मुख्यमंत्री ने किया मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण की बहुप्रतिक्षित एकल मैप अप्रूवल सिस्टम का शुभारम्भ
- अब भवनों के नक्शे पास कराना होगा आसान
- सुशासन की दिशा में बढ़ाया हुआ कदम
- सिस्टम मे “कारण बताओ नोटिस” को भी समाहित किया गया है
- प्रक्रिया की निर्धारित समय सीमा और पारदर्शिता अधिक होगी
देहरादून। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय में मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण की बहुप्रतिक्षित वन टाईम मेप एप्रूवल सिस्टम की शुभारम्भ किया। इस अवसर पर नगर विकास मंत्री श्री मदन कौशिक भी उपस्थित थे। इस व्यवस्था के लागू होने से घर बनाने के लिए नक्शा पास करना आसान हो जायेगा। भविष्य में एकल खिड़की सिस्टम के अंतर्गत एमडीडीए में ऐसी व्यवस्था की गई है कि आवेदक एकल मैप अप्रूवल सिस्टम से न केवल अपने भवन के नक्शे पास कराने के लिए आवेदन कर सकेंगे बल्कि उस आवेदन के सापेक्ष एकल कंसोल से समीक्षा और फाइल ट्रैकिंग भी कर सकेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस व्यवस्था से लोगों के भवनों के नक्शे पास कराना आसान होगा तथा उनके समय की भी बचत होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली से कार्यों में भी तेजी आयेगी और विभागीय कार्यों में पारदर्शिता भी बनी रहेगी। उन्होंने इसे सुशासन की दिशा में बढ़ाया हुआ कदम बताया है।
इस योजना के संबंध में जानकारी देते हुए उपाध्यक्ष एम.डी.डी.ए. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस सिस्टम के लागू होने से आम जनता को होने वाली बहुत सी परेशानियों से निजात मिल जायेगी, साथ ही मानचित्र निस्तारण मे लगने वाले समय में गुणात्मक रूप से कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि आवेदक एकल कंसोल से आवेदन, समीक्षा और फाइल ट्रैक कर सकते है। आवेदनों की समीक्षा करने के लिए आर्किटेक्ट के लिए उन्नत सुविधाएँ है। प्रक्रिया की निर्धारित समय सीमा और पारदर्शिता अधिक होगी जबकि जी.आई.एस. आधारित मास्टर प्लान से भू-उपयोग की जानकारी प्राप्त कर सकते है। पूर्व में लेयर आधारित मानचित्र के स्थान पर मार्किंग के आधार पर मानचित्र बनाया जा सकेगा, जो पूर्व की तुलना मे सरल प्रणाली है।
उपाध्यक्ष एम.डी.डी.ए. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रत्येक प्रपोजल को समय के आधार पर कलर कोडिंग किया गया है, जिससे किसी भी पत्रावली के समय से निस्तारण न होने पर उपाध्यक्ष के डैशबोर्ड पर दिखने लगेगी। सिस्टम मे “कारण बताओ नोटिस” को भी समाहित किया गया है, किसी भी गलत निस्तारण पर सिस्टम से ही “कारण बताओ नोटिस” जारी किया जा सकेग। डैशबोर्ड पर निरन्तर प्रगति के साथ साथ हर कर्मचारी/अधिकारी की परफॉरमेंस को भी देखा जा सकेगा। सिस्टम में आर्किटेक्ट/इंजीनियर की गुणवत्ता पर भी निरन्तर निगरानी की जा सकती है। जी.आई.एस. आधारित मास्टर प्लान को समाहित करने के पश्चात सभी स्वीकृत, लंबित तथा निरस्त भवनो के मानचित्र की स्थिति जी.आई.एस. मैप पर भी परिलक्षित की जा सकेगी।
उन्होंने बताया कि इस प्रणाली को उत्तराखण्ड सरकार के सिंगल विंडो सिस्टम के साथ इंटीग्रेट किया गया है। विभिन्न सरकारी विभागों से आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्ति हेतु भी इस प्रणाली को सिंगल विंडो सिस्टम से इंटीग्रेट किया गया है। अनाधिकृत निर्माण से सम्बंधित कार्यों को भी इंटीग्रेट किया गया है। सिस्टम को आयुक्त कार्यालय एवम एस एस पी कार्यालय से भी इंटीग्रेट किया गया है। दिनांक 28 अगस्त, 2019 से समस्त नयी पत्रावलियां इस नये सिस्टम पर ही जमा की जायेंगी ।
बैठक में सचिव नितीश झा, सचिव एमडीडीए जी.सी.गुणवंत एवं एस.एल.सेमवाल, सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर संजीवन सूंठा आदि उपस्थित थे।