Breaking News :
>>निकाय चुनाव के शोर के बीच कांग्रेस को लगा झटका, श्रीनगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष भाजपा में शामिल>>भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन >>मोदी-शाह राज में सब मुमकिन>>गंगा की जलधारा में फंसे तीन युवकों को एसडीआरएफ ने सकुशल निकाला बाहर >>भारी मात्रा में विदेशी शराब का जखीरा बरामद>>राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ से 17 बच्चों को किया सम्मानित >>सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने निःशुल्क मोतियाबिंद सर्जरी सप्ताह कार्यक्रम में किया प्रतिभाग>>राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में बढ़ने जा रहा बाघों का कुनबा, 5वें बाघ को लाने की मिली अनुमति >>शाहिद कपूर की फिल्म ‘देवा’ निर्धारित समय से पहले सिनेमाघरों में देगी दस्तक>>बस दुर्घटना में मृतकों के परिजनों को दी जाएगी 10 लाख रुपए की सहायता राशि >>क्या सभी ‘सलाद ड्रेसिंग’ होती है सेहतमंद, जानिए इस मिथक की सच्चाई>>दून मेयर टिकट के लिए कांग्रेस की लाइन हुई लम्बी>>खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया फुटबॉल मैदान और स्पोर्ट्स स्टेडियम परिसर का लोकार्पण>>एलोपैथिक चिकित्सकों के रिक्त पदों पर शीघ्र होगी नई भर्ती>>उस्ताद जाकिर हुसैन अपने प्रशंसकों को आह भरता छोड़ गए>>राष्ट्रीय खेल- 99 स्थानों में बिखरेगी मशाल की रोशनी>>महाराज ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से की शिष्टाचार भेंट>>क्रिसमस मनाने औली पहुंचे पर्यटक बर्फ में खूब अटखेलियां करते आए नजर, होटलों की बुकिंग में भी आया उछाल >>महिला और स्वास्थ्य विभाग ने ‘महिला सम्मान योजना’ और ‘संजीवनी योजना’ पर उठाए सवाल, आप पार्टी को दिया तगड़ा झटका >>विभाजनकारी ताकतें गृहमंत्री के बयान को तोड़- मरोड़कर प्रस्तुत कर रहे – सीएम धामी
सम्पादकीय

भूकंप से कैसे कम हो जोखिम

योगेश कुमार गोयल
नवम्बर 3 को आधी रात से ठीक पहले पश्चिमी नेपाल में आए 6.4 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप से 157 से ज्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए हैं।नेपाल में आए शक्तिशाली भूकंप का असर नेपाल से सटे बिहार व उत्तर प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, झारखंड और दिल्ली (ष्ठद्गद्यद्धद्ब) तक महसूस किया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक जिस इलाके में 500 साल पहले भीषण भूकंप आया हो, उस इलाके में 8 या उससे ज्यादा तीव्रता वाला शक्तिशाली भूकंप आने का खतरा होता है, और नेपाल में यह खतरा बरकरार है। दरअसल, विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक पश्चिमी नेपाल की सतह के नीचे 500 वर्षो से भूकंपीय ऊर्जा जमा हो रही है, और यह शक्ति इतनी ज्यादा है कि इससे रिक्टर स्केल पर 8 या उससे भी अधिक तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल में 1505 में आया भूकंप इतना शक्तिशाली था कि उससे जमीन 20 मीटर तक खिसक गई थी। वह भूकंप 8.5-8.7 तीव्रता का था। उसी से दिल्ली की कुतुबमीनार से लेकर ल्हासा तक काफी नुकसान हुआ था। 1505 के भूकंप के बाद सबसे भयावह भूकंप 1934 के भूकंप को माना जाता है, जिससे काठमांडू से लेकर बिहार तक भारी नुकसान हुआ था। जहां तक भारत में भूकंप के खतरों की बात है तो नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी (हृष्टस्) के एक अध्ययन में बताया जा चुका है कि 20 भारतीय शहरों तथा कस्बों में भूकंप का खतरा सर्वाधिक है, जिनमें दिल्ली सहित नौ राज्यों की राजधानियां भी शामिल हैं। हिमालयी पर्वत श्रृंखला क्षेत्र को दुनिया में भूकंप को लेकर सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, और एनसीएस के एक अध्ययन के अनुसार भूकंप के लिहाज से सर्वाधिक संवदेनशील शहर इसी क्षेत्र में बसे हैं।

