे थे कि अपने मुख्यमंत्री से कह देना कि मैं जिन्दा वापस जा रहा हूं। देश के प्रधानमंत्री सिर्फ खुद के बारे बातें करते हैं। इस बात पर आंख कान बंद कर लेते है कि प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी को उनकी पार्टी के और सहयोगी पार्टी के नेता उनकी सरकार के मंत्री जान से मारने की बात कर रहे हैं।
भयानक! देश में पहले कभी ऐसा हुआ कि सत्ता पक्ष के लोग विपक्ष के नेता को जान से मारने की धमकी दे रहे हों, जबान काटने पर इनाम की घोषणा कर रहे हों। आतंकवादी कह रहे हों। यह माब लीचिंग का माहौल बनाना है। लोगों को भडक़ाने के लिए एक साजिश के तहत दिए जा रहे बयान। इस परिवार के दो लोगों की जो प्रधानमंत्री थे, हत्या की जा चुकी है। और वृहतर कांग्रेस परिवार को देखा जाए तो तीन लोगों की जिनमें महात्मा गांधी शामिल थे।
आपको पीछे लिए चलते हैं। सरदार पटेल की तरफ। भाजपा बहुत याद करती है उनको। उन्होंने लिखा था ” महात्मा गांधी का हत्या के पहले कांग्रेस का विरोध करके और वह भी इस कठोरता से कि न अस्तित्व का ख्याल, न सभ्यता व शिष्टता का ध्यान रखा जनता में एक प्रकार की बैचेनी पैदा कर दी थी। सांप्रदायिक विष से भरी स्पीचेज कीं। उस जहर का फल अंत में यही हुआ कि गांधी जी की अमूल्य जान की कुर्बानी देश को सहना पड़ी। “
जी हां यह लिखा था देश के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आरएसएस के संघ चालक गुरू गोलवलकर के उस पत्र के जवाब में जिसमें वे गांधी की हत्या के मामले में सफाइयां दे रहे थे। ये सारे पत्र ‘ हिस्टोरिक डाक्यूमेंट आफ गुरुजी – गर्वमेंन्ट करसपान्डेंस ’ में संग्रहित है।
तो सरदार पटेल के इस पत्र से साफ होता है कि महात्मा गांधी की हत्या से पहले भी ऐसा भी विषाक्त माहौल बनाया गया था। सरदार पटेल ने 19 सितंबर 1948 मतलब आज से जब आप यह पढ़ रहे हैं ठीक 76 साल पहले गोलवलकर के पत्र के जवाब में लिखा कि ” सरकार और जनता की जरा भी सहानुभूति आरएसएस के साथ नहीं रही, बल्कि उनके खिलाफ हो गई। महात्मा गांधी की हत्या पर आरएसएस ने जो हर्ष प्रकट किया तथा मिठाई बांटी उससे यह विरोध और बढ़ गया। “
यह सारा इतिहास याद दिलाया जाना इसलिए जरूरी है कि सिर्फ महात्मा गांधी की हत्या से पहले ही नहीं इन्दिरा गांधी की हत्या के पहले भी ऐसा ही माहौल बनाया गया था। अभी पंजाब के मुख्यमंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी और वहां विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दिल्ली में की एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि स्वर्ण मंदिर में सेना भेजने के लिए भी आरएसएस ने दबाव बनाया था।
उन्होंने आडवानी का नाम लेकर कहा कि उन्होंने यह स्वीकार किया है। और खतरनाक बात यह है कि एक तरफ सेना भेजने का दबाव बनाया और फिर इसके लिए प्रधानमंत्री इन्दिरा को शत्रु की तरह आरोपित करके उनके खिलाफ माहौल बनाया गया। इन्दिरा की हत्या भी उनके खिलाफ बनाए विषाक्त माहौल का परिणाम थी।
राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली ली गई थी। परिणाम उनकी हत्या। वीपी सिंह सरकार ने जिसका बीजेपी समर्थन कर रही थी 1989 में राजीव की सुरक्षा से खिलवाड़ किया।
