Breaking News :
>>जिलाधिकारी सविन बंसल ने राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश का किया औचक निरीक्षण>>जिलाधिकारी सविन बंसल ने ऋषिकेश तहसील में जनता दर्शन/जनसुनवाई आयोजित कर समस्यायें सुनी>>सीआईएमएस कॉलेज कुआँवाला देहरादून में चिकित्सा एवं फार्मा उद्योग में बौद्धिक संपदा अधिकारों की भूमिका पर हुआ एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन>>मुख्यमंत्री धामी ने भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का किया शुभारंभ>>प्रदेश के नागरिकों को ‘मित्र हेल्पलाइन’ की मदद से मिलेगी कानूनी मदद>>महिला टी20 विश्व कप 2024- भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुकाबला आज >>मार्क जकरबर्ग बने दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति, कुल संपत्ति 206.2 बिलियन डॉलर पर पहुंची>>तिरुपति लड्डू मामला- सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों की जांच के लिए नई स्वतंत्र एसआईटी गठित करने का दिया आदेश >>साइबर हमले में पूरा आईटी सिस्टम हुआ ठप, 90 वेबसाइट रहीं बंद>>मौसम बदलने से हो रहा है गले में इंफेक्शन और जुकाम, शहद के साथ ये चीज मिलाकर पाएं आराम>>शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी दी जाएगी अनिवार्य सेवानिवृत्ति>>नवरात्रि के पहले दिन भारत की भूमि से शुरू हुए कैलाश पर्वत के पवित्र दर्शन>>टेंशन लेने का नहीं-देने का>>मोहम्मद अजहरुद्दीन की बढ़ी मुश्किलें, ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किया तलब>>सीएम धामी ने बल्लभगढ़ में रोड शो कर भाजपा का किया प्रचार>>मुख्य सचिव ने असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के पीएमएमवीवाई में पंजीकरण करवाने के दिए निर्देश>>ऋषिकेश में जाम से परेशान युवक ने विधायक की गाड़ी पर चढ़कर किया हंगामा >>लापता सैनिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा घर, 56 साल बाद दी अंतिम विदाई >>राजकुमार-तृप्ति की फिल्म ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’ का नया गाना ‘मेरे महबूब’ जारी>>बच्चों की फीस में 1.09 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में महिला क्लर्क गिरफ्तार 
Articles

टेंशन लेने का नहीं-देने का

रजनीश कपूर
मुन्ना भाई एमबीबीएस’ का एक डायलॉग काफ़ी हिट हुआ था जिसमें वो हर किसी को न घबराने की सलाह देते हुए कहते थे टेंशन लेने का नहीं-देने का’। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाली 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट ऐना मात्र चार महीने की नौकरी में यह दबाव इतना बढ़ गया कि इस दबाव ने ऐना की जान ले ली। हर युवा व वरिष्ठ कर्मचारी को मुन्ना भाई एमबीबीएस’ फि़ल्म से सीख लेते हुए टेंशन न लेने’ की आदत डाल लेनी चाहिए।

संजय दत्त की बहुचर्चित फि़ल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस’ का एक डायलॉग काफ़ी हिट हुआ था जिसमें वो हर किसी को न घबराने की सलाह देते हुए कहते थे टेंशन लेने का नहीं-देने का’। परंतु शायद उस फि़ल्म में दिये गये संदेश को कुछ लोग  गंभीरता से नहीं ले सके। इसीलिए वे मामूली से तनाव को इतना बढ़ा लेते हैं कि वह कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो जाता है। इस फि़ल्म ने कठिन परिस्थितियों को गंभीरता से न लेने की सलाह दी। परंतु आजकल के वर्क प्रेशर’ व प्रतिस्पर्धा के चलते हर दूसरा व्यक्ति तनाव में दिखाई देता है। इस तनाव का असर न सिफऱ् उसकी सेहत पर पढ़ता है बल्कि उसके पारिवारिक जीवन में भी तनाव पैदा हो जाता है।

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर पुणे की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाली 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट ऐना  सेबेस्टियन की माँ की चिठी काफ़ी चर्चा में रही। भारत में इस कंपनी के अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में ऐना की माँ ने इस बात का उल्लेख किया कि किस तरह उनकी पुत्री पर कंपनी ने काम का दबाव बनाया हुआ था। मात्र चार महीने की नौकरी में यह दबाव इतना बढ़ गया कि इस दबाव ने ऐना की जान ले ली। इस दबाव का एक स्पष्ट उदाहरण तब भी दिखा जब ऐना के अंतिम संस्कार में कंपनी में काम करने वाले सहकर्मी भी नहीं पहुँचे। जैसे ही ऐना की माँ का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, वैसे ही इस बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर चुके पूर्व कर्मचारियों ने अपने भयानक अनुभव भी साझा किए। जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा वैसे ही कंपनी की ओर से वर्क प्रेशर’ का खंडन किया गया। इसके साथ ही सरकार ने भी इस मामले में जाँच बैठा दी है।

