मप्रः किसान कर्जमाफी में बड़ा घोटाला, कमलनाथ ने कहा- सख्त कार्रवाई करूंगा
नई दिल्ली । मध्यप्रदेश में कर्जमाफी के नाम पर घोटाले की ख़बरें आ रही हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर्जमाफी प्रक्रिया में सामने आ रहे घोटाले की रकम को हजार करोड़ से ज्यादा का बताया है। उन्होंने ये भी कहा कि ये घोटाला पिछली सरकार के कार्यकाल में भाजपा नेताओं और बैंक अफसरों ने मिलकर किया। इसकी जांच कराएंगे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने बुधवार को दो-तीन ऐसे लोगों से मुलाकात की जिन्होंने लोन नहीं लिया था फिर भी उनका नाम लिस्ट में था। इसी तरह लिस्ट में और भी गलत लोगों के नाम हैं जिनका कर्ज माफ कर दिया गया है। यह बड़ा घोटाला है, जो कि 2 हजार करोड़ से भी ज्यादा का है। मैं सख्त कार्रवाई करूंगा।
ये मामले आए सामने
उमरिया ज़िले के पड़वार, बेल्दी, बचहा, चिल्हारी, सुखदास जैसे गांवों के कई किसानों की बिना कर्ज लिए लाखों रुपए की कर्जमाफी हो गई। किसान परेशान हैं और रोज़ सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। यही नहीं कर्जमाफी की सूची में उन किसानों के नाम भी शामिल हैं जिनकी सालों पहले मौत हो चुकी है। शहडोल में तो कई लखपति, कारोबारी, नेता, डॉक्टर, इंजीनियरों के नाम पर खेती का कर्ज है, जिसे उन्होंने सालों तक नहीं चुकाया।कटनी में जरवाही सोसायटी पर ये किसान फर्जीवाड़े का आरोप लगा रहे हैं। कई किसान हैं जिन्होंने अपना कर्ज चुका दिया, लेकिन उनके नाम के आगे लाखों की रकम दर्ज है
आगर मालवा ज़िले में गागोरनी और गणेशपुरा गांव के किसानों का भी यही आरोप है। किसी के पिता की मौत के 18 साल बाद भी कर्जदार में उनका नाम लिखा है, तो कोई कर्ज चुकाने के बाद भी कर्ज़दार है।
कर्ज था 20 हजार रुपये माफ हुआ 13 रुपये
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मध्यप्रदेश के मालवा जिले में एक किसान के साथ बड़ी घोटालेबाजी हुयी है. बताया जा रहा है किसान के ऊपर लगभग 20 हजार रुपये का कर्ज था और माफ हुआ सिर्फ 13 रुपये। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मालवा जिले के बैजनाथ निपानिया गांव के एक किसान ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों के संज्ञान में मामला लाए जाने के बाद उनसे कहा गया कि अब इसमें कुछ नहीं हो सकता।
किसान ने कहा, राज्य सरकार ने दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने की बात कही थी। लेकिन मेरे लगभग 20 हजार रुपये के कर्ज में से सिर्फ 13 रुपये का कर्ज माफ हुआ है। सरकार को मेरा पूरा पैसा माफ करना चाहिए। अधिकारियों से बात करने पर कहा गया कि वे कुछ नहीं कर सकते।