महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान, तीसरी बार देवेंद्र फडणवीस होंगे सीएम
मुंबई। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान हो गया है। भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुन लिया गया है। फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र की सत्ता की कुर्सी संभालेंगे, जहां पहली बार उन्होंने पूरे पांच साल और दूसरी बार महज तीन दिन की सरकार चलाई। बीते पांच साल में जिस तरह से महाराष्ट्र की राजनीति बदली, उसी तरह देवेंद्र फडणवीस की भूमिका भी बदल गई। वह कभी तीन दिन के मुख्यमंत्री, कभी नेता प्रतिपक्ष तो कभी उपमुख्यमंत्री रहे। आइये जानते हैं देवेंद्र फडणवीस के पूरे करियर और उनके बारे में…
कौन हैं देवेंद्र फडणवीस?
54 साल के देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र भाजपा के सबसे बड़े नेता हैं। वह एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे हैं। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
22 जुलाई 1970 को नागपुर में एक मध्यमवर्गीय महाराष्ट्रीयन परिवार में देवेंद्र फडणवीस का जन्म हुआ। उनके माता-पिता काफी प्रतिष्ठित थे, जो सार्वजनिक सेवा और सामाजिक सक्रियता में सक्रिय रूप से शामिल थे। देवेंद्र के पिता गंगाधरराव फडणवीस जनसंघ के सदस्य थे और वह नागपुर से महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी रहे। उनकी माता सरिता फडणवीस विदर्भ हाउसिंग क्रेडिट सोसाइटी की पूर्व निदेशक थीं जो अमरावती के प्रतिष्ठित कालोटी परिवार से ताल्लुक रखती थीं।
इंदिरा के नाम की स्कूल में पढ़ने से किया था इनकार
युवा देवेंद्र का नाम शुरू में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर नागपुर के इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल में लिखाया गया था। कुछ वर्षों के बाद देश ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में लगाए गए आपातकाल के बुरे दौर को झेला। जब देश भर में विरोधी नेताओं को जेल में डाला गया तो उनमें से एक देवेंद्र के पिता गंगाधरराव जनसंघ के सदस्य थे। गंगाधरराव को एक विरोध रैली के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें लंबे समय तक जेल में रखा गया। इस घटना से देवेंद्र के मन में विद्रोह की भावना पैदा हो गई और उन्होंने उस स्कूल में जाने से इंकार कर दिया जिसका नाम उस व्यक्ति के नाम पर रखा गया था जो उनके पिता को जेल भेजने के लिए जिम्मेदार था। देवेंद्र की हठ के चलते उनका नाम फिर एक दूसरे स्कूल ‘सरस्वती विद्यालय’ में लिखवाया गया। नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इसी स्कूल से देवेंद्र ने अपनी अधिकांश स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद नागपुर में ही धरमपेठ जूनियर कॉलेज से इंटरमीडिएट पास किया।
राजनीति में आने के लिए कानून को विषय चुना
सियासी माहौल में पले-बढ़े देवेंद्र का बचपन से ही राजनीति की ओर झुकाव था। इसलिए इंटरमीडिएट पास करने के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई करने का फैसला किया ताकि इसका ज्ञान राजनीतिक करियर में मददगार हो। देवेंद्र ने कानून की पढ़ाई के लिए नागपुर के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दाखिला लिया। 1992 में एलएलबी की डिग्री में स्वर्ण पदक के साथ स्नातक किया। स्नातक करने के बाद स्नातकोत्तर में एमबीए को चुना। देवेंद्र ने डीएसई बर्लिन से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में डिप्लोमा भी हासिल किया।
काम देखकर भाजपा पदाधिकारियों ने पार्टी में आने को कहा था
देवेंद्र शुरुआती दिनों में आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी के सदस्य रहे। वह अपने संगठन के लिए दीवार लेखन, प्रदर्शन, राहत कार्य जैसी गतिविधियों में लगे रहते थे। देवेंद्र की सक्रिय भागीदारी ने स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों का ध्यान खींचा और उन्हें जल्द ही भाजपा की महाराष्ट्र इकाई में ‘वार्ड अध्यक्ष’ के रूप में शामिल होने के लिए कहा गया। 19 साल की उम्र में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के वार्ड अध्यक्ष बने। यहीं से देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई।