ऐना की मृत्यु ने आज के कॉर्पोरेट जगत में कई सवाल खड़े कर दिये हैं। इस दुखद घटना के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएँ भी आ रही हैं। दरअसल वर्क प्रेशर’ के बढ़ते हुए तनाव के कारण दुनिया भर से ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहां प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आगे रहने के चलते कई लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा है। चीन में एक व्यक्ति ने लगातार 104 दिनों तक बिना किसी छुट्टी के काम किया और अंतत: शरीर के कई अंगों की विफलता के कारण उसकी मौत हुई। वहाँ की अदालत ने उस व्यक्ति की कंपनी को उसकी मौत का 20 प्रतिशत तक जि़म्मेदार ठहराया। वहीं अमरीका के एक बैंक कर्मचारी की मृत्यु का कारण भी उसके काम का दबाव ही बना। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जहां कर्मचारियों से अधिक काम करवाने के चलते ऐसे हादसे हो रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार दुनिया भर में काम के दबाव व तनाव के चलते प्रतिवर्ष कऱीब 7.50 लाख लोगों की मृत्यु होती है। ऐसा इसलिए होता है कि अधिक काम करने का सीधा प्रभाव आपकी सेहत पर पड़ता है। काम का तनाव लेने से मनुष्य में ह्रदय रोग, डायबिटीज़ व स्ट्रोक जैसी घातक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं आज के सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में जब हम घंटों कंप्यूटर के सामने बैठ कर काम करते हैं तो हमारे जोड़ो में जकडऩ, कमर में दर्द, सरदर्द, आँखों में थकान, जैसे प्रारंभिक लक्षण भी दिखाई देते हैं। तनाव के चलते हमारे शरीर में ऐसे रसायन पैदा हो जाते हैं जो रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को भी बढ़ा देते हैं। इसलिए हम चिड़चिड़े भी हो जाते हैं।

तनाव के चलते जब गाड़ी चलाकर हम अपने दफ़्तर से घर या घर से दफ़्तर जा रहे होते हैं तो ऐसे में दुर्घटना होने की संभावना भी बढ़ जाती है। मोबाइल फ़ोन और ईमेल के चलते हम हर समय अपने काम से जुड़े रहते हैं इसलिए हमें काम से आराम नहीं मिल पाता। ऐसे तनाव का सीधा अनुभव आपको उस समय होता होगा जब आपके मोबाइल पर आपके बॉस का फ़ोन बजता होगा। आप यदि अपने घर पर हों और परिवार के साथ समय बिता रहे हों, तभी आपके बॉस का फ़ोन बजे तो आपके चेहरे पर एक अजीब से तनाव की झलक मिल जाती है। ऐसे में पारिवारिक सुख को भी झटका लगता है।

जानकारों के अनुसार, सप्ताह में 55 घंटे या उससे अधिक काम करने वालों में तनाव बढऩे की संभावना अधिक होती है। यह तनाव अन्य बीमारियों को बढ़ावा देता है। परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कामयाब होने के लिए कम मेहनत करनी चाहिए। बिना मेहनत के किसी को कामयाबी नहीं मिलती। इसलिए हमें परिश्रम और अतिश्रम के बीच एक को चुनना चाहिए। परिश्रम किया जाए तो एक सीमा के तहत ही किया जाए। आपको अपने शरीर की क्षमता अनुसार ही काम करना चाहिए। समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जाँच भी करवाते रहना चाहिए। इसके साथ ही नियमित रूप से तनाव-मुक्ति के कई साधन, जैसे योगा, ध्यान, भजन, मनोरंजन आदि का भी सहारा लेना चाहिए।
वहीं अगर इम्प्लॉयर की बात करें तो उन्हें भी अपने लक्ष्य की पूर्ति के चलते कर्मचारियों पर दबाव बनाना पड़ता है।

परंतु यह दबाव भी एक सीमा तक ही दिया जाए। आज हमारे समाज को काम और आराम के बीच एक संतुलन बनाने की ज़रूरत है। वरना ऐना सेबेस्टियन जैसे कई और होनहार कर्मचारियों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ेगा। आजकल के युवा भी जल्द कामयाबी पाने के चक्कर में काम और आराम में संतुलन नहीं बना रहे हैं। इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इसलिए हर युवा व वरिष्ठ कर्मचारी को मुन्ना भाई एमबीबीएस’ फि़ल्म से सीख लेते हुए टेंशन न लेने’ की आदत डाल लेनी चाहिए।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!