Breaking News :
>>एम्स में अल्मोड़ा बस दुर्घटना के घायलों के उपचार में नहीं लिया जाएगा कोई चार्ज : जिलाधिकारी सविन बंसल>>सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : निजी संपत्तियों पर सरकार नहीं कर सकती कब्जा>>श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को मिली तीन और फैकल्टी>>उत्तराखण्ड में 10वीं वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एण्ड अरोग्य एक्सपो दिसम्बर माह में होगा आयोजित>>बस की चपेट में आने से चार वर्षीय बच्ची की हुई मौत >>थाईलैंड ने पर्यटन को ध्यान में रखते हुए लिया बड़ा फैसला, बढाई ‘मुफ्त वीजा प्रवेश नीति’ की तारीख>>अल्मोड़ा बस हादसा : माता-पिता को खोने वाली मासूम शिवानी की देखभाल की जिम्मेदारी उठाएगी धामी सरकार >>अल्मोड़ा सड़क हादसे के घायलों का मंत्री अग्रवाल ने जाना हाल, दिवंगतों को दी श्रद्धांजलि>>अब तंबाकू, पान मसाला और गुटखा बनाने वाली कंपनियों के लिए जीएसटी चोरी करना नहीं होगा आसान >>किडनी स्टोन का रिस्क होगा कम, बस रोजाना सुबह उठकर पियें संतरे का जूस>>केदारनाथ की चल उत्सव डोली आज अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी विराजमान>>त्यौहारों के चलते चुनाव आयोग ने यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव की बदली तारीख>>आँखों के आगे इतिहास>>राजधानी की वायु गुणवत्ता लगातार खराब, एक्यूआई पहुंचा 400 पार>>जूनियर एनटीआर की देवरा अब ओटीटी पर मचाएगी धमाल, 8 नवंबर से नेटफ्लिक्स पर होगी स्ट्रीम>>अल्मोड़ा हादसा – 36 यात्रियों की मौत, चार घायलों को किया एयरलिफ्ट >>इंडी अलायंस की सरकार को उखाड़कर कमल खिलाने को आतुर है झारखंड की जनता – प्रधानमंत्री मोदी >>अल्मोड़ा हादसा- सीएम धामी ने मृतक परिजनों को 4 लाख रूपये देने का किया एलान>>कनाडा में हिंदू समुदाय के लोगों पर मंदिर के बाहर खालिस्तानियों ने लाठी-डंडों से किया हमला >>शादी से पहले मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये नुस्खे, त्वचा भी निखरेगी
Articles

भारत में रोजगार के अवसर

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) तथा मानव विकास संस्थान ने मिलकर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें सन 2000 के बाद से भारत में रोजगार के उपलब्ध आंकड़ों का व्यापक विश्लेषण किया गया है। वर्ष 2012 तक यह सर्वे रोजगार और बेरोजगारी के सर्वेक्षणों पर निर्भर था और 2019 से 2022 तक के आंकड़ों के लिए रिपोर्ट ने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के सावधिक श्रम बल सर्वेक्षण को प्राथमिक स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया। चूंकि आंकड़ों के ये स्रोत पहले ही चर्चा का विषय बन चुके हैं इसलिए रिपोर्ट की विषयवस्तु है: संगठित क्षेत्र में वास्तविक पारिश्रमिक में ठहराव, कृषि रोजगार की ओर वापसी और महिला श्रम भागीदारी दर जो पहले गिर रही थी लेकिन हाल के दिनों में उसमें इजाफा हुआ जिसकी वजह प्रमुख रूप से स्वरोजगार और बिना मेहनताने का घरेलू कामकाज है। जबकि इस बीच बड़ी तादाद में शिक्षित युवा बेरोजगार हैं।

आईएलओ ने दो अलग-अलग सर्वेक्षण को एक साथ लाकर अच्छा काम किया है परंतु आंकड़ों की सामान्य उपलब्धता को देखते हुए रिपोर्ट में सबसे अधिक रुचि उसके निष्कर्षों और अनुशंसाओं के कारण है। रिपोर्ट पांच प्राथमिकताओं को चिह्नित करती है। पहली उत्पादन और वृद्धि को और अधिक रोजगार आधारित बनाया जाना चाहिए। दूसरी, रोजगार की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए और इसके लिए प्रवासन और नए दौर के क्षेत्रों मसलन केयर इकॉनमी (अनौपचारिक और अवैतनिक देखभाल की अर्थव्यवस्था मसलन महिलाओं द्वारा घर में किए जाने वाले काम) में निवेश करना होगा तथा श्रम अधिकार सुनिश्चित करने होंगे। तीसरी, श्रम बाजार की असमानताएं जो महिलाओं, युवाओं और हाशिये पर मौजूद समूहों के लोगों को प्रभावित करती हैं, उनके लिए नीतियां तैयार करना। चौथी प्राथमिकता है कौशल प्रशिक्षण और सक्रिय श्रम बाजार नीतियों को बढ़ावा देना। पांचवीं प्राथमिकता है रोजगार को लेकर बेहतर और अधिक आंकड़े।

निस्संदेह इनमें से कई अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं। शायद ही कोई होगा जो समय पर और बेहतर आंकड़ों की जरूरत से इनकार करेगा। कुछ आंकड़ों पर जब करीबी नजर डाली जाती है तो सवाल पैदा होते हैं। मसलन असमानता को सीधे तौर पर कैसे हल किया जा सकता है?
यह स्पष्ट है कि महिलाओं के घर या कृषि से बाहर रोजगार बढ़ा पाने में कमी कई बार सांस्कृतिक कारणों से भी पैदा होती है और कई अन्य मामलों में ऐसा अनुकूल माहौल तथा कानून व्यवस्था से जुड़ी चिंताओं की वजह से भी है। इसके लिए बहुत बड़े पैमाने पर सामाजिक सुधारों की आवश्यकता है।

बहरहाल सबसे अधिक सटीक अनुशंसा यह है कि उत्पादन को और अधिक रोजगारपरक बनाने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र आधारित वृद्धि के रोजगार संबंधी लाभ रोजगार की मौजूदा चुनौतियों को पूरा कर पाने में सक्षम नहीं हैं। ऐसा इसलिए कि उद्योग और विनिर्माण में अपेक्षाकृत कम कुशल श्रमिक शामिल होते हैं जो खेती जैसे काम से बाहर निकलते हैं। इस दलील को रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन तथा अन्य लोगों के हालिया तर्कों से जोडक़र देखा जा सकता है जिनका कहना है कि भारत के भविष्य की वृद्धि सेवा क्षेत्र पर निर्भर होगी। यह दलील देने वालों का कहना है कि तकनीकी नवाचार और स्वचालन ने विनिर्माण को प्रभावित किया है। अब यह अधिक पूंजी खपत वाला क्षेत्र है जबकि पहले यह श्रम आधारित था।

मेहनताने को लेकर मध्यस्थता अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी नहीं रह गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र में भी ऐसी ही प्रक्रियाएं काम कर रही हैं। कई लोगों ने यह भी कहा कि सेवा क्षेत्र कम कुशल लोगों के साथ प्रभावी ढंग से आगे नहीं बढ़ पाएगा। यानी देश के नीति निर्माताओं के पास कुछ ही अच्छे विकल्प हैं। तेज तकनीकी विकास और उभरती विश्व व्यवस्था को देखते हुए वृद्धि और रोजगार निर्माण के मानक तौर तरीके शायद भविष्य में काम न आएं। ऐसे में भविष्य की बात करें तो भारत को हर अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए अधिकतम रोजगार सृजन करने की तैयारी रखनी होगी।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!