मप्रः कमलनाथ के सामने बड़ी चुनौती, कलेक्टरों ने कहा- बिगड़ सकते हैं, प्रदेश के हालात
भोपाल । मध्य प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों यूरिया का संकट पैदा हो गया है। कलेक्टरों द्वारा पुलिस अधीक्षक की मदद से ‘संगीनों के साये’ में यूरिया बंटवाया जा रहा है। लगभग एक दर्जन जिलों के कलेक्टरों ने पत्र लिखकर सरकार से कहा है कि जल्द ही यूरिया की व्यवस्था कराई जाए, अन्यथा कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।
उन्होंने यह भी चेताया है कि भारतीय किसान संघ यूरिया की कमी के खिलाफ आंदोलन भी कर सकता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रमुख सचिव कृषि, सहकारिता से इस बारे में जवाब मांगा है।
होशंगाबाद – कलेक्टर ने 4 अक्टूबर को पहला पत्र भेजकर कमी से अवगत कराया था। अब तक पांच पत्र भेज चुके हैं। 27 हजार मीट्रिक टन यानी 9 रैक यूरिया मांगा गया है। फिलहाल 6 सेंटर पर पुलिस के साये में यूरिया बांटा जा रहा है।
श्योपुर – जिले में 9 हजार मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है। सरकार ने 4900 मीट्रिक टन ही उपलब्ध करवाया है।
सीहोर – कलेक्टर ने पत्र भेजकर कहा कि यूरिया की कमी से किसान नाराज हैं। भारतीय किसान संघ आंदोलन करने की योजना बना रहा है।
मंदसौर – कलेक्टर ने पत्र भेजकर कहा कि प्राथमिक साख सहकारी समितियों में यूरिया न होने से किसानों को मांग के मुताबिक यूरिया नहीं दे पा रहे हैं।
नीमच – मनासा तहसील में सरकारी भंडारण समाप्त हो जाने से खुले बाजार में यूरिया डेढ़ गुना कीमत पर बेचा जा रहा है।
खंडवा- यूरिया है नहीं, किसान निजी क्षेत्र से महंगे दाम पर खरीद रहे हैं।
अशोकनगर – दुकानदारों के पास यूरिया नहीं है। सरकारी केंद्र में भारी भीड़ पड़ रही है। एक हजार मीट्रिक टन और चाहिए।
हरदा – खाद की कमी के कारण किसानों में आक्रोश है।
तीन लाख टन की जरूरत, 1.34 लाख टन ही उपलब्ध
गेहूं, चना, मसूर सहित अन्य रबी फसलों के लिए मौसम अनुकूल होने से प्रदेश में एकाएक यूरिया की मांग काफी बढ़ गई है। किसी भी जिले में मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। दिसंबर में तीन लाख मीट्रिक टन यूरिया की दरकार है, लेकिन अभी तक 1.34 लाख टन यूरिया ही प्रदेश को मिल पाया है। हालात ये हैं कि होशंगाबाद और रायसेन में किसानों ने चक्काजाम कर विरोध दर्ज कराया। गुना में जाम लगा रहे किसानों को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, तो पिपरिया में लंबी कतार लग रही है। अगले कुछ दिन और स्थिति में सुधार होने की संभावना नहीं है, क्योंकि आवक कम है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस बार एक लाख टन ज्यादा यूरिया बिक चुका है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कृषि विभाग के प्रस्तुतिकरण के दौरान खाद की स्थिति के हाल जाने।
शिवराज ने केंद्र से बात कर बढ़वाई थी आपूर्ति
चुनाव पर असर न पड़े इसलिए शिवराज ने केंद्र से बात कर बढ़वाई थी आपूर्ति सूत्रों के मुताबिक यूरिया संकट विधानसभा चुनाव के समय से है। अक्टूबर में एक लाख टन यूरिया केंद्र से कम मिला। इसके कारण संकट गहरा गया, इसका असर चुनाव पर पड़ सकता था, इसे देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र से बात करके आपूर्ति बढ़वा ली। इसके चलते नवंबर में प्रदेश को यूरिया लक्ष्य से ज्यादा मिला। दिसंबर में फिर पुरानी स्थिति बन गई। तीन लाख टन यूरिया की मांग के विरुद्ध अभी तक 1.34 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही मिल पाया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो 15 दिसंबर तक 4.64 लाख मीट्रिक टन यूरिया मिल चुका है। जबकि पिछले साल इस अवधि में 3.81 लाख यूरिया मिला था।
कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि महाकोशल क्षेत्र में यूरिया की मांग तेजी से बढ़ी है। इसे देखते हुए कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों की बैठक लेकर केंद्र से बात करने के लिए कृषिष मंत्री गौरीशंकर बिसेन और कृषिष अधिकारियों को भेजा था। बताया जा रहा है कि पूरे देश में एकदम से यूरिया की मांग ब़़ढी है। रेलवे से रैक बढ़ाने की मांग लगातार की जा रही है। प्रतिदिन अलग-अलग जगह रेल रैक पहुंच रहे हैं।
इसलिए भी बढ़ी मांग
– किसानों का कहना है कि गेहूं की ज्यादातर बोवनी नवंबर में हो गई थी। अभी सिंचाई चल रही है। इसमें यूरिया का छिड़काव लाभप्रद होता है।
– कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसान हायतौबा मचा रहे हैं। जिसे आज जरूरत नहीं है वो भी बोरी लेकर रख रहा है। इस वजह से आपूर्ति ग़़डब़़डा रही है।
– इस बार रबी फसलों का रकबा भी लगभग तीन लाख हेक्टेयर बढ़ गया है।
80 फीसदी यूरिया बेच रही सहकारी समितियां
सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रीवा, जबलपुर और शहडोल संभाग में 80 फीसदी यूरिया सहकारी समितियों से बिकवाया जा रहा है। बाकी बीस प्रतिशत निजी कारोबारी को मिल रहा है। बाकी संभागों में 50-50 फीसद के अनुपात में यूरिया बांटा गया है। पहले सिर्फ नियमित कर्ज चुकाने वाले किसानों को खाद दी जा रही थी, पर बाद में संशोधन कर सहकारी समिति के डिफॉल्टर किसानों को नकदी लेकर खाद दी जा रही है।
केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे सीएम कमलनाथ
मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे। साथ ही केंद्रीय मंत्रियों से भी प्रदेश के विभिन्न प्रस्तावों पर बात करेंगे। बतौर मुख्यमंत्री पहली दिल्ली यात्रा में मुख्यमंत्री खाद की आपूर्ति ब़़ढाने और रेल रैक की तादाद ब़़ढाने पर भी केंद्रीय मंत्रियों से बात कर सकते हैं।
उधर, मुख्यमंत्री का 30 दिसंबर से एक जनवरी तक छिंदवाड़ा में रहने का कार्यक्रम है। इसी तरह 21 से 25 जनवरी तक स्विट्जरलैंड के दौरे पर रहेंगे। वे दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम के सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान प्रमुख सचिव अशोक बर्णवाल, मोहम्मद सुलेमान सहित कुछ उद्योगपति भी साथ रहेंगे।