फिल्म ‘आर्टिकल 15’ विवादों में घिरती नजर आ रही है!फिल्म निर्माता को कानूनी नोटिस
अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद ने समाज को जाति के आधार पर बांटने का आरोप लगाते हुए फिल्म से आपत्ति जनक भाग हटाए जाने की मांग की है।
नई दिल्ली । फिल्म ‘आर्टिकल 15’ विवादों में घिरती नजर आ रही है। अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद ने फिल्म को जाति के आधार पर समाज को बांटने वाला और ब्राह्मणों का अपमान करने वाली बताते हुए आपत्ति उठाई है। अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद ने फिल्म के निर्माता निर्देशक को कानूनी नोटिस जारी कर फिल्म से आपत्तिजनक हिस्सा हटाने की मांग की है। इस फिल्म का ट्रेलर 30 मई को रिलीज हुआ था और 28 जून को फिल्म रिलीज होने वाली है।
इस बात पर है आपत्ति-
फिल्म के ट्रेलर के मुताबिक फिल्म में ऊंची जाति के अभियुक्तों द्वारा नीची जाति से दुष्कर्म और हत्या का अपराध करने का जिक्र है साथ ही जाति आधारित संवाद और टिप्पणियां हैं। संस्था की ओर से वकील सुनील कुमार तिवारी ने कानूनी नोटिस भेज कर नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर फिल्म के जारी ट्रेलर की वीडियो क्लिप से आपत्तिजनक भाग हटाने की मांग की है।
फिल्म निर्माता को कानूनी नोटिस
नोटिस में कहा गया है कि अगर तय समय में यू-ट्यूब, सोशल मीडिया आदि पर जारी वीडियो क्लिप से आपत्तिजनक हिस्सा नहीं हटाया गया तो संस्था आपराधिक व दीवानी कानूनी कार्यवाही करेगी। नोटिस में कहा गया है कि गत 30 मई को यूट्यूब ऑनलाइन चैनल और सोशल मीडिया पर जारी फिल्म ‘आर्टिकल 15 के ट्रेलर से हिंदू ब्राह्मणों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। यह सिनेमेटोग्राफी एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसके अलावा फिल्म संविधान की भावना और प्रावधानों का भी उल्लंघन करती है। इस फिल्म में ब्राह्मणों और अन्य हिंदू जातियों की प्रतिष्ठा खराब करने की कोशिश हुई है जो कि अपराध है।
धारा 499 के तहत दंडनीय अपराध
नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि संविधान मौलिक अधिकारों के हनन की इजाजत नहीं देता। किसी को भी आम जनता की निगाह में किसी व्यक्ति, समूह और उसकी परंपराओँ, उसकी जाति या धर्म को कमतर करने का अधिकार नहीं है। यह फिल्म ब्राह्मणों की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचा सकती है जो कि आइपीसी की धारा 499 में दंडनीय अपराध है।
कानूनी नोटिस में वकील ने कहा है कि एक समूह विशेष हिंदू ब्राह्मण से ताल्लुक रखने वाले उनके क्लाइंट को अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान पूर्वक जीवन जीने का मौलिक अधिकार है। सेंसर बोर्ड ऑफ इंडिया नागरिकों के मानवीय, मौलिक और प्राकृतिक अधिकारों का संरक्षक है। इसलिए सेंसर बोर्ड प्रमाणपत्र की आड़ में लोगों की प्रतिष्ठा और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली कोई भी ऑडियो वीडियो फिल्म जारी नहीं की जा सकती। अगर ऐसी कोई गैर कानूनी इजाजत दी गई है तो उसे तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।
बिगड़ सकता है सामाजिक सौहार्द
इस फिल्म से समाज में विभिन्न जातियों और धर्मों का आपसी सौहार्द बिगड़ सकता है। शांति भंग हो सकती है। इतना ही नहीं फिल्म का जारी किया गया ट्रेलर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के आत्मसम्मान के खिलाफ है। उसमें उन्हें दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराध का पीड़ित दिखाया गया है। आरोप लगाया गया है कि इस फिल्म में जानबूझकर ब्राह्मणों की भावनाओं को आहत करने और अन्य समुदायों के धार्मिक विश्वास को अपमानित करने की कोशिश की गई है। जो कि दंडनीय अपराध है।