अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पलायन एक चिंतन व विचार एक नयी सोच सामाजिक संस्था ने मिलकर किया महिलाओं का सम्मान
आकाश ज्ञान वाटिका। सतपुली, पौड़ी गढ़वाल, ८ मार्च, २०२० (रविवार)।
- महिलाओं के त्याग व जज्बे को सलाम करने का दिन है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस।
- पलायन एक चिंतन व विचार एक नयी सोचसामाजिक संस्था ने मिलकर किया महिलाओं का सम्मान।
[box type=”shadow” ]“यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता।” अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। हर साल 8 मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। ये दिन महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्यार को दिखाने और उनके त्याग व जज्बे को सलाम करने का अवसर है। इस दिन आर्थिक, शैक्षिक, राजनीतिक और सामाजिक के साथ ही तमाम क्षेत्रों में अपने हुनर का लोहा महिलाओं को खास सम्मान दिया जाता है।[/box]
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आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। समूचे विश्व में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस मौके पर समूह पलायन एक चिंतन और विचार एक नई सोच के तत्वावधान में आज समूह के The camp Golden Mahasheer, शीला-बांघाट में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में खासतौर से द हंस जरनल अस्पताल चमोलीसैंण के नर्सिंग, फार्मासिस्ट व टेक्निकल स्टाफ को आमंत्रित किया गया। इस दौरान महिलाओं के मध्य विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। ततपश्चात पलायन एक चिंतन के संयोजक ठाकुर रतन सिंह असवाल और विचार एक नई सोच के संयोजक राकेश बिजल्वाण के द्वारा महिलाओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।[/box]
[box type=”shadow” ]द हंस अस्पताल के कर्मचारियों के कार्यों की सराहना
समाजिक सरोकारों के लिये समृपित दोनों संस्थाओं द्वारा शीला-बांघाट क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम में पलायन एक चिंतन के संयोजक ठाकुर रतन असवाल और विचार एक नई सोच के संयोजक राकेश बिजल्वाण ने महिला सशक्तिकरण को लेकर किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। इस दौरान द हंस अस्पताल के सौजन्य से क्षेत्र के ग्रामीणों की सेवा में लगी मातृ शक्ति व समस्त लोगों की कार्यशैली की सराहना की गई। कार्यक्रम के बाद सभी ने मिलकर पहाड़ी ब्यजंनों का लुफत उठाया।[/box]
[box type=”shadow” ]पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं नारियाँ
विचार एक नई सोच के संस्थापक और संयोजक राकेश बिजल्वाण ने कहा कि मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानि जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। आजकल हर क्षेत्र में लड़कियांबाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है। महिलाओं ने मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए। नारी सदैव पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर तो चलती ही है, बल्कि उनसे भी अधिक जिम्मेदारियों का निर्वहन भी करती हैं। नारी इस तरह से भी सम्माननीय है।[/box]