आकाश ज्ञान वाटिका। अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में चल रही सुनवाई को आज एक महीने पूरे हो जाएंगे। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन आज भी अपनी दलीलें रखेंगे। कल मामले की सुनवाई एक घंटे ज्यादा समय तक चली थी। अदालत ने पिछले ही हफ्ते सभी पक्षकारों से साफ साफ कह दिया था कि सब मिलकर कोशिश करें कि सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाए। अदालत जिस तेजी से मामले की सुनवाई कर रही है उससे उम्मीद की जा रही है कि 18 अक्टूबर तक वह सभी पक्षों की दलीलें मुकम्मल तौर पर सुन लेगी।
जैसे मुसलमानों के लिए मक्का, वैसे ही हिंदुओं के लिए अयोध्या
कल संविधान पीठ ने अयोध्या राम जन्मभूमि पर हिंदुओं के दावे को सिर्फ आस्था पर आधारित बता रहे मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से कहा था कि यदि वे हिंदुओं की आस्था और विश्वास को चुनौती देंगे तो उनके लिए मुश्किल होगी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चूंकि मुस्लिम गवाहों ने कहा है कि हिंदुओं का विश्वास है कि राम का वहां जन्म हुआ था और जैसे मुसलमानों के लिए मक्का की अहमियत है ठीक वैसे ही हिंदुओं के लिए अयोध्या है।
मूर्ति बाहर चबूतरे पर थी और वहीं पूजा होती थी
धवन ने विवादित भूमि पर मुस्लिमों का दावा जताते हुए कहा था अंदर मूर्ति नहीं थी। मूर्ति बाहर चबूतरे पर थी जहां पूजा होती थी। सिर्फ आस्था के आधार पर जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति कहने की अवधारणा का जन्म 1989 में हुआ जब रामलला की ओर से मालिकाना हक का मुकदमा दाखिल हुआ। उस मुकदमे में रामलला विराजमान के अलावा जन्मस्थान को अलग से पक्षकार बनाया गया।
रामलला व जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति के क्या नतीजे हाेंगे
इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने धवन से पूछा कि यदि रामलला और जन्मस्थान दोनों को न्यायिक व्यक्ति माना जाता है तो इसके क्या परिणाम होंगे और यदि केवल रामलला (मूर्ति) को ही न्यायिक व्यक्ति माना जाता है तो उसका क्या परिणाम होगा। धवन ने कहा कि इस मुकदमे में सोच समझकर जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति मानते हुए अलग से पक्षकार बनाया गया है ताकि इस पर प्रतिकूल कब्जे और समयसीमा का नियम लागू न हो। मुकदमा सभी दावों से मुक्त हो जाए। मेरा मानना है कि दोनों या उनमें से एक को न्यायिक व्यक्ति मानने के नतीजे एक जैसे होंगे।