राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ० गीता खन्ना से राजभवन में की मुलाकात
आकाश ज्ञान वाटिका, 25 फ़रवरी 2022, शुक्रवार, देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए अच्छे वातावरण निर्माण के प्रयास किए जाने चाहिए। बच्चे देश और प्रदेश के भविष्य की पूंजी हैं। राज्यपाल गुरमीत सिंह ने गुरुवार को राजभवन में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ० गीता खन्ना से मुलाकात में यह बात कही। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा व विकास के लिए योजनाओं व कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है। वंचित एवं बिना परिवार के बच्चों और आपदा से प्रभावित बच्चों के विकास और कल्याण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इस दिशा में सरकार और प्रशासन के साथ ही समाज के सभी वर्गों को आगे आना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि समाज में बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। साथ ही बच्चों के लिए मौजूदा कानूनों व सुरक्षा उपायों के बारे में व्यक्तियों को साक्षर करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुधार गृहों में रह रहे बच्चों को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं व व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास को अवसर उपलब्ध कराने को कहा। आयोग की अध्यक्ष डॉ० गीता खन्ना ने बाल अधिकार संरक्षण के लिए मौजूदा कानूनों के तहत किए जा रहे सुरक्षा उपायों की जानकारी दी। उन्होंने बाल अधिकार संरक्षण सुरक्षा उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने कारागार सुधार समिति की बैठक में जेलों में सुधार के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य के कारागार के आंतरिक वातावरण, प्रबंधन तथा प्रशासन में सुधार के प्रयास किए जाएं।
गुरुवार को राजभवन में राज्यपाल की अध्यक्षता में कारागार सुधार समिति की बैठक हुई। बैठक में राज्यपाल ने कहा कि त्वरित ट्रायल तथा पैनल व्यवस्था में प्रभावी सुधार किया जाए। जेलों की व्यवस्थाओं दुरुस्त करने के साथ ही यहां का वातावरण भी सुधारा जाना चाहिए। जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की सुरक्षा एवं मानवाधिकारों से संबंधित विषयों पर संवेदनशीलता के साथ विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेल में कैदियों को आवश्यक कौशल विकास प्रशिक्षण एवं शिक्षा की व्यवस्था की जाए ताकि रिहाई के बाद वे आत्मनिर्भर बन सकें और आत्म सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।