नेहरू कॉलोनी ए-ब्लॉक पार्क में धूमधाम से हुआ होलिका दहन
आकाश ज्ञान वाटिका। १० मार्च, २०२० (मंगलवार)। हर साल की इस साल भी ९ मार्च, २०२० को नेहरू कॉलोनी ए – ब्लॉक निवासियों, क्षेत्रीय पार्षद अमित भंडारी, अन्य युवाओं एवं महिलाओं द्वारा मिलकर होलिका दहन का कार्यक्रम बड़ी धूमधाम एवं पारम्पारिक रीति रिवाज के साथ किया गया। ९ मार्च को सुबह से ही ए – ब्लॉक पार्क को सजाया गया और क्षेत्रवासियों द्वारा होलिका दहन के लिए लगाई गई चीर के पूजन का सिलसिला चलता रहा। शाम ८:३० बजे क्षेत्रीय पार्षद अमित भंडारी, घनश्याम चन्द्र जोशी, श्रीमती निर्मला जोशी, पूर्व पार्षद श्रीमती नीरु भट्ट, सुरेंद्र पाल, ए एम ध्यानी, प्रदीप सूदी, आदित्य शर्मा, एम तोमर, भट्टजी, सहित अनेकों उपस्थित लोगों ने पूजा अर्चना एवं हवन के उपरांत होलिका दहन किया गया। होलिका दहन के उपरांत सभी उपस्थित क्षेत्रवासियों द्वारा एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर, गले मिलते हुए होली की शुभ कामनायें दी। इस अवसर पर भारी संख्या में क्षेत्रवासी मौजूद रहे।
[highlight]बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाने वाला होलिका दहन, हिन्दुओं का एक पवित्र पर्व है, जिसमें होली के एक दिन पूर्व सन्ध्या पर होलिका का सांकेतिक रूप से दहन किया जाता है। [/highlight]
[box type=”shadow” ]पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन पर आधारित कथा इस प्रकार है, “हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के लाख मन करने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा। असुर पुत्र होने के बावजूद नारद मुनि की शिक्षा के परिणामस्वरूप प्रह्लाद महान नारायण भक्त बना। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की कई बार कोशिश की परन्तु भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हो सका। असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी, जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई। इस प्रकार हिन्दुओं के कई अन्य पर्वों की भाँति होलिका-दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।”[/box]
रंगों और उत्साह का पर्व होली आज होलिका दहन के साथ ही शुरू हो जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल से मध्यरात्रि से कुछ समय पूर्व तक है। प्रदोष काल सूर्यास्त 6:42 बजे से लेकर निशामुख रात्रि 11 बजकर 26 मिनट तक है।