आयुर्वेद छात्रों ने निकाली शिक्षा मंत्री के पुतले की शवयात्रा
आकाश ज्ञान वाटिका। निजी कॉलेजों की मनमानी पर आंदोलित आयुर्वेद छात्रों ने अब आयुष शिक्षा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को छात्रों ने मंत्री के पुतले की शवयात्रा निकाली। इसके बाद पुतला फूंका। यह आरोप लगाया कि फीस संबंधी मामला पिछले काफी वक्त से चल रहा है, पर मंत्री ने इसे सुलझाने की कभी पहल नहीं की। कॉलेज मनमर्जी पर उतारू हैं और इससे सरकार के इकबाल पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। उधर, विवि प्रशासन ने कॉलेजों एवं छात्रों के साथ आज शनिवार को त्रिपक्षीय बैठक बुलाई है।
शुक्रवार को धरने पर बैठे छात्रों ने कहा कि कॉलेज हाईकोर्ट का आदेश नहीं मान रहे हैं। इसके बाद भी सरकार एवं विभागीय मंत्री कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। शासन के अफसर भी चुप्पी साधे बैठे हैं। निजी कॉलेजों की मनमानी इस कदर है कि हाईकोर्ट का आदेश लागू कराने को विवि प्रबंधन ने 26 सितंबर को बैठक कर उन्हें निर्देशित किया था। लेकिन जब छात्र कॉलेज गए तो वह बिल्कुल मुकर गए और बढ़ी फीस जमा कराने पर ही बैक परीक्षा फार्म भरने के आदेश को भी नहीं मान रहे है। इस दौरान शिवम शुक्ला, हार्दिक, प्रखर, फैसल सिद्दीकी, भास्कर, दिव्या, कृति, सलमान, आमिर, अजय आदि छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
छात्र-छात्राओं से बढ़ा हुआ शुल्क जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जिसके विरोध में छात्र पिछले तीन दिन से आंदोलन कर रहे हैं। कहा कि छात्रों व उनके अभिभावकों द्वारा किया जा रहा आंदोलन न्यायोचित है। इस मामले में राजभवन व राज्य सरकार को भी हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने आयुर्वेदिक कॉलेजों के नैनीताल हाईकोर्ट की नाफरमानी कर छात्र-छात्राओं से बढ़ा हुआ शुल्क ही वसूले जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। कहा कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध तमाम निजी आयुष कॉलेज मनमानी पर उतारू हैं। बावजूद इसके राज्य सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है। कारण यह भी है कि सरकार के कुछ मंत्रियों के भी अपने कॉलेज चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व में फैसला दिया था कि निजी कॉलेजों में शुल्क निर्धारण करने के लिए प्रत्येक राज्य को फीस निर्धारण कमेटी का गठन करना होगा। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे। इसके लिए शासन को एक पैनल बनाकर उच्च न्यायालय को भेजना होता है। इसके बाद उच्च न्यायालय द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश को शुल्क निर्धारण कमेटी का अध्यक्ष नामित किया जाता है। उच्च न्यायालय ने हाल ही में आदेश दिया था कि उत्तराखंड आयुर्वेद विवि से सबंद्ध आयुर्वेदिक कॉलेज छात्र-छात्राओं से पुराना ही शुल्क वसूल करें। लेकिन कॉलेज इस आदेश को भी नहीं मान रहे हैं।