11वें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ की उत्सव डोली ने गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए किया प्रस्थान
पहला पड़ाव, गुप्तकाशी पहुँचेगी आज
आकाश ज्ञान वाटिका, 21 अप्रैल 2023, शुक्रवार, ऊखीमठ। ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ की उत्सव डोली गद्दी स्थल ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गई है। ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में परंपरानुसार पूजा-अर्चना के बाद डोली ने पहले रात्रि पड़ाव विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी के लिए प्रस्थान कर लिया है।
पूजा-अर्चना के बाद डोली के साथ बड़ी संख्या में भक्तों की मौजूदगी में पैदल यात्रा के लिए प्रस्थान किया। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उत्सव डोली 22 अप्रैल को फाटा, 23 को गौरीकुंड तथा 24 अप्रैल, 2023 को श्री केदारनाथ धाम पहुँचेगी। 25 अप्रैल, 2023 को प्रातः 6 बजकर 20 मिनट पर बाबा केदार के कपाट भक्तों के लिए दर्शनार्थ खोल दिए जायेंगे।
भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना के साथ केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भगवान केदारनाथ की निर्विघ्न यात्रा के लिए क्षेत्रपाल के रूप में पूजे जाने वाले भगवान भैरवनाथ की आराधना की गई। साथ ही देवता की पूरी-पकौड़ी से बनी मालाओं से श्रृंगार कर अष्टादश आरती उतारी गई।
आज शुक्रवार सुबह 9:00 बजे भगवान केदारनाथ की पंचमुखी भोगमूर्ति चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान होकर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। सेना की बैंड धुनों और भक्तों के जयकारों के बीच डोली पहले पड़ाव पर रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुँचेगी।
बाबा केदार की डोली के धाम प्रस्थान की पूर्व संध्या पर विशेष की गई पूजा-अर्चना
बृहस्पतिवार को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ स्थित भैरवनाथ मंदिर में बाबा केदार की डोली के धाम प्रस्थान की पूर्व संध्या पर विशेष पूजा-अर्चना की गई। धाम के लिए नियुक्त पुजारी शिव लिंग द्वारा भगवान भैरवनाथ का पंच ब्रह्म मंत्र से अभिषेक किया गया। साथ ही पंचामृत अभिषेक रुद्राभिषेक के साथ पूरी-पकौड़ी की माला से श्रृंगार किया गया।
बाल भोग के बाद भगवान भैरवनाथ को महाभोग लगाया गया। केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग की अगुवाई में शिवाचार्य महास्वामी केदार लिंग, पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग, गंगाधर लिंग द्वारा अष्टादश आरती उतारी गई। वहीं, मंदिर के वेदपाठी विश्वमोहन जमलोकी, यशोधर मैठाणी, नवीन मैठाणी, मृत्युंजय हीरेमठ, आशाराम नौटियाल के वेद मंत्रोच्चारण के बीच सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया।
इस अवसर पर केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।