डीडीसीए का अध्यक्ष दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद चुना जाएगा – गौतम गंभीर नहीं हैं चुनाव लड़ने के पात्र
आकाश ज्ञान वाटिका। ३१ दिसंबर, मंगलवार। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने अपने अध्यक्ष पद का चुनाव कराने के लिए सोमवार को फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद का समय मांगा है। डीडीसीए ने साथ ही स्पष्ट कर दिया कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुसार भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के पात्र नहीं हैं।
डीडीसीए सचिव विनोद तिहारा ने यहां कहा, “लोकपाल दीपक वर्मा को अध्यक्ष पद का चुनाव कराने के लिए अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया जाएगा। चुनाव जनवरी के अंत में होने हैं, लेकिन आग्रह किया जाएगा कि यह फरवरी में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद हों।”
रजत शर्मा के इस्तीफे के बाद खाली हुए अध्यक्ष पद के लिए गंभीर की उम्मीदवारी पर तिहारा ने कहा, ‘दिल्ली क्रिकेट की सेवा के लिए उनका स्वागत है, लेकिन वह अध्यक्ष तभी बन सकते हैं जब सांसद के रूप में इस्तीफा दें।’ रजत ने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था जिससे डीडीसीए में नए अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए चुनाव कराने की जरूरत पड़ी। तिहारा ने साथ ही रविवार को संपन्न विवादों से भरी वार्षिक आम सभा (एजीएम) के दौरान हाथापाई करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी वादा किया।
एजीएम के दौरान हाथापाई भी हुई थी और इस दौरान न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) दीपक वर्मा को डीडीसीए का नया लोकपाल नियुक्त किया गया। तिहारा ने विपक्षी गुट पर डीडीसीए को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एजीएम के दौरान अव्यवस्था में शामिल रहे राज्य संघ के अधिकारियों के खिलाफ एक हफ्ते के भीतर कार्रवाई की जाएगी। एजीएम में संयुक्त सचिव राजन मनचंदा और अन्य सदस्यों के बीच मे धक्का-मुक्की हुई थी।
तिहारा चाहते हैं कि लोकपाल दीपक वर्मा इस मामले को देखें और अपना फैसला दें। तिहारा ने कहा कि जिस तरह से प्रशासकों की छवि को खराब करने के लिए तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है, वह दुखद है। वीडियो आप सभी के सामने है, आप उसे देख सकते हैं। अपने हिसाब से तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है। हम इस पर कुछ नहीं कहना चाहते और चाहते हैं कि लोकपाल इस पर अंतिम फैसला लें। वह वीडियो को सबूत के तौर पर देख सकते हैं और मामले पर अपना फैसला सुना सकते हैं। हम हमेशा से मानते हैं कि क्रिकेट प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए है और इस तरह की चीजें सामने नहीं आनी चाहिए।
यहां तक की जब बीसीसीआइ द्वारा जारी किए गए फंड हमारे पास आए तो हमने उन्हें क्रिकेट से संबंधित गतिविधियों, स्टाफ का वेतन देने, रोजमर्रा के खर्चे में ही इस्तेमाल किया। आप खुद इस बात को देख सकते हैं। पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने बीसीसीआइ से संघ को भंग करने की बात कही, लेकिन तकनीकी रूप से यह मुमकिन नहीं है क्योंकि डीडीसीए कंपनी अधिनियम के अंतर्गत आता है। अगर बीसीसीआइ हमसे पूछेगी कि एजीएम में क्या हुआ था तो हम उनके सामने स्पष्ट करेंगे। हमने लोगों को शांत करने की कोशिश भी की थी, लेकिन किस्मत साथ नहीं थी।