मौनी अमावस्या पर शीतलहर के बावजूद श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
हरिद्वार। सोमवार की सुबह से चल रही शीतलहर भी श्रद्धालुओं के कदम मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान को नहीं रोक सकी। अल सुबह से ही हरकी पैड़ी सहित अन्य घाटों पर स्नान का क्रम शुरू हो गया। गंगा स्नान के साथ साथ श्रद्धालुओं ने हर की पैड़ी मालवीय, सुभाष घाट और कुशावर्त घाट पर यज्ञोपवीत सहित कई संस्कार संपन्न कराए।
उत्तराखंड, राजस्थान, यूपी, पंजाब और दिल्ली से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में गंगा नहाने पहुंचे। हर की पैड़ी पर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं का स्नान शुरू हो गया था। बाहर से आई भीड़ के चलते स्थानीय लोगों ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बने गंगा घाटों पर स्नान किया।
इस दौरान हरिद्वार के बाजारों में भी भीड़ बनी हुई है। श्रद्धालु गंगा का अभिषेक करने के साथ ही गंगा पूजन कर दान पुण्य भी कर रहे हैं। मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान के बाद दान पुण्य करने का बड़ा महत्व है। इस मौके पर देशभर से काफी संख्या में श्रद्धालु कर्मकांड कराने के लिए हरिद्वार पहुंचे। श्रद्धालुओं ने मिष्ठान्न के साथ साथ मूंगफली, गूड़, तिल, तिल के लड्डू तथा मकई से बने पदार्थों का भी दान किया।
श्रद्धालुओं ने हर की पैड़ी पर भगवान सूर्य नारायण को जल अर्पित कर पूजा अर्चना की। श्रद्धालुओं की सहायतार्थ श्री ब्राह्मण सभा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिर कौशिक की अगुवाई में विभिन्न गंगा घाटों पर शिविर का आयोजन किया। उन्हें गर्म दूध व मिष्ठान वितरित किए।
मौनी अमावस्या का महत्त्व
इस बार इस बार 27 वर्षों के बाद मौनी अमावस्या सोमवार के दिन पड़ी। सोमवार को सिद्धि योग है, साथ ही आज के दिन अर्धकुंभ का शाही स्नान भी है। इससे पहले वर्ष 1992 में ऐसा योग पड़ा था।
मौनी अमावस्या पर सिद्धि और महा महोदय योग बने हैं। इनका प्रभाव सोमवार को चंद्रमा के श्रवण नक्षत्र में विधमान रहने से और बढ़ गया है । सोमवार चंद्रमा का दिन है और किस दिन भगवान भास्कर भी चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण नक्षत्र में विराजमान रहेंगे ।
सिद्धि योग के कारण आज के दिन स्नान का कोई विशेष मुहूर्त नहीं है । इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक मौत और पर्व काल बना रहेगा। माघ मास में पड़ने वाली मौनी सोमवती अमावस्या के दिन स्नान ध्यान और गंगा पूजन के बाद सूत का धागा लपेटते हुए पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। खास करके महिलाओं के लिए।
इसके अलावा किस दिन पुरुषों के लिए मौन साधना का भी बड़ा महत्व होता है। इस दिन तमाम श्रद्धालु पूरे दिन मौन साधना कर परिवार राष्ट्र की सुख समृद्धि की कामना करते हैं। मकर संक्रांति के दिन से शुरू हुए तिल पर्व का मौनी अमावस्या के पर्व के साथ विराम हो जाएगा।
तीर्थनगरी ऋषिकेश में भी उमड़ी भीड़
ऋषिकेश में सोमवती और मोनी अमावस्या के पावन मौके पर तीर्थनगरी और आसपास क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। इस अवसर पर पीपल की पूजा का विशेष महत्व माना गया है।
त्रिवेणी घाट सहित अन्य स्थानों पर श्रद्धालु महिलाएं पीपल की पूजा करती नजर आई। तीर्थ नगरी के प्रमुख त्रिवेणी घाट पर सोमवार की तड़के से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। हालांकि सूर्योदय से पूर्व यहां कोहरा और ठंड ज्यादा थी मगर यह सर्दी श्रद्धालुओं की आस्था के आगे बोनी नजर आई।
त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं ने गरीब और असहाय लोगों को वस्त्र ,खाद्य सामग्री और खीर का वितरण किया। पंडित वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि आज सोमवती और मोनी अमावस्या एक साथ होने के कारण दान के साथ गंगा में स्नान विशेष फलदाई माना गया है। सफेद वस्तुओं का दान ,पीपल की पूजा का इस पावन मौके पर विशेष महत्व है।