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गंगा दशहरा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से न सिर्फ पापों का नाश होता है बल्कि मोक्ष की भी प्राप्ति होती है

आकाश ज्ञान वाटिका, 1 जून 2020, सोमवार। गंगा दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। इसी दिन माँ गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के १०वें दिन को दशमी, दशहरा कहते हैं। स्कन्द पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान और दान तो विशेष करके करें। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पू‍जादिक) एवं तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) करे तथा उस नदी की स्वच्छता का भी ध्यान रखें, तभी हमारा व्रत और माँ  गंगा की आराधना पूरी हो पाएगी। सनातन धर्म में स्नान, दान को हर किसी उपवास व त्यौहार के साथ इसलिए जोड़ा गया है ताकि पृथ्वी पर इंसानियत और किसी की मदद करने की इच्छा इंसान में हमेशा बनी रहे और पृथ्वी पर सौहार्द और आपसी प्रेम की भावना हमेशा बनी रहे।

गंगा दशहरा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से न सिर्फ पापों का नाश होता है बल्कि मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इस दिन दान पुण्य करने का भी बहुत अधिक महत्व होता है। जो भी भक्त सच्चे मन से माँ गंगा की स्तुति करता है, उसके जीवन में कभी किसी तरह की समस्या नहीं आती है। इसलिए इस पर्व को महापुण्यकारी पर्व माना गया है।

[box type=”shadow” ]गंगा दशहरा ‘द्वार पत्र’ 

गंगा दशहरा के पर्व पर घरों में गंगा दशहरा द्वार पत्र लगाने को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस द्वार पत्र को लगाने से घर में विनाशकारी शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं और वज्रपात, बिजली गिरने जैसी घटनाओं से बचाव होता है। इसके साथ ही यह द्वार पत्र घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को भी रोकता है तथा घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। गंगा दशहरा द्वार पत्र एक सिद्ध पत्र माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार पत्र के अंदर रंगों का प्रयोग किया जाता है और बाहर की तरफ वज्र निवारक पाँच ऋषियों के नाम के साथ श्लोक लिखे जाते हैं :

 

गंगा दशहरा ‘द्वार पत्र’ श्लोक

अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च।
जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पञ्चैते वज्र वारका:।।1।।

मुने कल्याण मित्रस्य जैमिनेश्चानु कीर्तनात।
विद्युदग्निभयंनास्ति लिखिते च गृहोदरे।।2।।

यत्रानुपायी भगवान् हृदयास्ते हरिरीश्वर:।
भंगो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा।।3।।

भविष्य पुराण के अनुसार जो मनुष्य इस दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर दस बार इस स्तोत्र को पढ़ता है चाहे वह गरीब हो या असमर्थ हो, वह भी प्रयत्नपूर्वक गंगा की पूजा कर उसका फल पाता है।[/box]

[box type=”shadow” ]गंगाजी का मंत्र

‘ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा’

अर्थात  “हे भगवति गंगे! मुझे बार-बार मिल, पवित्र कर, पवित्र कर, इससे गंगाजी के लिए पंचोपचार और पुष्पांजलि समर्पण करें। इस प्रकार गंगा का ध्यान और पूजन करके गंगा के पानी में खड़े होकर ॐ अद्य इत्यादि से संकल्प करें कि, ऐसे-ऐसे समय ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से लेकर दशमी तक रोज-रोज एक बढ़ाते हुए सब पापों को नष्ट करने के लिए गंगा स्तोत्र का जप करूँगा। पीछे स्तोत्र पढ़ना चाहिए। आनंदरूपिणी आनंद के देने वाली गंगा के लिए बारंबार नमस्कार है।

  • ‘नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम:’
  • हे भगवती, दसपाप हरने वाली गंगा, नारायणी, रेवती, शिव, दक्षा, अमृता, विश्वरूपिणी, नंदनी को नमन।
  • ‘ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा’
  • हे भगवती गंगे ! मुझे बार-बार मिलें और पवित्र करें। [/box]

[box type=”shadow” ]मान्यता है कि शुभ योगों के प्रभाव से गंगा दशहरा के पर्व में जो भी व्यक्ति गंगा में स्नान करता है उसके निम्न कायिक (३), वाचिक(४) और मानसिक(३) तरह के पापों का नाश हो जाता है:

  • जबरजस्ती किसी की वस्तु लेना।
  • वेबजह हिंसा करना।
  • पर नारी अर्थात दूसरे की स्त्री के साथ समागम।
  • दूसरे के दिल को दुखाने वाले अर्थात कटु बचन बोलना।
  • दूसरों को क्षति पहुँचाना या इस तरह की सोच रखना।
  • बेदार की बातों पर चर्चा करना।
  • झूठ बोलना।
  • दूसरे की गलत शिकायत करना।
  • असंबद्ध प्रलाप।
  • दूसरें की संपत्ति पर कब्ज़ा करना या कब्ज़ा करने की कोशिश करना या ऐसी सोच रखना।[/box]

[box type=”shadow” ]गंगा दशहरा 2020

इस साल गंगा दशहरा का त्यौहार 1 जून, सोमवार अर्थात आज मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गंगा का अवतरण ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर हुआ। हिन्दू शास्त्रों में विशेष स्थान गंगा को दिया गया है।

इस साल सिद्धि और रवियोग नामक शुभ योग गंगा दशहरा पर बन रहा है। पुराणों में का गया है कि 10 महाशुभयोग का निर्माण उस दिन हुआ था जब पृथ्वी पर गंगा का अवतरण हुआ था। जिसमें ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर और आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ राशि में सूर्य था।

राशि के अनुसार गंगा दशहरा पर दान निम्नवत करें:

  • मेष : मेष राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर तिल और कपड़े का दान करें।
  • वृष : वृष राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर गरीबों को खाना और धन का दान करें।
  • मिथुन : मिथुन राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर पानी का दान करें।
  • कर्क : वृष राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर फल का दान करें।
  • सिंह : सिंह राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर अनाज और फल का दान करें, साथ में तांबे के बर्तन दान करना उत्तम रहेगा।
  • कन्या : कन्या राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर शिव मंदिर जाकर विभिन्न प्रकार के फलों का दान करें।
  • तुला : तुला राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर जानवरों को पानी और दाना खिलायें।
  • वृश्चिक : वृश्चिक राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर पानी और मौसमी फलों का वितरण करें।
  • धनु : धनु राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर काले तिल का दान करें।
  • मकर : मकर मकर राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर मिट्टी के घड़े का दान करें।
  • कुंभ : कुंभ राशि वाले वाले लोग गंगा दशहरा पर इस गरीबों को भोजन वितरित करें और ब्राह्राणों को घर बुलाकर भोजन और दान-दक्षिणा दें।
  • मीन : मीन राशि वाले लोग गंगा दशहरा पर पानी का दान करें।[/box]

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Ghanshyam Chandra Joshi

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