कई भूगर्भ वैज्ञानिक आशंका जता चुके हैं कि भूकंप के छोटे-छोटे झटके बड़े भूकंप के संकेत हो सकते हैं। कई विशेषज्ञ दिल्ली से बिहार के बीच 7.5-8.5 तीव्रता के बड़े भूकंप की आशंका जता चुके हैं। दिल्ली-एनसीआर में तो भूकंप के झटके बार-बार लगते रहे हैं। हालांकि एनसीएस की ओर से कहा गया है कि दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में आने वाले भूकंप के झटकों से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि जोखिम कम करने के उपायों पर जोर देने की जरूरत है। यह भी कहा गया है कि ऐसी कोई तकनीक नहीं है, जिससे भूकंप आने के समय, स्थिति और तीव्रता की सटीक भविष्यवाणी की जा सके। भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक दिल्ली-हरिद्वार रिज में खिंचाव के कारण धरती बार-बार हिल रही है।

यहां रह-रहकर भूकंप के झटकों से पता चल रहा है कि यहां कई भू-गर्भीय फॉल्ट सक्रिय हैं, जिनकी वजह से बड़ा भूकंप भी आ सकता है, लेकिन उसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। इंडियन प्लेट हिमालय से लेकर अंटार्कटिक तक फैली है, जो हिमालय के दक्षिण में जबकि यूरेशियन प्लेट हिमालय के उत्तर में है। भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार 8.5 तीव्रता वाला भूकंप 7.5 तीव्रता के भूकंप के मुकाबले करीब 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है। रिक्टर स्केल पर 5 तक की तीव्रता वाले भूकंप को खतरनाक नहीं माना जाता लेकिन यह भी क्षेत्र की संरचना पर निर्भर करता है।

भूकंप के लिहाज से दिल्ली एनसीआर को काफी संवेदनशील इलाका माना जाता है, जो दूसरे नंबर के सबसे खतरनाक सिस्मिक जोन-4 में आता है। एक अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली में करीब 90 फीसद मकान क्रंकीट और सरिये से बने हैं, जिनमें से 90 फीसद इमारतें रिक्टर स्केल पर छह तीव्रता से तेज भूकंप को झेलने में समर्थ नहीं हैं। एनसीएस के एक अध्ययन के अनुसार दिल्ली का करीब 30 फीसद हिस्सा जोन-5 में आता है, जो भूकंप की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक रिपोर्ट में भी बताया जा चुका है कि दिल्ली में बनी नई इमारतें 6-6.6 तीव्रता का भूकंप झेल सकती हैं जबकि पुरानी इमारतें 5-5.5 तीव्रता का भूकंप ही सह सकती हैं।

विशेषज्ञ बड़ा भूकंप आने पर दिल्ली में जान-माल का ज्यादा नुकसान होने का अनुमान इसलिए भी लगा रहे हैं क्योंकि दिल्ली में प्रति वर्ग किलोमीटर में करीब दस हजार लोग रहते हैं, और कोई भी बड़ा भूकंप 300-400 किलोमीटर की रेंज तक असर दिखाता है। रिक्टर पैमाने पर जितनी ज्यादा तीव्रता का भूकंप आता है, उतना ही ज्यादा कंपन होता है। रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर माना जाता है। जहां रिक्टर पैमाने पर 2.9 तीव्रता का भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है, वहीं 7.9 तीव्रता के भूकंप से इमारतें धराशयी हो जाती हैं। बहरहाल, बार-बार लग रहे भूकंप के झटकों को देखते हुए अधिकांश विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में इमारतों को भूकंप के लिए तैयार करना शुरू कर देना चाहिए ताकि बड़े भूकंप के नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!