मानव जीवन के लिए वरदान हैं – प्रकृति प्रदत्त वस्तुयें
अगर चाहते हैं हम हो हमारा भला,
पेड़ लगाकर करें धरती को हरा भरा।
प्रकृति प्रदत्त समस्त वस्तुयें मानव जीवन के लिए वरदान हैं। इसलिए हमें प्रकृति से प्रेम करना चाहिए। जल हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें सुंदर फूल, बगिया और पशु पक्षी सब जल के कारण ही देखने को मिलते हैं। यदि जल न होता तो ये धरती मरुस्थल बन जाती। जल धोने, नहाने, पीने और खाना पकाने के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसी प्रकार धरती भगवान का वरदान है। उसके बिना खेती नहीं हो सकती और हमें अन्न नहीं प्राप्त हो सकता है। उस के ऊपर हमारे घर बनते हैं और हमें रहने के लिए स्थान प्राप्त होता है। वन हमारी अमूल्य सम्पदा हैं। वे वर्षा को आकर्षित करते हैं तथा अनेक खाद्य पदार्थ व औषधियाँ प्रदान करते हैं। इस प्रकार नदियाँ, पर्वत, खनिज पदार्थ, वायु आदि सब प्राकृतिक साधन हमारे लिए अमूल्य हैं। हमें उनकी उचित देख भाल करनी चाहिए और उनका सही उपयोग करना चाहिए और प्रकृति के प्रति प्रेम व्यक्त करना चाहिए।
प्रकृति के संरक्षण का हम अथर्ववेद में शपथ खाते हैं-[highlight] “हे धरती माँ, जो कुछ भी तुमसे लूँगा, वह उतना ही होगा जितना तू पुनः पैदा कर सके। तेरे मर्मस्थल पर या तेरी जीवन शक्ति पर कभी आघात नहीं करूँगा।” [/highlight]मनुष्य जब तक प्रकृति के साथ किए गए इस वादे पर कायम रहा सुखी और सम्पन्न रहा, किन्तु जैसे ही इसका अतिक्रमण हुआ, प्रकृति के विध्वंसकारी और विघटनकारी रूप उभर कर सामने आए। सैलाब और भूकम्प आया। पर्यावरण में विषैली गैसें घुलीं। मनुष्य का आयु कम हुआ। धरती एक-एक बूँद पानी के लिए तरसने लगी, लेकिन यह वैश्विक तपन हमारे लिए चिन्ता का विषय नहीं बना।
प्रकृति प्रेम व समाज सेवा का जज्बा यदि आज भी देखना हो तो, हमारे प्रेरणा श्रोत, बुजुर्ग श्री विश्वंभरनाथ बजाज के सामाजिक कार्यों का अवलोकन कर देखें।
सात दशक से भी अधिक आयु के एक वयोबृद्ध समाजसेवा एवं प्रकृति प्रेमी बजाज सेवानिवृत्त इंजीनियर एवं एक पत्रकार हैं। आज भी उनका जोश बरक़रार है और हर पल पर्यावरण संरक्षण, समाज सेवा व समाज को एकजुट रखने की कोशिश में लगे रहते हैं। वह हम सब के लिए प्रेरणा श्रोत हैं।
प्रकृति से प्रेम कर नहीं रहे अब हम,
हमारी संख्या बढ रही पेड हो रहे कम।
रोगों ने हम को बुरी तरह घेर लिया है,
प्रदूषण के कारण घट रहा हमारा दम।
अगर चाहते हैं हम हो हमारा भला,
पेड़ लगाकर करें धरती को हरा भरा।
– विश्वंभरनाथ बजाज, फोन: 9837830004