हिंदी साहित्य जगत के साथ-साथ उत्तराखंड के लिए अपूर्णीय क्षति : प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार मंगलेश डबराल का निधन
आकाश ज्ञान वाटिका, बुधवार, 9 दिसम्बर 2020, दिल्ली। साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी के प्रख्यात लेखक, कवि एवं पत्रकार मंगलेश डबराल का निधन हो गया है। उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत की बहुत बड़ी क्षति हुई है।
श्री मंगलेश डबराल कोरोना संक्रमित हो गए थे। पहले उनका इलाज गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में चला और बाद में उन्हें AIIMS दिल्ली शिफ्ट किया गया था। लेकिन अब उनकी मौत की दुःखद खबर प्राप्त हुई है। यह हिंदी साहित्य जगत और उत्तराखंड के लिए यह एक बहुत बड़ी क्षति है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक, कवि और पत्रकार श्री मंगलेश डबराल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने श्री मंगलेश डबराल के निधन को हिन्दी साहित्य को एक बड़ी क्षति बताते हुए दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिवार जनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है
[box type=”shadow” ]मंगलेश डबराल समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम है। इनका जन्म 16 मई 1948 को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड के काफलपानी गाँव में हुआ था तथा इनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में हुई। दिल्ली आकर हिन्दी पैट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद वे भोपाल में मध्य प्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे। इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की। सन् 1983 में जनसत्ता में साहित्य संपादक का पद सँभाला। कुछ समय सहारा समय में संपादन कार्य करने के बाद वह नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े रहे।
“पहाड़ पर लालटेन”, “घर का रास्ता”, “हम जो देखते हैं”, “आवाज भी एक जगह है” और “नये युग में शत्रु”, मंगलेश डबराल के पाँच काव्य संग्रह प्रकाशित हैं। इसके अतिरिक्त इनके दो गद्य संग्रह “लेखक की रोटी” और “कवि का अकेलापन” के साथ ही एक यात्रावृत्त “एक बार आयोवा” भी प्रकाशित हो चुके हैं।
कोरोना से संक्रमित होने के कारण 9 दिसम्बर 2020 को इनका निधन हो गया।[/box]