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काबुल एयरपोर्ट से वतन वापसी का इंतजार कर रहे दून के अमित ने सुनाई अपनी आपबीती

आकाश ज्ञान वाटिका, 20 अगस्त 2021, शुक्रवार, देहरादून। अफगानिस्तान से वतन वापसी की आस में काबुल एयरपोर्ट पर दूसरे देश के नागरिकों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। इससे एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ती जा रही है।

इससे एयरपोर्ट पर व्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच गई है। हाल यह है कि एयरपोर्ट पर खाना मिलना भी बंद हो गया है। हमारे पास जो बिस्किट और नमकीन थे, वह भी खत्म होने की कगार पर हैं। ऐसे में भूख लगने पर पानी पीकर गुजारा करना पड़ रहा है।

यह आप बीती है काबुल में वतन वापसी के लिए विमान का इंतजार कर रहे दून के अमित की। जो उन्होंने वीडियो और आडियो संदेश के जरिये अपने परिवार व मित्रों से साझा की है।

डाकरा निवासी अमित लंबे समय से अफगानिस्तान में नौकरी कर रहे थे। वीडियो संदेश में रूंधे गले के साथ अमित बताते हैं कि उन्हें तनिक भी अंदाजा नहीं था कि इस देश में ऐसे हालात पैदा हो जाएंगे। अब उनकी यही कोशिश है कि जल्द से जल्द अपने परिवार के पास वापस पहुंच जाएं।

इस आस में वह दो दिन से काबुल एयरपोर्ट पर डेरा डाले हुए हैं। वहां हर वक्त उनकी आंखें हवाई पट्टी पर गड़ी रहती हैं और कान एनाउंसमेंट पर लगे रहते हैं। इस उम्मीद में कि कोई विमान आएगा और उन्हें अपने मुल्क वापस ले जाएगा।

मगर, विमान के लिए उनका इंतजार लंबा होता जा रहा है।

अमित आगे बताते हैं कि वह दो दिन से नमकीन-बिस्किट और पानी के सहारे ही जिंदा हैं। हालांकि, एयरपोर्ट पर कई लोग ऐसे भी हैं, जिनको सिर्फ पानी ही नसीब हो पा रहा है।

उन्होंने बताया कि काबुल एयरपोर्ट पर तैनात सेना ने उन्हें एयर लिफ्ट होने की बारी आने पर पासपोर्ट व मोबाइल फोन के अलावा कोई दूसरा सामान ले जाने से मना किया है।

अपना दर्द साझा करते हुए अमित ने यह भी कहा कि अगर देश में ही अच्छा रोजगार मिल जाता तो इतनी दूर आने की जरूरत नहीं पड़ती।

आइआइटी में रह रहे अफगानी छात्रों को सता रही परिवार की चिंता

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा करने के बाद से वहां रहने वाले अफगानियों के साथ ही वे लोग भी खौफ में जी रहे हैं, जिनके स्वजन वहां फंसे हुए हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के कैंपस में मौजूद सात अफगानी छात्रों को भी अपने परिवार की चिंता सता रही है। वे इंटरनेट मीडिया के जरिये अपने परिवार और अफगानिस्तान के हालात की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।

आइआइटी रुड़की में पीएचडी व पीजी पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले अफगानिस्तान के छात्रों की कुल संख्या 58 है।

इनमें से 31 छात्रों ने इस साल प्रथम सेमेस्टर में दाखिला लिया था। जबकि इस समय पीएचडी और पीजी पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले सात अफगानी छात्र संस्थान के कैंपस में मौजूद हैं।

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से कैंपस में मौजूद अफगानी छात्र अपने स्वजन और छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। साथ ही वह अपने परिवार के सदस्यों को यहां बुलाना चाहते हैं।

सभी छात्र रोजाना इंटरनेट मीडिया के जरिये अपने स्वजन से बात कर रहे हैं। उनसे अफगानिस्तान के हालात की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।

उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही अफगानिस्तान में हालत पहले की तरह होंगे।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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