1992 में देवेंद्र नागपुर भाजयुमो इकाई के अध्यक्ष बने। इसी साल उन्होंने नागपुर के रामनगर वार्ड से अपना पहला नगरपालिका चुनाव जीता और 21 साल की उम्र में नागपुर नगर निगम के सबसे युवा पार्षद बन गए। वह नागपुर नगर निगम (एनएमसी) में सबसे युवा और भारत में दूसरे सबसे युवामहापौर भी बने। 1994 में वह भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष बने। वह 1992 के बाद 1997 में लगातार दूसरी बार नागपुर नगर निगम के महापौर चुने गए। देवेंद्र महाराष्ट्र में महापौर के रूप में दोबारा निर्वाचित होने वाले एकमात्र व्यक्ति भी हैं। नागपुर में मेयर के रूप में उन्होंने पहली बार सार्वजनिक रूप से बनाए गए शौचालयों की शुरुआत की और 1990 के दशक में स्वच्छता अभियान चलाया।
1999 में विधायक के रूप में महाराष्ट्र विधानसभा में एंट्री
1999 में देवेंद्र फडणवीस ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा। 1999 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें संघ के गढ़ कहे जाने वाले नागपुर जिले की नागपुर पश्चिम सीट से उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस के अशोक धावड़ को 9087 मत से शिकस्त देकर वह पहली बार विधायक बने। अगला विधानसभा चुनाव भी उन्होंने नागपुर पश्चिम सीट से जीता। हालांकि, 2009 के विधानसभा चुनाव में देवेंद्र फडणवीस ने नई बनी नागपुर दक्षिण-पश्चिम सीट जीत हासिल की। 2009 के बाद 2014, 2019 और 2024 में भी वह नागपुर दक्षिण-पश्चिम से विधायक बने।
2014 में उनके नेतृत्व में भाजपा ने 122 सीटें जीती
उधर भाजपा में देवेंद्र फडणवीस का सियासी कद भी बढ़ता रहा। 2001 में भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और फिर 2010 में महाराष्ट्र भाजपा के महासचिव बनाए गए। 2013 में उन्हें तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भाजपा की महाराष्ट्र इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया। फडणवीस ने 2014 के महाराष्ट्र चुनावों के दौरान राज्य में पार्टी का नेतृत्व किया और भाजपा ने 288 में से उस वक्त रिकॉर्ड 122 सीटें जीतीं। इस चुनाव में फडणवीस ने दक्षिण-पश्चिम नागपुर सीट पर कांग्रेस के प्रफुल्ल विनोद गुडाधे (पाटिल) को 58,942 वोट से हराकर जीत दर्ज की।
महाराष्ट्र के इतिहास में दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बने
अकेले चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना नतीजों के बाद साथ मिलकर सरकार बनाने पर सहमत हुए। इस सरकार में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई। चौथी बार विधायक देवेंद्र फडणवीस ने 31 अक्तूबर 2014 को महाराष्ट्र के 27वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। महाराष्ट्र की सत्ता के शीर्ष में पहुंचते ही देवेंद्र फडणवीस के नाम कई रिकॉर्ड जुड़े। वह 44 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने, जिससे वह शरद पवार के बाद महाराष्ट्र के इतिहास में दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद फडणवीस के नाम पिछले 47 वर्षों में पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड दर्ज हुआ और महाराष्ट्र के इतिहास में केवल दूसरे मुख्यमंत्री हैं।
तीन दिन के मुख्यमंत्री भी बने
इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना का गठबंधन को बहुमत मिला। 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिलीं। वहीं, भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना को 56 सीटें आईं। इस तरह इस गठबंधन को कुल 161 सीटें मिलीं, जो बहुमत के आंकड़े 145 से काफी ज्यादा थीं। दूसरी ओर एनसीपी को 54 सीटें जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। 2019 में साथ मिलकर चुनाव लड़ीं भाजपा और शिवसेना को नतीजों में बहुमत मिला, लेकिन मुख्यमंत्री के मुद्दे पर दोनों दलों का गठबंधन टूट गया। इसके बाद राज्य में कई राजनीतिक उठापटक हुई। 2019 में उन्होंने तीन दिन की सरकार भी चलाई जब 23 नवंबर 2019 में सुबह का सूरज उगने से पहले देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ली। हालांकि, सदन में बहुमत न होने के वजह से उन्होंने इस्तीफा दे दिया और इसके बाद महाविकास अघाड़ी की ढाई साल की सरकार में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई। जब जून 2022 में शिवसेना में बगावत हुई तो नई बनी एकनाथ शिंदे सरकार में वह अचानक से उपमुख्यमंत्री बनाए गए।
2024 में भाजपा ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की और देवेंद्र की तीसरी पारी
23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। इन नतीजों में महायुति ने कुल 288 विधानसभा सीटों में से 235 सीटें हासिल कीं। भाजपा ने सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 132 सीटें आईं। यह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है