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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रभावित गाँवों में जाकर स्थिति का लिया जायजा, ITBP अस्पताल का दौरा कर घायलों से मिले

[box type=”shadow” ]आकाश ज्ञान वाटिका, मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021, जोशीमठ/देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार सुबह आपदा प्रभावित सीमांत गांव रैणी एवं लाता जाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने स्थानीय ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को निर्देश दिए कि कनेक्टीवीटी से कट गए गांवों में आवश्यक वस्तुओं की कमी न रहे। रविवार को तपोवन क्षेत्र में हुई भीषण त्रासदी में जोशीमठ ब्लॉक के लगभग 1 दर्जन गांवों का सड़क से सम्पर्क टूट गया था।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने जोशीमठ में आईटीबीपी अस्पताल में आपदा में घायल हुए लोगों से मिलकर उनका हालचाल जाना। मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से घायलों के ईलाज के बारे में जानकारी प्राप्त की।

गौरतलब है कि सोमवार देर सांय मुख्यमंत्री तपोवन जोशीमठ पहुंचे थे। वहां उन्होंने आपदा राहत कार्यों का जायजा लिया और राहत कार्यों में लगे सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस के जवानों का उत्साहवर्धन किया। मुख्यमंत्री ने सोमवार को ही देर सांय विभिन्न अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे रेस्क्यू आपरेशन की समीक्षा की थी। मुख्यमंत्री ने तपोवन, जोशीमठ में ही रात्रि प्रवास किया था।[/box]

[box type=”shadow” ]चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की एक सुरंग में फंसे करीब 34 व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है पर सुरंग में मलबा अधिक होने के कारण मुश्किलें पेश आ रही हैं, सुरंग के अंदर एक वाहन भी फंसा है। ऐसे में टनल के मुख्य द्वार से मलबा हटाने में देरी होने के बाद अब बीच से रास्ता ढूंढने की कोशिश की जा रही है। पहले एसडीआरएफ या एनडीआरएफ का जवान टनल में उतारा जाएगा, जो अंदर की स्थिति का जायजा लेंगे। इसके लिए ड्रिलिंग की जा रही है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि करीब ढाई किलोमीटर लंबी टनल में अब तक डेढ़ सौ मीटर तक ही मलबा साफ हो पाया है। टनल में एक ही मशीन काम करने के कारण मुश्किलें सामने आ रही हैं, जबकि 180 मीटर पर एक राइट बैंड भी है। डीजीपी ने बताया कि अब तक 31 शव बरामद हो चुके हैं, इनमें दो पुलिस कर्मचारी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आपदा के कारण 13 गांव का संपर्क कट गया है, जहां रोप-वे के सहारे सुरक्षाकर्मी और बाहर फंसे ग्रामीणों को राशन भी पहुंचाया जाएगा। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आइटीबीपी और सेना वहां बचाव व राहत कार्य संचालित कर रहे हैं। वहीं, प्रभावित क्षेत्र ऋषिगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट में चार और शव बरामद हुए हैं, जबकि एक टनल से बरामद किया गया है। मृतकों की संख्या 31 हो गई है।

मंगलवार को भी सर्च व रेस्क्यू आपरेशन जारी रहा

चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के तीसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन पूरे दिनभर जारी रहा। आपदा मे सडक पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हैलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी जा रही है। गांवों मे फसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री हैली से भेजी जा रही हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना के बाद 32 शव मिल गए हैं जबकि 174 लोग अभी लापता हैं। प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 190, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन, लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं। एक हेलीकाप्टर द्वारा एनडीआरएफ की टीम औश्र 03 वैज्ञानिकों को भेजा गया है। स्टैंडबाई के तौर पर आईबीपी के 400, आर्मी के 220 जवान, स्वास्थ्य विभाग की 4 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 39 फायरमैन रखे गए हैं। आर्मी के 03 हेलीकाप्टर जोशीमठ में रखे गए हैं।

आपदा से 05 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। 13 गांवों में बिजली प्रभावित हुई थी, इनमें से 11 गांवों में बिजली बहाल कर दी गई है। शेष 2 गांवों में अभी लाईन क्षतिग्रस्त है। इसी प्रकार 11 गांवों में पेयजल लाईन क्षतिग्रस्त हुई थीं, इनमें से 8 गांवों में पेयजल आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। शेष 03 पर भी काम चल रहा है।[/box]

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली के जोशीमठ में आइटीबीपी अस्पताल का दौरा कर घायलों का हालचाल जाना

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और हालातों का जायजा ले रहे हैं। सात फरवरी को सुरंग से निकाले गए 12 लोगों से सीएम त्रिवेंद्र रावत ने अस्पताल में मुलाकात की। सीएम ने बताया कि उन्होंने शरीर में दर्द की शिकायत की है, क्योंकि वे पानी और मलबे के डर से 3-4 घंटे के लिए लोहे की पट्टी पर लटके हुए थे। डॉक्टरों ने कहा कि वे जल्द ठीक हो जाएंगे।

  • सुरंग में बचाव अभियान चल रहा है, हमें उम्मीद है कि हम दोपहर तक रास्ता साफ कर पाएंगे : अशोक कुमार, डीजीपी
  • रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी रात चला और अब भी जारी है। काफी मलबे को हटा दिया गया है। हम अब तक कोई संपर्क स्थापित नहीं कर पाए हैं : अपर्णा कुमार, डीआइजी सेक्टर मुख्यालय, आइटीबीपी देहरादून

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बचाव दल रस्सी और अब आवश्यक पैकेजों के माध्यम से मलारी घाटी क्षेत्र तक पहुंचने में कामयाब रहा है, राशन आसानी से भेजा जा सकता है। इससे पहले, हेलीकॉप्टर के माध्यम से केवल एक सीमित स्टॉक की आपूर्ति की जा सकती थी, लेकिन अब कोई समस्या नहीं होगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जोशीमठ आर्मी हेलीपैड से सीमांत गांव क्षेत्र लाता के लिए रवाना हुए। आपदा से सीमांत क्षेत्र के रैणी पल्ली, पैंग, लाता, सुराईथोटा, सुकी, भलगांव, तोलमा, फगरासु, लोंग सेगडी, गहर, भंग्यूल, जुवाग्वाड, जुगजू गांवों से सडक संपर्क अभी कटा है। ग्रामीणों का हालचाल जानने आज स्वयं मुख्यमंत्री लाता पहुंचे।

[box type=”shadow” ]प्रभावित गाँवों में पहुंचाई जा रही है राहत सामग्री 

राहत अभियान के लिए लाता गांव में एक अस्थायी हेलीपैड बनाया गया है। इसकी मदद से नागरिक प्रशासन ने आइटीबीपी को लाता से सात किमी दूर आपदा प्रभावित गांवों जुगाजू, जुवाग्व को वितरित करने के लिए राशन के पैकेट उपलब्ध कराए। इसके बाद टीम ने पैदल गांवों में पहुंचकर राहत सामग्री ग्रामीणों को बांटी।

जोशीमठ-मलारी हाईवे पर मोटरपुल टूटने से कट गए गांवों में भी राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है। राहत व बचाव कार्यों को तेज करने के लिए चमोली जिले को 20 करोड़ की राशि जारी की गई। 

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Ghanshyam Chandra Joshi

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