मोटर एक्सीडेंट क्लेम (एमएसीटी ) पर हाई कोर्ट का अहम फैसला – चाहे दुर्घटना किसी अन्य राज्य में ही क्यों न घटी हो, प्रभावित पक्ष अपने निवास क्षेत्र में कर सकता है केस दायर
आकाश ज्ञान वाटिका, 4 जून 2020, गुरुवार। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मोटर दुर्घटना में दावे के एक मामले की सुनवाई करते हुए साफ कर दिया है कि प्रभावित पक्ष जिस स्थान पर रहता है वो वहां के मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) के सामने क्लेम के लिए केस दायर कर सकता है, चाहे दुर्घटना किसी अन्य राज्य में ही क्यों न घटी हो।
मोटर एक्सीडेंट क्लेम (एमएसीटी ) पर हाई कोर्ट का अहम फैसला
हाई कोर्ट जस्टिस अलका सरीन ने यह आदेश चंडीगढ निवासी बीना गर्ग व प्रेम सागर गर्ग की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। मामले के अनुसार, दंपती के पुत्र प्रणव विशाल गर्ग की मृत्यु 14 सितंबर, 2004 को उत्तर प्रदेश के दादरी में उसके मोटरसाइकल की ट्रक की चपेट में आने से हो गई थी। इके कुछ समय बाद दोनों चडीगढ़ में रहने लगे और उन्होंने चंडीगढ मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के सामने केस दायर कर क्लेम की मांग की थी। बीमा कंपनी व अन्य प्रतिवादी पक्ष ने चंडीगढ में याचिका दायर करने का विरोध किया।
उत्तर प्रदेश में दुर्घटना होने पर चंडीगढ़ एमएसीटी में पेश किया गया था दावा
मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल चंडीगढ ने 29 अक्टूबर, 2018 को उनके क्लेम की मांग खारिज करते हुए कहा कि जिस क्षेत्र में दुर्घटना घटी है उस क्षेत्र के मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के सामने अपना दावा पेश करे। ट्रिब्यूनल ने उनकी याचिका खारिज करते हुए साफ कहा था कि याचिका को सुनने के लिए उनके पास क्षेत्रीय अधिकार नहीं है क्यों कि न तो दुर्घटना चंडीगढ़ में हुई और न ही दावेदार उस समय चंडीगढ़ में रह रहे थे।
चंडीगढ़ एमएसीटी ने अधिकार क्षेत्र का हवाला देकर दावा कर दिया था खारिज
मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल चंडीगढ के इसी आदेश को प्रभावित पक्ष ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में ट्रिब्यूनल को अधिकतम-तकनीकी दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिये। हाई कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम का परोपकारी प्रायोजन है, इसमें पीडि़तों के लिए उदार होने का प्रावधान है। प्रभावित पक्ष जहां रहता है वहां क्लेम याचिका दायर करने में किसी तरह की कोई रोक नहीं है।
इस मामले में याचिकाकर्ता का चंडीगढ में राशन कार्ड बना हुआ है। ऐसे में उसकी याचिका को सुनने से इंकार नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल चंडीगढय को यह केस वापिस भेजते हुए आदेश दिया कि दूर्घटना 16 साल पहले हुई थी ऐसे में इसका निपटारा जल्द होना चाहिये। हाई कोर्ट ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल चंडीगढ़ को आदेश दिया वह छह माह में इस केस का निपटारा करे।