हाथरस की घटना पर कविता – “आज लेखिनी रोयी मेरी, सीने में अंगारे हैं”
आकाश ज्ञान वाटिका, शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020, देहरादून।
[highlight]आज लेखिनी रोयी मेरी, सीने में अंगारे हैं[/highlight]
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कुछ सालों की छोटी गुड़िया तोड़ी है हत्यारों ने,
बृज भूमि में पैर पसारे दानव कुल मक्कारों ने ।
पूछ रहा हूँ कठुआ पर रोने वाले शहजादों से,
बॉलीवुड के बेशर्मों से टी वी के जल्लादों से ।
शमां जला के शोक मनाना क्या ये शौक तुम्हारे हैं,
आज लेखिनी रोयी मेरी, सीने में अंगारे हैं ।।1।।
आतंकी की फाँसी पर जो आधी रात जगाते हैं,
जालिम नेता कहाँ गए जो न्यायालय खुलवाते हैं ।
कोई अंतर नहीं दिखा हमको सरकारी भाषा में,
कोयल उत्तर खोज रही है कौओं की परिभाषा में ।
फाँसी तुरत लगाओ इनको जो जालिम हत्यारे हैं,
आज लेखिनी रोयी मेरी, सीने में अंगारे हैं।।2।।
पित्र पक्ष के पखवाड़े में यह अपराध किया जिसने,
अपने हाथों ही पित्रों का कैसा श्राद्ध किया उसने ।
देख हाथरस की घटना को विष्णु भी रोया होगा,
तड़पन देख देख बच्ची की शिव आपा खोया होगा ।
गुड़िया की चीखों से क्रोधित गाँव गली चौबारे हैं ।
आज लेखिनी रोयी मेरी, सीने में अंगारे हैं ।।3।।
चौराहों पर मोम जलाकर जमकर शोर मचायेंगे,
कुछ नेता टी वी पर आकर अपना रंग दिखायेंगे ।
गुड़िया की अस्मत पर देखो टी वी कैसे बोलेगा,
चिड़ियां के पंखों को अपने विज्ञापन में तोलेगा ।
“हलधर” की आँखों में लाली और लहू फव्वारे हैं,
आज लेखिनी रोयी मेरी, सीने में अंगारे हैं ।।4।।
साभार: कविवर जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून
मो०: 9897346173
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