टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस से भी सुनाई देने लगे बगावती सुर, नाखुश नेता निर्दलीय चुनाव मैदान में ठोक सकते हैं ताल, पढ़िए पूरी खबर
तराई में भी कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान
महिलाओं के लिए निराशाजनक रही कांग्रेस की पहली सूची
आकाश ज्ञान वाटिका, 23 जनवरी 2022, रविवार, देहरादून। कल देर रात कांग्रेस ने अपने 53 प्रत्याशियों की सूची सार्जनिक की। आज सुबह से ही ठण्ड की ठिठुरन के बीच सियासी पारा धीरे-धीरे चढ़ने लगा और दोपहर होते होते से टिकट न मिलने से नाखुश तमाम कांग्रेसियों ने भी अब निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का मन बना लिया है। यमुनोत्री से निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोकेंगे कांग्रेस ओ.बी.सी. प्रकोष्ठ के प्रदेश रहे संजय डोभाल। यमुनोत्री से टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने सौ से भी ज्यादा समर्थकों के साथ सामूहिक इस्तीफ़ा दिया। विदित रहे कि यहाँ से कांग्रेस ने युवा प्रतियाशी दीपक बिजल्वाण पर अपना विश्वास जताया है। सजाय डोभाल साल 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।
संजय डोभाल ने दीपक बिजल्वाण के साथ-साथ पार्टी हाई कमान पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। संजय डोभाल का कहना है कि पार्टी ने ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है जिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। इतना ही नहीं संजय डोभाल ने कहा कि टिकट बंटवारे में पैसों का बोलबाला रहा है, जिस कारण दीपक बिजल्वाण को यहाँ से टिकट मिल गया। संजय डोभाल ने यहाँ तक कह डाला कि जो पार्टी कभी गाँधी-नेहरू परम्परा वाली होती थी अब दलालों एवं भ्रष्टाचारियों के चंगुल में आ गयी है। सूत्रों की माने तो संजय डोभाल की बगावत कांग्रेस को भरी पद सकती है, क्योकि यमुनोत्री में उनका बड़ा जनाधार माना जा रहा है।
ठीक ऐसा ही नजारा यमकेश्वर सीट से भी देखने को मिल रहा है। यहाँ से अपने को टिकट के प्रबल दावेदार समझने वाले महेन्द्र राणा एवं उनके कई समर्थकों ने भी बगावत का रुख अपना लिया है। सूत्र तो यहाँ तक बता रहे कि टिकट बंटवारे से नाराज यहाँ के कुछ कट्टर कोंग्रेसी भी सोशल मीडिया पर भाजपा प्रतियाशी रेणु बिष्ट को शुकमनायें देने लगे हैं। विदित रहे की इस सीट पर कांग्रेस ने शैलेन्द्र रावत कोई चिनाव मैदान में उतरा है।
वहीं टिकट वितरण से नाखुश बागेश्वर के भी कई कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं ने बगावती रुख अपना लिया है। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री बालकृष्ण टिकट नहीं मिलने से खासे नाराज दिख रहे हैं। उन्होंने बागेश्वर विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया और कहा कि सोमवार को पार्टी कार्यकर्ता सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए बालकृष्ण ने बताया कि उनका टिकट काटने में पूर्व विधायक कपकोट ललित फस्वार्ण की भूमिका है। बालकृष्ण ने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है। वर्ष 2017 में वह काफी कम मतों के अंतर से हारे थे। विदित रहे कि बागेश्वर से रंजीत दस को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है।
गंगोलीहाट से पूर्व विधायक नारायण राम आर्य ने भी टिकट वितरण को लेकर पूर्ण मुख्यमंत्री हरीश रावत पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा कि जब 2016 में सरकार पर संकट आया था तब हम 26 विधायकों ने उनका साथ दिया तथा उन्होंने यह भी कहा कि मुझे एक महीने तक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री आवास के एक कमरे में मुझे एक महीने तक कैद रखा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आज यहाँ से ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया जो यहाँ का निवासी तक नहीं है तथा जिसने 5 बार कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ा और आज धनबल के आधार पर उसी को प्रत्याशी बनाया गया।
रामनगर सीट को भी कांग्रेस अभी तय नहीं कर पायी है। ऐसा लगता है की यहाँ दो बड़े नेताओं के कारण पेंच फसा हुआ है।
तराई में भी कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान
वहीं उधमसिंहनगर जनपद से भी कांग्रेस की चिंता बढ़ने वाली खबरें आ रही हैं। सितारगंज, लालकुआँ, किच्छा एवं गदरपुर में टिकट वितरण से कार्यकर्ता खुश नहीं नजर आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार गदरपुर से राजेंद्र पाल सिंह, किच्छा से हरीश पनेरु, सितारगंज से नारायण पाल और लालकुआँ से दुर्गापाल निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।
महिलाओं के लिए निराशाजनक रही कांग्रेस की पहली सूची
कांग्रेस का चालीस फीसदी सीटें महिलाओं को देने का दावा भी पहली लिस्ट में कहीं नजर नहीं आता। 53 सीटों में से केवल 3 सीटें ही महिलाओं को दिया जाना उत्साहजनक नहीं माना जा रहा है।
कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची के लिए, यहाँ क्लिक करें : https://akashgyanvatika.com/after-a-long-wait-uttarakhand-congress-announced-the-names-of-its-53-candidates-for-the-assembly-elections/