अब ऐसा ही राहुल गांधी की सुरक्षा के साथ हो रहा है। उनकी एसपीजी की सुरक्षा भी वापस ले ली गई। केन्द्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, एक भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश के मंत्री रघुराज सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी के विधायक संजय गायकवाड़ और भाजपा नेता तरविन्दर सिंह मारवाह उन्हें खुले आम जबान काटने पर इनाम, जान से मारने की धमकी और आतंकवादी तक कह रहे हैं। और सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं। कांग्रेस ने दिल्ली सहित कई राज्यों में लिखित तहरीर दी। मगर कोई एक्शन नहीं।
क्या है यह? इतने गंभीर मामले में भी प्रधानमंत्री मौन! मनमोहन सिंह को कहते थे। वे तो मौन नहीं रहे। लोकसभा में जब योगी आदित्यनाथ ने रोते हुए अपनी जान को खतरा बताया था तो केवल उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही नहीं, आसन पर बैठे लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी सबने उन्हें सुरक्षा का विश्वास दिलाया था।
ऐसी होती हैं सरकारें। यह नहीं कि उनके मंत्री नेता धमकियां दें और वे आपराधिक खामोशी ओढ़े रहें। जी हां यह आपराधिक खामोशी है। अपराध की खबर मिलने, अपराध किए जाने की सुचना के बाद भी कुछ नहीं करना अपराध में शामिल होना माना जाता है। और यह सिर्फ फौजदारी कानून के अपराध की बात नहीं है। बल्कि एक असफल स्टेट की निशानी है। असफल स्टेट अभी तक हम पाकिस्तान को कहते रहे। एक असफल राज्य जिसका अपने देश पर कोई नियंत्रण नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को दूसरे प्रसंग में कहा। उसने कहा कि यह बुलडोजर संविधान पर हमला हैं। और उसका महिमामंडन उससे भी ज्यादा खतरनाक बात। कानून व्यवस्था को ध्वस्त कर देना। उसने इसके विध्वंस के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी। बुलडोजर निर्माण कार्यों में आने के लिए बना। मगर उसे विध्वंस और उसे भी शान का प्रतीक बना दिया। रावण के अट्टहास की तरह। खैर वह एक अलग विषय है। मगर मूल एक ही है संविधान, कानून व्यवस्था, नियम, लोकतंत्र किसी की परवाह किए बिना अपनी शक्ति का प्रदर्शन। व्यक्ति की शक्ति। और यही असफल स्टेट की निशानी है। असफल राज्य और गर्वोन्मत शासक! मैं जो चाहे करूं। मेरी मर्जी!
मगर दुनिया बहुत बड़ी है। अभी अमेरिका जा रहे हैं। वहां किसी ने पूछ लिया तो जवाब देते नहीं बनेगा। यहां के मीडिया से कहा जाएगा कि पूछने वाले के खिलाफ भी ऐसा ही विषाक्त माहौल बनाओ। किल द मैसेंजर! पत्रवाहक को ही मार डालो। सूचना देने वाले को खत्म कर दो। पूछने वाले को ही। समस्या पर मत जाओ! समस्या बताने वाले को आरोपित करो।
और अंत में यह बताते हुए खत्म करते हैं कि भारत सफल राष्ट्र ऐसे बना कि यहां के गृह मंत्री सरदार पटेल भूत और वर्तमान को समझ भी रहे थे और भविष्य के लिए चेतावनी भी दे रहे थे। अब जो पत्र हम कोट कर रहे हैं वह पटेल ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी के पत्र के जवाब में लिखा था। इसमें साफ कहा गया है कि ” आरएसएस की गतिविधियों से सरकार और राज्य के अस्तित्व को ही खतरा हो गया था। “
इसी खतरे की तरफ राहुल लगातार ध्यान दिलाते रहते हैं। और इसलिए वह निशाने पर हैं। बीस के करीब मुकदमे अलग अलग जगहों पर दायर कर रखे हैं। मगर उससे नहीं डरे तो अब सीधे जान से मारने की धमकी।